✒️चन्द्रशेखर पैन्यूली
टिहरी, वर्ष 2020 नवम्बर माह की 8 तारीख प्रतापनगर के इतिहास में सदैव के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गयी, इधर डोबरा चांठी पुल का मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा किया गया उद्घाटन, उधर प्रतापनगर और गाजणा की लगभग 2 लाख की जनसंख्या का करीब डेढ़ दशक पुराना सपना हुआ पूरा, पुल उद्घाटन में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल,राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत,सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह,विधायक प्रतापनगर विजय पँवार,विधायक टिहरी शक्ति लाल शाह,विधायक टिहरी धन सिंह नेगी,जिला पंचायत अध्य्क्ष सोना सजवाण आदि प्रमुख नेता मौजूद रहे, पुल के उद्घाटन के लिए सम्पूर्ण क्षेत्रवासियों को बहुत बहुत बधाई। आज के दिन यानि डोबरा-चांठी पुल के बारे में कहाँ से लिखूं क्या लिखूं कुछ समझ नही आ रहा है,क्योंकि इस पुल के उद्घाटन के साथ ही हमारी वर्षों पुरानी मांग जो पूरी हुई है,एक ऐसी मांग जिसके लिए हमारे क्षेत्र के लोगों ने बड़ी तपस्या की, बड़ी प्रतीक्षा की, बहुत आन्दोलन किये,धरना ,प्रदर्शन,रैलियां, भूख हड़ताल, क्रमिक अनशन आदि सभी कुछ किए, आज जब पुल उदघाटन हो गया है तब मन खुश भी है और भावुक भी,कि आखिर 21वी सदी में हमारा प्रतापनगर क्षेत्र अब विकास की मुख्यधारा में शामिल हो ही गया,
आखिर हमारे क्षेत्र से जिला मुख्यालय नई टिहरीऔर प्रदेश की राजधानी देहरादून के लिए सफर आसान और सुगम हुआ है,अब जबकि पहले स्यांसु भैंगा के रास्ते लम्बगांव जाने में लगभग 20 किमी अधिक का सफर तय करना होता था लम्बगांव जाने के लिए तो वहीं टिहरी डैम से होकर पीपलडली,रजाखेत धारकोट होते हुए तकरीबन 30 किमी अधिक फेर से लम्बगांव पहुंचते थे,वो भी इन दोनों रूटों से सिर्फ छोटे वाहन ही आते जाते थे,बड़ी बस या बड़े मालवाहक ट्रक या तो उत्तरकाशी, सकुरणा होते हुए वाया धौंत्री लम्बगांव पहुंचते थे या फिर घनसाली,चमियाला,केमुण्डा खाल होते हुए लम्बगांव पहुंचते थे,इस पुल के बनने से अब ये सब फेर खत्म होकर हमारा आवागमन का मार्ग सरल हुआ है।आवागमन बहुत दूर से या लम्बा होने के कारण प्रतापनगर क्षेत्र में तमाम कर्मचारी नौकरी करने को तैयार नही होते थे या यहाँ से ट्रांसफर करने में लगे रहते थे,क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के खराब हालात होने के कारण यदि किसी भी इमरजेंसी में या दुर्घटना होने पर किसी मरीज को ऋषिकेश, नई टिहरी ले जाना होता था तो आवागमन लम्बा होने के कारण कई बार रास्ते में ही इलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ देते थे,अब किसी भी आकस्मिक सेवा में पुल बन जाने के बाद जल्द नई टिहरी या ऋषिकेश देहरादून पहुंचा जा सकेगा।
इस पुल के बन जाने से प्रतापनगर या गाजणा के लोगों को जो अतिरिक्त दूरी तय करनी होती थी उससे छुटकारा मिला है तो वहीं दूरी और समय कम होने के कारण ऋषिकेश, चम्बा नई टिहरी के किराए मालभाड़े में भी कमी होनी ही चाहिए इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों,क्षेत्रीय विधायक समेत सभी प्रतिनिधियों को जल्द पहल करनी चाहिए, जब लम्बगांव से ऋषिकेश की दूरी और समय घटा है तो किराया भी कम होना ही चाहिए।
