नई दिल्ली, । देश में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की पहुंच बढऩे से पहली बार लोन लेने वाले लोंगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यह जानकारी एक रिसर्च पेपर में दी गई।
आईआईएम और आईएसबी के प्रोफेसर्स द्वारा तैयार किए गए पेपर में कहा गया कि 2016 में लॉन्च हुए यूपीआई से देश के फाइनेंशियल सेक्टर में बड़ा बदलाव लाया है। पिछले साल अक्टूबर तक इससे 30 करोड़ से ज्यादा लोग और 5 करोड़ से ज्यादा मर्चेंट्स इससे जुड़े हुए थे। भारत में होने वाले कुल रिटेल डिजिटल लेनदेन में से 75 प्रतिशत यूपीआई के माध्यम से किए जा रहे हैं।
स्टडी में आगे कहा गया कि इस छोटी अवधि में यूपीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर बड़ा असर डाला है और इसका इस्तेमाल रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर बड़े शॉपिंग मॉल में किया जा रहा है।
पेपर के मुताबिक, यूपीआई के जरिए वचिंत लोगों तक सेवाओं का विस्तार करने में मदद मिली है, जिसमें सबप्राइम और पहली बार औपचारिक लोन लेने वाले लोग भी शामिल है।
पेपर में कहा गया,जिन इलाकों में यूपीआई की पहुंच काफी ज्यादा है। वहां पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या 4 प्रतिशत और सबप्राइम उधारकर्ताओं की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अतिरिक्त इन इलाकों में फिनटेक लोन का औसत साइज 27,778 रुपये है, जो कि ग्रामीण मासिक खर्च से करीब 7 गुणा ज्यादा है।
लेखकों ने कहा कि यूपीआई की पहुंच के कारण फिनटेक लोन कंपनियों ने तेजी से विस्तार किया, जिससे उनके लोन की वॉल्यूम में 77 गुना की बढ़ोतरी हुई है और छोटे, वंचित उधारकर्ताओं को लोन देने के मामले में वे पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे हैं। साथ ही कहा कि देश में यूपीआई को तेजी से अपनाने के पीछे एक बड़ा कारण किफायती इंटरनेट का होना है।
लेखकों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यूपीआई अपनाने से लोन वृद्धि में काफी बढ़त मिली है। यूपीआई लेनदेन में 10 प्रतिशत की वृद्धि से लोन उपलब्धता में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो दिखाता है कि कैसे वित्तीय इतिहास ने लोन कंपनियों को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में सक्षम बनाया है।
पेपर में इस बात भी जोर दिया गया कि लोन बढऩे के बावजूद भी डिफॉल्ट रेट में इजाफा नहीं हुआ है, जो दिखाता है कि यूपीआई लेनदेन से जुड़े डेटा ने फिनटेक कंपनियों को जिम्मेदारी के साथ विस्तार करने में मदद की है।
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