Thursday, November 14, 2024
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हिन्दी एक भाषा नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा है : मुख्यमंत्री धामी

देहरादून, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिंदी एक भाषा ही नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा भी है, रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी प्रेक्षागृह, देहरादून में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित ’हिंदी दिवस समारोह—2024’ में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की पुस्तक ट्टट्ट उत्तराखण्ड की लोक कथाएं ’’ का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कविता लेखन, कहानी लेखन, यात्रा वृतान्त लेखन और नाटक लेखन प्रतियोगिता के प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले छात्र—छात्राओं को पुरस्कृत किया और बोर्ड परिक्षाओं में हिन्दी में सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले विघार्थियों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी भाषा के उत्थान और संवर्धन के लिए अहम योगदान देने वाले लोगों का मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हिंदी एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के गौरव का अवसर है। हिंदी एक भाषा ही नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा भी है। हिंदी ने हमारे समाज को जोड़ा है और हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है। विश्व पटल पर हिंदी ने हमें विशेष स्थान दिलाया है। हिंदी केवल हमारे लिए संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि हमारी अस्मिता, संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक भी है। हिंदी ने विविधता से भरे हमारे समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। सहजता, सरलता और सामर्थ्य से परिपूर्ण हिंदी में समन्वय की अदभुत क्षमता है। हिंदी की कीर्ति केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह संवाद का एक प्रमुख सेतु बन चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी का अध्ययन किया जा रहा है। हिंदी ने समाज में जागरूकता लाने में भी अहम भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक हिंदी सामाजिक चेतना का भी प्रमुख माध्यम रही है। स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदी संघर्ष की भाषा बनी और देशवासियों को एक सूत्र में बांधने में अहम भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हिंदी के उत्थान के लिए निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने हिंदी भाषा के संवर्धन के लिए उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा कई सारे नवाचार किये हैं और नवाचार के माध्यम से लोगों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। यह प्रयास भाषायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भाषाओं और परंपराओं के प्रति समर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए ’उत्तराखंड गौरव सम्मान’ के तहत उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है। उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना के तहत 17 साहित्यकारों को अनुदान प्रदान किया गया है जो कि हमारे लेखकों के लिए भी प्रेरणा है।

 

 

जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार पर हुई चर्चा

देहरादून, “जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के विरुद्ध संवैधानिक अधिकार” पर एक पैनल चर्चा को दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया । यह चर्चा ‘उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज ऑन क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन’ के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी।
इस कार्यक्रम का आयोजन सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के सहयोग से किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने एमके रंजीत सिंह बनाम भारत संघ (2024) के सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ नागरिकों के मौलिक अधिकारों की मान्यता पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम की शुरुआत दून लाइब्रेरी के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी के स्वागत सम्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने ‘उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज’ पहल का संक्षिप्त परिचय दिया और सम्मानित पैनलिस्टों का स्वागत किया।

पैनल चर्चा का संचालन गौतम कुमार, सहायक प्रोफेसर, यूपीईएस स्कूल ऑफ लॉ और एसडीसी फाउंडेशन के फेलो द्वारा किया गया। गौतम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2021 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संदर्भ में दी गई ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने के आदेश से चर्चा की शुरुआत की।
अमन रब, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानूनी सलाहकार ने निर्णय के कानूनी आयामों पर प्रकाश डाला। वर्षा सिंह, वरिष्ठ पत्रकार ने जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर विशेष रूप से स्कूली बच्चों के संदर्भ में बात की।

डॉ. हर्ष डोभाल, विजिटिंग प्रोफेसर, दून विश्वविद्यालय ने इस मान्यता प्राप्त अधिकार के सामुदायिक प्रभावों के बारे में बात की और बताया कि जलवायु परिवर्तन विभिन्न सामाजिक समूहों को कैसे अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। आदित्य रावत, सहायक प्रोफेसर, यूपीईएस, ने इस निर्णय की व्याख्या की और इसके मानव केंद्रित दृष्टिकोण पर सवाल उठाया। पैनल चर्चा के दौरान दर्शकों, जिनमें देहरादून की विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र, सिविल सोसाइटी के सदस्य, वकील और प्रोफेसर शामिल थे, ने गहन रूप से पैनलिस्टों के साथ संवाद किया। चर्चा के दौरान पर्यटन के कारण जलवायु की असुरक्षा और सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए, और कैसे सिविल सोसाइटी के साथ सहयोग से इन मुद्दों को सुलझाया जा सकता है।अंत में अनूप नौटियाल ने चर्चा के मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन दिया।

इस मौके पर एसपी सुबुधी, निदेशक, राज्य पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय, उत्तराखंड सरकार, प्रोफेसर एचसी पुरोहित, डॉ. एसपी सती, डॉ. राजेंद्र कठैत , वैशाली सिंह, जया सिंह, राजेंद्र कोशियारी , अरुणिमा नैथानी, एकता सती, जगमोहन मेंहदीरत्ता, अभिनव सिंह, ब्रिगेडियर खाती (सेवानिवृत्त), प्रतीक पंवार, संजय श्रीवास्तव, परमजीत सिंह कक्कड़, हरि राज अवं दून विश्वविद्यालय, दून लाइब्रेरी, यूपीईएस, ग्राफिक एरा के छात्र और कई अन्य प्रमुख लोग  पैनल चर्चा के दौरान उपस्थित थे।

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