अब जरा बात करता हूँ इस पुल के अस्तित्व में आने की,आखिर देश के सबसे बड़े संस्पेंशन ब्रिज जिसकी मुख्य लम्बाई 440 मीटर ,तो वहीं एकतरफ यानि डोबरा की तरफ 260 मीटर आरसीसी तो चांठी की तरफ 25 मीटर स्टील गार्डर भी है,कुल मिलाकर पुल 725 मीटर लम्बा है जिसको बनने में तकरीबन 300 करोड़ रुपये खर्च हुए ऐसी खबरें हैं।इस पुल के निर्माण की मांग टिहरी बांध की टनल बन्द होने के बाद झील के बन जाने के बाद जोर शोर से उठने लगी,2006 में जब भलड़ियाना मोटर पुल जो कि प्रतापनगर क्षेत्र को भारी वाहनों के या छोटे वाहनों के आने जाने का एकमात्र विकल्प था जब वो पुल डूबा तब क्षेत्र के लोग एकदम से विकास की मुख्यधारा से कट गए,तब क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों और नागरिकों को भी महसूस हुआ कि ये तो हमारे साथ बहुत बड़ा धोखा हो गया कि हमारे आवगमन के साधन खत्म हो गए और हमारे लिए आर पार जाने के लिए कोई पुल तक है ही नही,पहले जब भलड़ियाना पुल था तो भलड़ियाना, डांग, बैलगॉव,उप्पू ,सिराईं के लोग मोटना,ग्वाड़, रौलाकोट,चांठी आदि गॉव में सुबह शाम आवगमन करते थे,इतना आसान था कि यदि सुबह की चाय मोटना या ग्वाड़ में पी तो नास्ता भलड़ियाना जाकर करते थे यानि पैदल ही बमुश्किल 30 मिनट ही लगते थे,लेकिन ज्यों ही पुल डूबा भागीरथी के आर पार के बहुत नजदीक के गॉव भी बहुत दूर हो गए,ऐसी स्थिति आने पर 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व नारायण दत्त तिवारी और तत्कालीन प्रतापनगर विधायक स्व फूल सिंह बिष्ट के कार्यकाल में डोबरा चांठी पुल की नींव पड़ी थी जिसको तब 90 करोड़ में और डेढ़ वर्ष में बन जाना था लेकिन तबसे शुरू हुआ ये 14 वर्षों का बनवास आज जाकर खत्म हुआ, ये पुल प्रतापनगर में हर विधानसभा चुनाव में मुख्य चुनावी मुद्दा भी होता रहा है कई बड़े बड़े धुरंधरों ने इसके जल्द निर्माण के तमाम दावे समय समय पर किये।2006 में भलड़ियाना पुल डूब जाने के बाद लम्बे समय तक प्रतापनगर की जनता ने भलड़ियाना में नाव से आर पार करके सफर किया
तब जब पीपलडॉली,स्यांसु झूला पुल बने तब से अभी तक एक लम्बे फेरे से प्रतापनगर के लोग वहीं से आवगमन करते रहे हैं, बड़े वाहन का पुल न होने से हमारे क्षेत्र में न तो रोडवेज और न ही विश्वनाथ या कोई बड़ी बस सेवा ऋषिकेश देहरादून या दिल्ली से आती थी,अब जबकि पुल आज से शुरू हो गया है अब जल्द हमारे क्षेत्र को देहरादून से 2 रोडवेज जिनमे एक प्रतापनगर तो एक रजाखेत तक जाएगी की शुरुआत होने की खबर भी है तो वहीं देहरादून से विश्वनाथ सेवा सीधे प्रतापनगर के लिए शुरू हो रही है।हम क्षेत्रवासी चाहते है पांचवें धाम सेम मुखेम के लिए एक रोडवेज सेवा दिल्ली से तो गाजणा के कमद तक देहरादून से एक रोडवेज बस संचालित हो,तो वहीं भैंतलाखाल और आबकी तक भी रोडवेज सेवाओं की शुरुआत हो,वहीं श्रीनगर गढ़वाल से घनसाली ,चमियाला ,केमुण्डाखाल होते हुए सेम मुखेम के लिए एक रोडवेज सेवा चले।
