गैरसैण(चमोली), उत्तराखंड़ की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की भराड़ीसैंण विधानसभा में तीन दिवसीय मानसून सत्र शुरू हो गया है। सत्र का आज पहला दिन है। सबसे पहले सदन में दिवगंत विधायकों को श्रद्धांजलि दी गई। वहीं, आज सदन पटल पर तीन विधेयक पेश किए जाएंगे।
भराड़ीसैंण में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर आपदा और कानून व्यवस्था समेत अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरेगी, जबकि प्रदेश सरकार ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए रणनीति बनाई है। भराड़ीसैंण में पहली बार मानसून सीजन में सत्र आयोजित हो रहा है।
सत्र के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण, संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल समेत मंत्री व विधायक भराड़ीसैंण पहुंचे हैं। लगभग डेढ़ साल बाद सरकार के पहुंचने से भराड़ीसैंण में रौनक लौटी है।
तीन दिवसीय सत्र में प्रदेश सरकार की ओर से कल पांच हजार करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट सदन में पेश किया जाएगा। इसके अलावा कई विधेयक व प्रतिवेदन रिपोर्ट पटल पर रखी जाएगी।
विपक्ष की ओर से केदारनाथ समेत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा, महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बढ़ते मामले, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन के अंदर व बाहर सरकार को घेरने की रणनीति है, जबकि सत्ता पक्ष सदन में विपक्ष के हर सवाल का मजबूती के साथ जवाब देगा।
कवि सम्मेलन का बजट पचा गया संस्कृति विभाग
-स्थानीय कवियों और राज्य आंदोलनकारियों ने जताई नाराजगी
-संस्कृति विभाग पर लगाया उपेक्षा का आरोप, मेलों में भी कर रहे अनदेखी
देहरादून, स्थानीय साहित्यकारों के सम्मान के लिए बड़ी-बड़ी बातें सरकार की ओर से की जाती हैं, लेकिन इनसे जुड़े विभाग सरकार की मंशा को पलीता लगाने पर तुले हुए हैं। इस साल तो दोनों राष्ट्रीय पर्वों पर कवि सम्मेलन/मुशायरे तक का आयोजन नहीं किया गया। ऐसी क्या मजबूरी थी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ऐसे में स्थानीय कवियों और कविता से प्रेम करने वालों में नाराजगी पैदा हो रही है। उनका कहना है कि सरकार और सरकार से पोषित संस्थाएं राज्य में आयोजित तमाम मेलों में बाहरी राज्यों के तथाकथित बड़े कवियों को बुलाकर करोड़ों रुपए की बंदरबांट कर रही है और स्थानीय कवियों की घोर उपेक्षा की जा रही है।
हाल यह है संस्कृति विभाग के पास तो स्थानीय कवियों की सूची ही नहीं है। यही नहीं, कई कवि तो ऐसे हैं, जिन्हें एक बार भी संस्कृति विभाग की ओर से न्योता नहीं मिला, जबकि उनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि संस्कृति विभाग तो ऐसे लोग बैठे हैं, जिनका संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। उनके पास तो स्थानीय कवियों तक की सूची नहीं है, जिसकी सिफारिश चली गई, उसे ही बुला लिया जाता है।
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती का कहना है कि पृथक राज्य आंदोलन में स्थानीय कवियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन उनकी घोर उपेक्षा की जा रही है, जो निंदनीय है। उन्होंने सवाल किया कि कवि सम्मेलन का बजट कहां गया, इसका जवाब जिम्मेदार अधिकारियों को देना चाहिए।
हर साल राष्ट्रीय पर्वों 26 जनवरी और 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन/मुशायरे की परंपरा रही है, लेकिन इस बार दोनों ही आयोजन नहीं किए गए। जनकवि अतुल शर्मा ने बताया कि 60 और 80 के दशक में तो कवियों के लिए तीन-तीन आयोजन होते थे, जो धीरे-धीरे घटकर दो हुए और इस बार तो एक भी आयोजन नहीं हुआ, जबकि विभाग को राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) पर भी सांस्कृतिक चेतना जगाने के लिए कवि सम्मेलन का आयोजन करना चाहिए।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले जाने-माने कवि नीरज नैथानी को संस्कृति विभाग ने एक बार भी कवि सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया। नैथानी का कहना है कि बाहर के कवियों को बुलाकर स्थानीय कवियों का हक छीना जा रहा है। युवा कवि अवनीश मलासी ने कहा कि गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक तमाम मेलों में कवि सम्मेलन होते हैं, लेकिन उनमें बाहरी कवियों का ही बोलबाला होता है। स्थानीय कवियों के नाम पर दो-चार गिने-चुने कवियों को मौका देकर चुप करा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज को इस मामले का खुद संज्ञान लेना चाहिए और स्थानीय साहित्यकारों से बात करनी चाहिए, ताकि वह उपेक्षित महसूस न करें। इस मामले में संस्कृति विभाग के सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर संपर्क करना चाहा, तो वह स्विच ऑफ मिला।
बस में सामूहिक दुष्कर्म का विरोध, जनसंगठनों ने किया प्रदर्शन
