नई दिल्ली (जेएनएन/एजेंसियां)। देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट लगातार पांव पसार रहा है। एएनआई की खबर के मुताबिक देश में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के कुल 40 मामले सामने आए हैं। इसको देखते हुए अब Indian SARS-CoV-2 Genomic Consortia (INSACOG) अब हर सप्ताह इसकी समीक्षा बैठक करेगा। इस बैठक में देश में आए मामलों और इसके खात्मे पर विचार विमर्श किया जाएगा। कई राज्य कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर सर्तक हो गए हैं। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड-19 के प्रबंधन के गठित टीम को दिशा-निर्देश दिया कि देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ से संक्रमित मरीज़ पाए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश को विशेष सतर्कता बरतनी होगी,जबकि मध्य प्रदेश में इससे एक मौत होने की खबर है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इसके पांच मामलों की पुष्टि अब तक हुई है। राज्य के एडिशनल चीफ सेक्रेट्री स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान के मुताबिक राज्य में जो वैक्सीन लोगों को दी जा रही है वो इस डेल्टा प्लस वैरिएंट पर भी कारगर है। स्वास्थ्य विभाग ने ये भी कहा है कि जिन पांच लोगों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के होने की पुष्टि हुई है उन सभी को वैक्सीन दी गई थी। हालांकि इनको अस्पताल में भर्ती करने की संभावनाओं से इनकार किया है। समाचार एजेंसी के मुताबिक मध्य प्रदेश ऐसा पांचवां राज्य है जहां पर एनसीडीसी ने वायरस के जिनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई है। मध्य प्रदेश में सामने आने वाले मामले यहां के उज्जैन, रायसेन, अशोक नगर और भोपाल जिले से हैं।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश देश के उन तीन राज्यों में शामिल है जहां पर कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरिएंट में हुए बदलाव और फिर सामने आने वाले डेल्टा प्लस वैरिंएट (AY.1) की पुष्टि हुई है। इसके अलावा केरल, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र में भी इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक तमिलनाडु में चेन्नई में एक नर्स डेल्टा वेरिएंट से पीडि़त पाई गई है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि 32 वर्षीय महिला एक अस्पताल में नर्स का काम करती है। राज्य की तरफ से जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए करीब 1159 सैंपल भेजे गए थे, जिनमें से 772 की जांच हो सकी है। इनमें डेल्टा प्लस वैरिएंट का एक मामला सामने आया है।
एएनआई की खबर के मुताबिक ICMR ने महामारी की तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट को कारण बताना जल्दबाजी होगी। आईसीएमआर के मुताबिक फिलहाल इसको लेकर चिंतित होने की भी जरूरत नहीं हैं। आइसीएमआर) के विज्ञानी और महामारी विज्ञान व संचारी रोग विभाग के कार्यक्रम अधिकारी डा.सुमित अग्रवाल के मुताबिक एमआरएनए वायरस में बदलाव होना उसकी एक सामान्य प्रवृत्ति है। इसको नियंत्रित भी नहीं किया जा सकता है। समय बीतने के साथ इसकी प्रवृति के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा। उनका ये भी कहा है कि आने वाले समय में इस वायरस में और बदलाव आ सकते हैं।
डेल्टा वैरिएंट के तीन लक्षणों में इसका तेजी से संक्रमण, हाई एफिनिटी है और इस पर मोनोक्लोनल एंटीबाडी थेरेपी के बहुत कारगर साबित न होने की बात सामने आई है। समाचार एजेंसी ने कुछ समय पूर्व स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से खबर दी थी कि केंद्र इस पर निगाह बनाए हुए हैं और इसको लेकर राज्यों को दिशा निर्देश भी दिए हैं। सरकार की तरफ से राज्यों को इसको काबू करने के सभी जरूरी कदम उठाने को भी कहा गया है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस डेल्टा वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कंसर्न की लिस्ट में शामिल किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, जापान, पौलेंड, रूस और चीन में भी सामने आ चुके हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसके मामले करीब 11 देशों में सामने आने की भी बात कही गई है |
गौरतलब है कि डेल्टा वैरिएंट सार्स-कोव-2 का बदला हुआ रूप था जिसका महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में सबसे अधिक प्रभाव देखने केा मिला था। इसी दौरान इस वैरिएंट में जो बदलाव सामने आया उसको डेल्टा प्लस AY.1 के नाम से जाना गया है। पीटीआई की एक खबर के मुताबिक देश के जाने-माने वीरोलॉजिस्ट शाहिद जमाल का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट न केवल डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों के साथ दिखाई देता है बल्कि इसमें दक्षिण अफ्रीका में पाए गए बीटा वैरिएंट (K417N) के भी लक्षण दिखाई देते हैं।
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