अब पुनः इस डोबरा चांठी पुल के निर्माण की तरफ आता हूँ,बातें और यादे तो बहुत है इसके निर्माण की लेकिन सम्भवत उतना सब न मैं लिख सकूंगा और साथ ही बहुत लंबा भी हो जाएगा,मुझे वो दिन भी याद है जब 2006 में भलड़ियाना पुल डूबने के बाद नाव सेवा की शुरुआत की गई तत्कालीन विधायक स्व फूल सिंह बिष्ट जी समेत कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने नाव संचालन की शुरुआत की,तब देवी सिंह पँवार,विजय राणा,सब्बल सिंह राणा,मुरारीलाल खण्डवाल जिला पंचायत के प्रभावशाली सदस्य प्रतापनगर क्षेत्र से हुआ करते थे तो उदय रावत,राकेश राणा,विजय पोखरियाल ,राजीव सेमवाल, केशव रावत आदि युवा कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हुआ करते थे,नाव की शुरुआत के साथ क्षेत्र के लोगों को लगने लगा कि टिहरी बांध की झील हमारे लिए कालापानी की सजा हो चुकी है हम एकदम से अलग थलग पड़ चुके हैं, तो 2006 में लम्बगांव के शहीद स्थल पर एक बड़ा आंदोलन हुआ भूख हड़ताल हुई,तब मैं इंटरमीडिएट का छात्र था और राइका लम्बगांव में जनरल मॉनिटर हुआ करता था,जो तब आंदोलन हुआ था उसकी मुख्य मांग प्रतापनगर को ओबीसी करवाने और डोबरा चांठी पुल सहित प्रतापनगर में शिक्षा,स्वास्थ्य,सड़क,बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ करना ही था,
उस आंदोलन में रोशनलाल सेमवाल ,देवी सिंह पँवार,चंद्रभानु बगियाल,सोहनपाल पँवार,बलवीर असवाल,गैणा सिंह बगियाल आदि कई नेता प्रमुख रूप से रहे मुझे भी कई दिनो तक आन्दोलन में शामिल होने का अवसर मिला,तब तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर सुभाष कुमार लम्बगांव आए थे।तब डिग्री कॉलेज लम्बगांव के छात्र नेताओं जिनमे सोहन रांगड़,भूपेश कंडियाल,प्रदीप रावत,विक्रम बिष्ट आदि लोगों ने प्रतापनगर, गाजणा की समस्याओं को लेकर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई,हमारे इंटर कॉलेज के मित्रों जिनमें दीपक,अनुज,राकेश, विनय,धनवीर,
आशीष,अभिषेक,पंकज ,अमित आदि थे तब हमने इस आंदोलन को बड़ा समर्थन लम्बगांव में दिया, असल मे स्कूल और बाजार को बंद करवाने की जिम्मेदारी हमारी ही हुआ करती थी,उसके बाद पुल निर्माण शुरू हुआ आमने सामने खम्बे खड़े हुए तब हमें लगा जल्द पुल बन जायेगा,लेकिन वर्षो तक यही खम्बे रहे, उसके बाद एक इंजीनियर समेत मजदूर की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ट्रॉली टूटने से हुई,फिर सुनने में आया कि पुल का डिजाइन फेल हो गया,कभी कार्य को रोके जाने की खबर आई,कभी कुछ तो कभी कुछ आखिर आज वो पल आ ही गया जब तमाम लोगों की उम्मीदें साकार हुई,तमाम आंदोलनकारियों के संघर्षों की जीत हुई है।
आज तमाम लोग श्रेय ले रहे हैं लेकिन ये न भूलें इस पुल के लिए लम्बगांव,डोबरा,भामेश्वर मंदिर ही नही बल्कि देहरादून, दिल्ली तक आंदोलन हुए जो बराबर मीडिया की सुर्खियां बनी और राष्ट्रीय मीडिया तक मे डोबरा चांठी पुल आया, मुझे याद है जब मैं दिल्ली में पत्रकारिता में कार्यरत था तब दिल्ली के गढ़वाल भवन से लेकर,नोएडा तक मे हम प्रतापनगर के लोगों ने डोबरा चांठी पुल के लिए आंदोलन किये विभिन्न केंद्रीय नेताओ मंत्रियों से मिले जिनमे बीसी खंडूरी,हरीश रावत,प्रदीप टम्टा,भगत सिंह कोश्यारी,माला राज्य लक्ष्मी शाह आदि को कई बार ज्ञापन दिए,दिल्ली में डोबरा चांठी पुल के संयोजक प्रतापनगर के निवासी राजेश्वर पैन्यूली, प्रताप थलवाल, राजपाल पँवार,दुर्गा सेमवाल,भगवान सिंह पोखरियाल,विजय रावत,प्रकाश बिष्ट,ममता काला,पंकज पैन्यूली आदि लोगो के साथ समय समय पर आंदोलन किये।