Monday, November 25, 2024
HomeNationalजम्मू-कश्मीर में नेताओं को करना होगा नई हकीकत का सामना, पिछले 23...

जम्मू-कश्मीर में नेताओं को करना होगा नई हकीकत का सामना, पिछले 23 महीने में बदल चुका है केंद्र शासित प्रदेश

नई दिल्ली, नीलू रंजन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में भले ही जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली और जल्द-से-जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग की गई हो और प्रधानमंत्री ने इसके लिए आश्वासन भी दिया हो, लेकिन अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद शुरू होने वाली राजनीतिक प्रक्रिया के दौरान नेताओं को नई हकीकत का सामना करना पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पिछले 23 महीने में केंद्र शासित प्रदेश पूरी तरह बदल गया है।

नई जन आकांक्षाओं को नजरअंदाज करना होगा मुश्किल

पिछले 23 महीने में न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में विकास की गति तेज हुई है, बल्कि केंद्रीय योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंच गया है। पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह के साथ समीक्षा बैठक में केंद्रीय योजनाओं का 90 फीसद लोगों तक पहुंचने का दावा किया गया। इसके अलावा पंचायत और नगर निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए आरक्षण और डीडीसी में महिलाओं के साथ-साथ एससी-एसटी के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई है। अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को गली मुहल्ले की समस्याओं से लेकर जिले के विकास के लिए पहले की तरह राज्य सरकार निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल कानून के तहत पैतृक संपत्ति की हिस्सेदारी में भेदभाव का सामना कर रही महिलाओं को देश के अन्य भागों की महिलाओं की तरह पुरुषों के समान अधिकार मिल गया है। ये ऐसे परिवर्तन हैं, जिन्हें आगे वापस करना मुश्किल होगा। पंचायतों और नगर निकायों को आर्थिक और कानूनी रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ जिला विकास परिषदों (डीडीसी) का गठन और उनके लिए स्वतंत्र चुनाव विकास योजनाओं में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में सबसे अहम साबित हो रहा है।

जम्मू-कश्मीर में सभी विकास योजनाएं राज्य स्तर पर तैयार की जाती थीं और उनमें जनता की आकांक्षाओं और भागीदारी का कोई स्थान नहीं था। विकास योजनाओं को तैयार करने और लागू करने की जिम्मेदारी संभालने के कारण जम्मू-कश्मीर में डीडीसी की अहमियत को कम करना संभव नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर को देर-सबेर पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना तय है और परिसीमन के बाद चुनाव भी हो जाएंगे। लेकिन आने वाली सरकारों को अब जनता की नई आकांक्षाओं के अनुरूप काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

विकास और भागीदारी का स्वाद चख चुकी जनता को अब सिर्फ स्वायत्तता और आजादी के नाम पर बरगलाना मुश्किल होगा। जम्मू-कश्मीर के नेता भी इस नई जमीनी हकीकत को समझने लगे हैं। शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक में इन नेताओं ने अनुच्छेद 370 पर नरमी दिखाई और परिसीमन पर पूरी तरह से सहयोग का आश्वासन भी दिया।(जागरण )

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments