Tuesday, November 26, 2024
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सुमन लता के गर्भाशय से निकला साढ़े 5 किलो का ट्यूटर

(प्रेम पंचोली)

देहरादून, मौजूदा वक्त में ईश्वर के रूप में हमारे सामने यदि कोई है तो आज के चिकित्सक ही हैं। स्वामी विवेकानंद धमार्थ चिकित्सालय धर्मावाला में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जो कभी गर्भाशय में भारी ट्यूमर के कारण जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी। वह आज नवजीवन लेकर अस्पताल से घर लौट चुकी है।

कालसी निवासी 32 वर्षीय सुमनलता एक बहुत गरीब परिवार की युवती है। जिसके गर्भाशय में भारी-भरकम ट्यूमर था। अन्य चिकित्सालय में वे उपचार इसलिए नही करवा पाई कि उनके परिवार के पास इस बीमारी की शैल्या चिकित्सा का खर्च उनके सामर्थ्य में नही था। हालांकि जैसे-जैसे उसका मर्ज बढ़ता गया उसने अपने इलाज के लिए अलग-अलग चिकित्सकों से परामर्श लिया। सर्वाधिक खर्च बढ़ने के कारण सुमनलता ने वापस देवी देवताओं के दरबार में माथा टेका। यहां भी असफलता मिलने पर अंततः सुमनलता को चिकित्सकीय उपचार की शरण मे लौटना पड़ा। मगर सुमनलता के सामने आर्थिक संकट फिर भी सबसे बड़ी चुनौती थी।

इधर सुमन लता को लोगों ने सलाह दी कि वह धर्मावाला स्थित स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय में उपचार करवा सकती है। यह अस्पताल गरीब और असहाय लोगों की सेवा के लिए तत्पर है। यही वजह रही कि सुमनलाता को स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय में भर्ती होना पड़ा। जहां इस गंभीर मामले को अपने हाथों में स्वयं चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सक डॉक्टर ताराश्री सिंघल ने ले लिया। उन्होंने बाकायदा अस्पताल के कुशल चिकित्सकों की एक विशेष टीम इस बावत गठित की है।

डॉ० ताराश्री सिंघल ने बताया कि 32 वर्षीय सुमनलता को लगभग डेढ़ महीने से अत्यधिक समय से माहवारी की समस्या थी। उन्होंने बताया कि रोगी का हीमोग्लोबिन का स्तर भी 2.6 था। जबकि बच्चेदानी 38 हफ्ते के बच्चे के बराबर हो चुकी थी। बावजूद इसके रोगी भी खुद अनभिज्ञ थी। जबकि रोगी का अल्ट्रासाउंड करवाने पर मालूम हुआ कि उसके बच्चेदानी में बहुत भारी रसौली है। इस स्थिति में रोगी को एक हफ्ते के लिए भर्ती किया गया।

इधर चिकित्सालय प्रशासन सुमनलता के लिए 6 यूनिट खून की व्यवस्था में जुट गया। इस तरह से सुमनलता को 6 यूनिट खून चढ़ाया गया। चिकित्सको ने बताया कि खून का स्तर सामान्य होने पर उन्होंने गत सप्ताह के अंतिम दिन डॉ. नरेंद्र चौहान, डॉ. वैभव प्रताप सिंह एवं एनेस्थेटिक डॉ. सी. बी. वर्मा द्वारा लगभग दो घंटे का कुशल ऑपरेशन किया गया, जहां उन्होंने सुमनलता के गर्भाशय से 5.5 किलोग्राम की रसौली बाहर निकालकर सुमनलता को नई जिंदगी दे दी।

उल्लेखनीय हो कि इस तरह के उपचार में एक भारी भरकम राशि चुकानी पड़ती है। मगर कालसी की सुमनलता की आर्थिक स्थिति को देखते हुए स्वामी विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय ने मामूली सी फीस लेकर इतना बड़ा उपचार व उपकार कर दिया। चिकित्सालय प्रशासन का कहना है कि यह अस्पताल सेवाभाव से संचालित किया जा रहा है। जहां ऐसी कोई परिस्थितियां सामने आती है तो अस्पताल हर वक्त लोगो की सेवा के लिए तत्पर है। चिकित्सको का यह भी कहना था कि सुमनलता को यदि अस्पताल आने में थोड़ा और देर होती तो यह उसके लिए जानलेवा हो सकता था।

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