ऋषिकेश, देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहित 17 अगस्त के बाद पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन शुरु करेंगे। आंदोलन के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों का समिति विरोध करेगी। इस दौरान उन्हें काले झंडे भी दिखाएंगे।
त्रिवेणीघाट चौक पर स्थित एक धर्मशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता में चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि भाजपा सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के पक्ष में नहीं है। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर चुके हैं, उन्होंने हाईपावर कमेटी बनाने का शिगूफा छोड़ दिया | अब 17 अगस्त के बाद 51 मंदिरों के पंडा पुरोहित और स्थानीय लोग देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर सड़क पर आंदोलन तेज करेंगे।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, ऊखीमठ, खरसाली, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश और देहरादून में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। पहले क्रमिक अनशन किया जाएगा, फिर आमरण अनशन किया जाएगा, प्रदेश सरकार का पुतला भी फूंका जाएगा। क्षेत्र में जाने वाले जनप्रतिनिधियों का स्वागत अंडे और टमाटर से किया जाएगा, उन्हें काले झंडे दिखाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बोर्ड के गठन के बाद से ही पंडा पुरोहित समाज देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहा है, बोर्ड गठन से पहले पंडा पुरोहित समाज को विश्वास में नहीं लिया गया।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश की भाजपा सरकार ने गढ़वाल के 51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के अधीन कर दिया है। यदि सरकार इसी प्रकार प्रदेश स्थित मस्जिद और गुरुद्वारा, चर्च को भी किसी बोर्ड के अधीन करती तो कुछ बात बनती, केवल पंडा पुरोहितों को ही निशाना बनाया जा रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने दावा किया है कि पंडा पुरोहितों की ओर से 17 अगस्त से शुरु किए जा रहे आंदोलन को ज्योतिष और द्वारिका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने समर्थन दिया है। इस आंदोलन को क्षत्रिय महासभा, ब्राह्मण महासभा, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित सभा और संत समाज भी अपना समर्थन देगा। हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने देवस्थानम बोर्ड में कोटद्वार की सिद्धबलि मंदिर और ताड़केश्वर मंदिर को बोर्ड में शामिल किया जाना था, लेकिन यह मंदिर लैंसडौन विधायक दिलीप रावत का होने के कारण इन्हें बोर्ड में शामिल नहीं किया गया।
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