आज के समय भले ही लोग भूल जाएं कि इस पुल के मुद्दे को प्रमुख रूप से किसने उठाया या स्वयं को ही श्रेय दें,लेकिन नई टिहरी,लम्बगांव, उत्तरकाशी, घनसाली ,ऋषिकेश आदि के पत्रकारों को भली भांति पता है कि किसने डोबरा चांठी पुल निर्माण हेतु तमाम RTI या विभिन्न जानकारियों को एकत्रित करके पुल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,खैर ये राजनीति का एक हिस्सा होता है कि जब जिसका समय हो वो प्रभावशाली होता है,2006 में टिहरी के सांसद दिवंगत महाराजा मानवेन्द्र शाह थे उनके निधन के बाद विजय बहुगुणा सांसद बने जिनके प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव के बाद से अभी तक माला राज्य लक्ष्मी शाह टिहरी से सांसद है,तो उत्तराखंड में भी तब नारायण दत्त तिवारी के बाद ,बीसी खंडूरी,रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा,हरीश रावत और अभी त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री है,2006 के बाद क्षेत्र में 2007 से 12 तक विजय पँवार गुड्डू तो 2012से 17 तक विक्रम नेगी विधायक रहे तो वहीं 2017 से अभी विजय पँवार विधायक है,वहीं 2006 में प्रतापनगर की प्रमुख विजयलक्ष्मी थलवाल के बाद 2008 से 2013 तक पूरण चंद रमोला,तो 2014 से 2019 तक रेशमा बगियाल प्रतापनगर में ब्लॉक प्रमुख रही,तो 2019 से आज तक प्रदीप रमोला ब्लॉक प्रमुख है,तब से अब तक सैकड़ो प्रधान,बीडीसी सदस्य ,जिला पंचायत सदस्य अपने अपने कार्यकाल में आते रहे हैं,कुल मिलाकर डोबरा चांठी पुल ने प्रदेश तमाम बड़े बड़े दिगज्ज नेताओं के कार्यकाल को देखा है,तमाम समय पर कई आंदोलनों का गवाह रहा है,और तमाम राजनीतिक दलों नेताओ को देखते हुए अब जाकर आज ये पुल जनता के लिए विधिवत उदघाटन के साथ खुल चुका है,
जिससे क्षेत्र में हर्ष और खुशी का माहौल है।2006 के बाद क्षेत्र में तमाम जनप्रतिनिधियों ने समय समय पर डोबरा चांठी पुल के लिए आंदोलनों में भाग लिया,उन सभी आंदोलनकारियों को भी बधाई जिन्होंने जगह जगह और समय समय पर डोबरा चांठी पुल निर्माण की मांग को उठाया,उन सभी महान इंजीनियरिंयों मजदूरों को भी नमन जिन्होंने दिनरात काम करके पुल को बनाया,और आज उन्ही के बनाये गए एक विशाल पुल के ऊपर हम सभी का आवागमन सम्भव हो सका है।आज प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ,विधायक विजय सिंह पँवार जी समेत तमाम नेता जो उदघाटन समारोह में शामिल रहे वो सभी एक स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं, इस पुल के उदघाटन के साथ ही प्रतापनगर के लोगों का वनवास भी खत्म हुआ, आज हमारे क्षेत्र के लिए दीवाली और होली जैसा जश्न का दिन है
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