देहरादून, भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC) के निदेशक के रूप में डा. एम. मधु ने पदभार ग्रहण कर लिया है। उन्होंने इस संस्थान में 1993 से विभिन्न पदों पर कार्य किया है, जिसमें केंद्राध्यक्ष, अनुसन्धान केंद्र, उधगमंडलम, तमिलनाडू, प्रधान वैज्ञानिक, देहरादून एवं केंद्राध्यक्ष, अनुसंधान केंद्र, कोरापुट, उड़ीसा प्रमुख है।
डा. मधु मूल रूप से संरक्षण सस्य विज्ञान के विशेषज्ञ है पर अन्य क्षेत्र जैसे की प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (NRM), समेकित जलागम प्रबंधन (IWM), मृदा और जल संरक्षण, समेकित और उन्नत खेती एवं सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी पारंगत है और देश के विभिन्न कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों में 25 वर्षों की समर्पित सेवा भी दी है।
उन्होंने अपने नवप्रवर्तक विचारों एवं समर्पण भाव से कृषि अनुसंधान और कृषक समुदायों को सेवा दी है। डा. मधु को अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और उच्च स्टार के शोध प्रकाशन उनके समर्पण और योगदान को दर्शाते है । डा. मधु प्रतिष्ठित USDA ग्लोबल रिसर्च अलायंस (GRA) फैलोशिप प्रोग्राम -2011, वसंतराव नाइक अवार्ड -2013, IASWC गोल्ड मेडल -2010, IASWC-Fellow-2014, ICAR- टीम रिसर्च अवार्ड -2017, डा. के जी तेजवानी अवार्ड 2016-17, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय गोल्ड मेडल और डा. एचआर अराकेरी गोल्ड मेडल आदि पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया है । उन्होंने खेती और संसाधन संरक्षण के विभिन्न क्षेत्रों पर 200 से अधिक उच्च श्रेणी शोध प्रकाशित किए है ।
डा. मधु ने आश्वासन दिया कि संस्थान के वैज्ञानिक और कर्मचारी प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, देश की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों और किसानों के कल्याण के लिए उपयुक्त तकनीकों को विकसित करना जारी रखेंगे।
संस्थान के वैज्ञानिक और कर्मचारी डा. मधु के सक्रिय एवं सक्षम नेतृत्व में संस्थान के अनुसंधान और विकासात्मक गतिविधियों, विशेष रूप से मिट्टी-जल संरक्षण की समस्याओं से निपटने के लिए अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श में निरंतर कार्य करने को तत्पर है । देश भर में संस्थान के स्थित आठ अनुसंधान केंद्रों; आगरा, बल्लारी, चंडीगढ़, दतिया, कोरापुट, कोटा, उधगमंडलम और वासद भी उनके कुशल नेतृत्व में प्रगति करेंगे।
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