Friday, September 20, 2024
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हम जनता की लड़ाई लड़ रहे, पंचायतें ही बना सकती आत्मनिर्भर उत्तराखंड : मर्तोलिया

-पहाड़ की जमीन, पर्यावरण तथा बेटियों को बचाने के लिए समर्पित होगा बड़ा कार्यकाल

-कम बजट में भी पंचायतें विधायी संस्थाओं से आगे

उत्तरकाशी, उत्तराखंड़ त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि हम उस जनता की लड़ाई लड़ रहे है, जिसने हमें 5 साल कार्य करने के लिए चुना था। कहा कि राज्य के विधायक अपने वेतन और भत्ता बढ़ाने के लिए राजनीतिक दीवारों को तोड़कर एकजुट हो जाते है। लेकिन हम इस उत्तराखंड के जमीन, पर्यावरण तथा बेटियों को बचाने के साथ आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाने के लिए एकजुट हुए है। दावा किया कि इसके परिणाम अगले दो वर्ष में उत्तराखंड की जनता को दिखेगा।
उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण 2 साल तक पंचायत की बैठक नहीं हुई। पंचायत में बजट नहीं आया। हम अपनी जनता से किए गए वायदो को पूरा नहीं कर पाए।
उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड के 70 विधानसभा में 24 साल के भीतर विधायक निधि तथा सांसद निधि से जो कार्य किए गए है। उनको अगर जनता की अदालत तोला जाए तो पंचायतों ने उससे अधिक कार्य किया है।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि 2 वर्ष का जो कार्यकाल बढ़ेगा वह उत्तराखंड में राजनीति की एक नई दिशा पैदा करेगा।
उत्तराखंड के जमीन, पर्यावरण, रोजगार तथा यहां की बेटियों के सम्मान के साथ आत्मनिर्भर उत्तराखंड के लिए समर्पित रहेगा।
उन्होंने कहा कि 24 वर्षों के भीतर कहीं पर भी यह नहीं दिखता है कि अपना उत्तराखंड हिमाचल की तरह आत्मनिर्भर बनने को जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बन सकता है तो वह त्रिस्तरीय पंचायतें है।
पंचायतों के पास मामूली सा बजट होता है, उसके बाद भी हमारे पास सफल आत्मनिर्भर पंचायतों के सैकडों उदाहरण है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी पंचायतें ने उल्लेखनीय कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक अपना वेतन भत्ता बढ़ाने के लिए राजनीतिक दीवारों को फांद कर एकजुट होते है, लेकिन हम तीनों पंचायतों के सदस्य अपने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत में रहने वाली जनता के विकास के लिए एकजुट हुए है।

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