•केंद्र सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के समर्थन में ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) एलायंस के कार्यक्रमों में उत्तराखंड में हजारों लोग हुए शामिल
• पूरे राज्य में निकाले गए पैदल मार्च में बड़ी तादाद में शामिल बाल विवाह पीड़ितों, पुलिस अफसरों, शिक्षकों, अभिभावकों व पंचायत प्रतिनिधियों ने ली बाल विवाह की रोकथाम की शपथ
•’जेआरसी’ एलायंस पूरे देश में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है
•एलायंस ने 2023 से अब तक पूरे देश में 2,50,000 से भी ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं
देहरादून। केंद्र सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान पर उत्तराखंड के बाजारों, स्कूलों, गांवों और कस्बों में हजारों लोग ढोल नगाड़ों के साथ सड़कों पर उतरे और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) एलायंस के जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल होकर इसका समर्थन किया। राज्य के तीन जिलों के 250 गांवों में लोगों ने जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया और बाल विवाह के खिलाफ मशाल जुलूस निकाले एवं रैलियां की। एक सामाजिक उद्देश्य के लिए एकजुटता के अभूतपूर्व प्रदर्शन मेंपुलिस स्टेशनों, अदालतों, पंचायत सदस्यों, धार्मिक नेताओं, स्कूली बच्चों, शिक्षकों, धर्मगुरुओं, हलवाइयों और बाल विवाह पीड़ितों ने इस बुराई को समाप्त करने और कहीं भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देने की शपथ ली। बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए 250 से भी अधिक गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस बाल विवाह के खात्मे के लिए उत्तराखंड के तीनजिलों में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के साथ काम कर रहा है। ‘जेआरसी’ एलायंस ने कानूनी हस्तक्षेपों और परिजनों को समझा बुझा कर अब तक देश में 2,50,000 से अधिक बाल विवाह रोके हैं।
इस दौरान पूरे राज्य में हुए कार्यक्रम प्रतिज्ञाओं से गूंज उठे, “मैं बाल विवाह के खिलाफ हरसंभव प्रयास करने की शपथ लेता हूं। मैं यह सुनिश्चित करने की शपथ लेता हूं कि मेरे परिवार, पड़ोस या समुदाय में कोई बाल विवाह नहीं होगा। मैं बाल विवाह के किसी भी प्रयास की रिपोर्ट पंचायत और सरकारी अधिकारियों को करने की प्रतिज्ञा करता हूं।”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएचएफएस 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 18 से 24 आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का बाल विवाह हो जाता है जबकि उत्तराखंड में यह आंकड़ा 9.8 प्रतिशत है। बाल विवाह की पीड़ित बच्ची का पूरा जीवन दासता में गुजरता है और उसके लिए स्वतंत्रता के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं। साथ ही, बाल विवाह महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है।
इस राष्ट्रव्यापी अभियान की सराहना करते हुए ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जेआरसी) एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए शुरू किए गए इस अभियान को पूर्ण समर्थन देते हुए सरकार के प्रयासों में हरसंभव सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा, “करोड़ों माताओं और बच्चियों की पीड़ा और विषम परिस्थितियों से जूझने के उनके जीवट के साथ ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस के हमारे 250 से भी ज्यादा संगठनों के सहकर्मियों के अनथक देशव्यापी प्रयासों से आज हम इस ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचे हैं। आज आगे बढ़ते हुए हम राज्य की सरकार से उम्मीद करते हैं कि सभी हितधारकों के साथ साझेदारियों का लाभ उठाते हुए बचाव, सुरक्षा और अभियोजन की एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देगी जो लोगों के व्यवहार में स्थायी बदलाव लाने में सहायक होगा।”
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करते हुए देश के नागरिकों से बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों में सहभागिता का आह्वान किया। इस दौरान उन्होंने देशभर की पंचायतों व स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
आगामी महीनों में इस अभियान को उत्तराखंड के एक-एक जिले, ब्लॉक और गांव तक पहुंचाने के लिए जेआरसी के सदस्य सरकार के साथ निकटता से कार्य करेंगे। गठबंधन को विश्वास है कि यह अभियान जमीनी स्तर पर ग्राम पंचायतों के साथ मिलकर बाल विवाह के खिलाफ प्रयासों को और गति देगा तथा समाज के सभी हितधारकों के सहयोग से जनता को जागरूक कर इस अपराध के खात्मे में सहायक होगा।
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