नई दिल्ली, कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसॎनों के बीच सुहल होने संभावना पर रार बढ़ती जा रही, मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और कुछ किसान नेताओं के बीच रात हुई बैठक विफल रहने के बाद सरकार और किसान यूनियनों के बीच बुधवार(आज) प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता अधर में लटक सकती है, जबकि सरकार की ओर से बुधवार की वार्ता के संबंध में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है लेकिन अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद कुछ किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्तावित बैठक में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता। इन नेताओं ने कहा कि सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद ही अगले कदम पर निर्णय लिया जाएगा।
मंगलवार करीब आधी रात को समाप्त हुई बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, शाह जी ने कहा कि सरकार जिन संशोधनों के पक्ष में हैं उन्हें कल लिखित में देगी। हम लिखित संशोधनों को लेकर सभी 40 किसान यूनियनों से चर्चा करने के बाद बैठक में शामिल होने के बारे में फैसला लेंगे।
हन्नान मोल्लाह ने कहा कि बुधवार हो सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक नहीं होगी। सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं है। मंत्री (अमित शाह) ने कहा है कि बुधवार को किसान नेताओं को प्रस्ताव दिया जाएगा। बुधवार को किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर इस प्रस्ताव को लेकर बैठक करेंगे, एआईकेएस नेता एवं माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि हम बुधवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर दोपहर 12 बजे किसान नेताओं की बैठक होगी।
हन्नान मोल्लाह ने कहा, अमित शाह ने हमसे कहा कि सरकार जो संशोधन करना चाहती है वह उसे लिखित में देगी और हम तीनों कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं, बीच का कोई रास्ता नहीं है। शाह के साथ बैठक में मौजूद सभी 13 यूनियनों ने कानूनों को रद्द करने की मांग की, अन्य के साथ चर्चा करके हम अगले दौर की वार्ताओं के संबंध में निर्णय करेंगे।
गौरतलब हो कि कृषि सुधार कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों से छठे दौर की वार्ता से ठीक एक दिन पहले मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गतिरोध समाप्त करने के प्रयासों के तहत किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की। 13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया गया था। बैठक रात आठ बजे आरंभ हुई। किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे।
बैठक में शामिल नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत भी शामिल रहे। कुछ किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें पहले इस बैठक के शाह के आवास पर होने की उम्मीद थी, लेकिन यह राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, पूसा में हुई।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। हालांकि बैठक को लेकर किसान संगठनों के बीच असंतोष के स्वर उभरने लगे। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने निर्धारित वार्ता से एक दिन पहले शाह के साथ बैठक को लेकर सवाल उठाया। प्रदर्शनरत किसान संगठनों में यह सबसे बड़ा संगठन है। बैठक में राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, हनन मोल्लाह, शिवकुमार हक्का, बलबिर सिंह, जगजीत सिंह, रुलदू सिंह मानसा, मंजीत सिंह राय, बुट्टा सिंह बुरूजगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल, दर्शन पाल, कुलवंत सिंह संधू और भोग सिंह मानसा शामिल थे |
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