देहरादून, बस के भीतर किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ आमजन मानस आक्रोशित है और विरोध प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं। मंगलवार को विभिन्न दलों और जनसंगठनों ने संयुक्त रूप से आईएसबीटी के समक्ष प्रदर्शन किया, साथ ही राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, डीजीपी उत्तराखंड, जीएम देहरादून को तहसीलदार सदर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किए। वहीं, देहरादून महानगर कांग्रेस के तत्वावधान में आईएसबीटी में घटना के विरोध में कैंडल मार्च निकाला गया।
जनसंगठनों ने संयुक्त प्रदर्शन के दौरान आईएसबीटी में सामूहिक दुष्कर्म की घटना की कड़े शब्दों में निंदा की गई। साथ ही दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने की मांग की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि कई महीनों से असमाजिक तत्वों, अपराधियों का अड्ढा बना हुआ है। बस अड्ढे की व्यवस्था एमडीडीए, रोड़वेज प्रशासन के साथ ही सुरक्षा की जिम्मेदारी आईएसबीटी पुलिस चौकी के पास है। इसके बावजूद अपराधी बेखौफ हैं। वक्ताओं ने कहा कि संविदा पर चल रही बसों के मालिकों, चालक, परिचालकों की पृष्ठभूमि को भी नहीं खंगाला गया। परिणामस्वरूप परिवहन क्षेत्र में माफियाओं का बोलबाला बना हुआ है।
यह रखी मांग :
1-राजधानी देहरादून में बिगड़ती कानून व्यवस्था को ठीक किया जाए। इसके लिए पुलिस विभाग में समुचित बदलाव किया जाए।
2-आईसीबीटी बलात्कार के दोषियों को जल्द जल्द कड़ी सजा दी जाए।
3-आईएसबीटी में अव्यवस्थाओं के दोषी अधिकारियों, एमडीडीए प्रशासन, आईएसबीटी पुलिस चौकी के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
4-आईएसबीटी को सुरक्षित बस अड्डा बनाने के लिए सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाये। असमाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखकर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
5-संदिग्ध सभी बस मालिकों, चालकों, परिचालकों तथा बस अड्ढे के आसपास रह रहे व्यक्तियों की जांच की जाए।
प्रदर्शन में ये रहे शामिल :
प्रदर्शनकारियों में महिला मंच से कमला पंत, जनवादी महिला सभा से इंदु नौडियाल, महिला समिति की प्रांतीय सचिव दमयंती नेगी, माकपा के जिला सचिव अनंत आकाश, एसएफआई के प्रांतीय अध्यक्ष नितिन मलेठा, आरयूपी से नवनीत गुसाईं, पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, नुरैशा अंसारी, शैलेन्द्र परमार, दयाकृष्ण पाठक, सीपीआई (एमएल) से इन्देश मैखुरी, सीपीएम से विजय भट्ट, जगमोहन मेंदीरत्ता, उमा नौडियाल, निर्मला बिष्ट आदि शामिल थे।
यह है घटनाक्रम :
पीड़ित किशोरी पंजाब से दिल्ली आई और फिर मुरादाबाद के रास्ते 13 अगस्त की रात देहरादून पहुंची। जैसे ही किशोरी देहरादून आईएसबीटी पहुंची तो उसकी मानसिक हालत को देखते हुए कुछ अज्ञात आरोपियों ने कथित तौर पर उसके साथ बस में ही दुष्कर्म किया। उसके बाद मौके से फरार हो गए। किशोरी को घटना के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) ने रेस्क्यू किया। कमेटी के सदस्यों ने जब किशोरी की काउंसिलिंग की, तब उन्हें इस घटना का पता चला। इसके बाद उन्होंने शनिवार देर रात पुलिस को इसकी सूचना दी।
पांच आरोपी गिरफ्तार :
किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें से तीन ड्राइवर हैं, एक हेल्पर है और एक रोडवेज का कैशियर है। एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने दावा किया था कि इन सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में धर्मेंद्र कुमार उम्र 32 बुग्गावाला हरिद्वार, देवेंद्रकुमार उम्र 52 वर्ष भगवानपुर हरिद्वार, रवि कुमार उम्र 34 वर्ष नवाबगंज फरुखाबाद, राजपाल उम्र 57 वर्ष बुग्गावाला हरिद्वार, राजेश कुमार उम्र 38 वर्ष माजरा देहरादून निवासी हैं।
द हैरिटेज स्कूल व अधिराज चौधरी के नाम जुड़ी एक और उपलब्धि
देहरादून (केएस बिष्ट), द हैरिटेज स्कूल के साथ साथ बेहतरीन टेबल टेनिस खिलाड़ी अधिराज चौधरी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है और आईसीएसई उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड रिजनल गेम्स टेबल टेनिस टूर्नामेंट 2024 के अंडर 14 वर्ग में शानदार खेल का परिचय देते हुए आईसीएसई नेशनल गेम्स के लिए अधिराज चौधरी का चयन किया गया।
यहां जानकारी देते हुए द हैरिटेज स्कूल की प्रधानाचार्य डाक्टर अंजू त्यागी ने बताया कि कक्षा सात में अध्ययनरत अधिराज चौधरी टीएमपीएस इंटरनेशनल स्कूल प्रयागराज में आईसीएसई उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड रिजनल गेम्स टेबल टेनिस टूर्नामेंट 2024 में शानदार खेल का परिचय दे रहे है और यह प्रतियोगिता 22 अगस्त तक चलेगी लेकिन अपने शानदार खेल से सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हुए अधिराज चौधरी ने सितम्बर माह में लखनऊ के ली मारटीनिरी कॉलेज में होने वाली आईसीएसई नेशनल गेम्स में अंडर 14 वर्ग में चयन हो गया है।
उन्होंने बताया कि अधिराज चौधरी के टेबल टेनिस के नेशनल गेम्स में चयनित होने पर स्कूल प्रबंधक वर्ग के साथ ही साथ शिक्षक शिक्षिकाओं एवं उनके कोच को सभी ने बधाई दी है और स्कूल के चेयरमैन चौधरी अवधेश कुमार, निदेशक विक्रांत चौधरी, काउंसलर चारू चौधरी, प्रधानाचार्य डाक्टर अंजू त्यागी सहित अन्य शिक्षक, शिक्षिकाओं, कोच एवं छात्र छात्राओं ने शुभकामनायें दी है।
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