देहरादून, अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर उत्तराखंड के तीनों निगमों के ऊर्जाकर्मियों की सचिव और फिर मुख्य सचिव से वार्ता विफल हो गई। उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सोमवार रात 12 बजे से हड़ताल शुरू कर दी। इसके तहत न तो यूजेवीएनएल के विद्युत गृहों पर कर्मचारी काम करेंगे और न ही बिजली से जुड़ी किसी भी गतिविधि में सहयोग करेंगे।
बिजली कर्मियों की हड़ताल के बाद उत्तरकाशी में मंगलवार सुबह मनेरी भाली एक और मनेरी पाली दो की टरबाइन थमी गई है। जिससे विद्युत उत्पादन ठप हो गया है। वहीं, उत्तरकाशी के कई इलाकों में बिजली गुल है। ऊर्जा निगम में सचिव ऊर्जा सौजन्या, एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल सहित कई अधिकारी मौजूद हैं। अधिकारी लगातार कर्मचारियों को समझाने में जुटे हैं। वहीं, देहरादून में भी कई फीडर से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। दून के सभी बिजलीघरों में ताले लटके हैं। अधिकारियों के मोबाइल बंद हैं। उधर, बिजली कटने की वजह से लोग भी परेशान हो रहे हैं।
राजधानी देहरादून में भी 20 फीसदी इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के लगभग सभी पावर हाउस में बिजली उत्पादन रुक गया है। बता दें कि रात मलेरी भाली परियोजना ठप होने की वजह से सरकार ने करीब 250 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से ली है।
14 सूत्री मांगों को लेकर यूपीसीएल, यूजेवीएनएल, पिटकुल के 10 संगठनों के करीब 3500 बिजली कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं। सोमवार को यूजेवीएनएल मुख्यालय पर सत्याग्रह और यूपीसीएल तक रैली निकालने के बाद यूपीसीएल परिसर में ही बिजली कर्मचारी धरने पर बैठ गए।
उधर, कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को दोपहर पहले करीब चार घंटे तक सचिव ऊर्जा सौजन्या और निगमों के आला अधिकारियों से वार्ता की, यह वार्ता विफल हो गई।
इसके बाद मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया। यहां भी करीब चार घंटे तक वार्ता चली। वार्ता के बाद जहां शासन के अधिकारी हड़ताल न होने को लेकर आश्वस्त दिखे तो वहीं संयुक्त मोर्चा के तेवर तल्ख थे। मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने बताया कि वार्ता बेनतीजा रही। रात 12 बजे तक सरकार कोई सकारात्मक निर्णय न होने पर समस्त बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी। इस हड़ताल में करीब 3500 बिजली कर्मचारी शामिल हो रहे है, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कर्मचारी लगातार बारिश के बावजूद उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भारी संख्या में बिजली कर्मचारी यूजेवीएनएल मुख्यालय में एकजुट हुए।
सोमवार को सुबह नौ बजे से ही जीएमएस रोड स्थित यूजेवीएनएल मुख्यालय पर बिजली कर्मचारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। सुबह 11 बजे तक जीएमएस रोड पर सड़क के दोनों ओर प्रदेशभर से आए बिजलीकर्मियों के वाहन खड़े हो गए। मुख्यालय के गेट के बाहर बने पंडाल में सभी एकजुटता से बैठ गए। मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चार साल से वह हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन इस बार चुप नहीं बैठेंगे।
वहीं, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार की न नीयत है और न ही कोई नीति है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों का काम अंधेरें को खत्म कर रोशनी लाना है, लेकिन सरकार उनके जीवन में अंधेरा लाने की जिद पर अड़ी है। 40 साल से जो लाभ बिजली कर्मचारियों को मिलते आ रहे थे, वह 2017 के बाद से खत्म कर दिए गए। उन्होंने कहा कि वह हड़ताल नहीं चाहते, लेकिन सरकार उन्हें इसके लिए मजबूर कर रही है। सभा में उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी भी अपनी प्रांतीय कार्यकारिणी के साथ समर्थन देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों की सभी मांगें जायज हैं, वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
आंदोलनकारी बिजली कर्मचारियों की वजह से जीएमएस रोड पर दिनभर लंबा जाम लगा रहा। सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक तो यहां से वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया। हालांकि बाद में पुलिस ने ट्रैफिक की व्यवस्था संभाली, दोपहर तीन बजे तक यूजेवीएनएल मुख्यालय पर सत्याग्रह करने के बाद बिजली कर्मचारी उत्साह के साथ यूपीसीएल मुख्यालय तक रैली लेकर पहुंचे। नारेबाजी करते हुए कई बिजली कर्मचारी मुख्यालय के भीतर घुस गए। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें बाहर आने के लिए बोला तो वह नहीं माने। बाद में बिजलीकर्मियों और पुलिसकर्मियों के बीच धक्कामुक्की हुई। हालांकि फिर पुलिस ने उन्हें बाहर निकालकर धरनास्थल पर पहुंचा दिया।
ऊर्जाकर्मियों की मांगें
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं। 22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों के संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ परंतु आज तक उस समझौते पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऊर्जा निगम के कार्मिक इस बात से क्षुब्ध हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रही थी। यही नहीं पे मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी की गई। संविदा कार्मिकों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ।
विधायक कपूर से मिले स्वयं सहायता समूह बिजली कर्मचारी
स्वयं सहायता समूह (एसएचजी उपभोक्ता सेवा समिति) के विद्युत कर्मचारियों ने विधायक हरबंस कपूर से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि विभाग को काफी लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। बहुत ही कम वेतन मिलता है, जिसमें आज के महंगाई के दौर में गुजारा करना मुश्किल हो गया है। बिजली विभाग का कोई अधिकारी उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि कई कर्मचारी काम के दौरान अपनी जान गवां चुके हैं, उनके परिजनों को भी उचित मुआवजा नहीं दिया जाता है। दिन रात सेवा दे रहे कर्मियों को अवकाश की भी सुविधा नहीं है। न ही ओवर टाइम दिया जाता है। कर्मचारियों ने विधायक से मांग की कि उनकी समस्याओं को वह सरकार तक पहुंचाएं। इस दौरान विनोद कुमार, निशिकांत सोनकर, रवि ध्यानी, विकास कुमार, विजय कुमार, अनादि उप्रेती, मधु सूधन, सुरेश चौधरी, अमित कुमार, दिनेश, छोटे लाल, मनीष आदि मौजूद रहे।
रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने दिया समर्थन
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय कार्यकारिणी ने ऊर्जा निगम कर्मियों के आंदोलन को समर्थन दे दिया है। यूनियन के प्रांतीय महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि ऊर्जा कर्मियों की 14 सूत्री मांगों का अध्ययन किया गया। यह पाया गया कि यह सभी मांगें बिल्कुल सही हैं। लिहाजा, उन्होंने भी बिजलीकर्मियों की हड़ताल को समर्थन दे दिया है। उन्होंने उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा को समर्थन संबंधी पत्र भेजा।
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