देहरादून, राज्य के मज़दूर संगठनों ने आरोप लगाया कि सरकार की जन विरोधी नीतियों एवं घोर लापरवाही की वजह से लगातार मज़दूर एवं गरीब परिवारों पर अत्याचार हो रहे हैं। जबकि सरकार को पता है कि मलिन बस्ती में रहने के आलावा गरीब परिवारों के लिए कोई और विकल्प नहीं है, फिर भी जानबूझकर अदालत में जारी याचिकाओं और अपना कानूनी फर्ज़ पर लापरवाही कर सरकार उन्ही याचिकाओं के बहाने सैकड़ों परिवारों को बेघर करना चाह रही है। लापरवाही यहाँ तक रही कि हाज़िर न होने के कारण अदालत द्वारा विभागों पर जुर्माना लगाया गया है। अभी यह भी पता चल रहा है कि उजाड़ने के लिए एक सप्ताह में पुरे देहरादून शहर का सर्वेक्षण सरकार कर सकती है, लेकिन वही सरकार हक़ और घर देने के लिए आठ साल में देहरादून के अधिकांश बस्तियों का सर्वेक्षण कर पायी है। बड़े जन आंदोलन के बाद 2018 में अध्यादेश ला कर सरकार ने कानून द्वारा ही आश्वासन दिया था कि तीन साल के अंदर मज़दूर बस्तियों के लिए स्थायी व्यवस्था बनाया जायेगा, लेकिन वह कानून अभी जून 2024 में ख़त्म होने जा रहा है और एक भी बस्ती के लिए व्यवस्था नहीं बनाई गई है। उसी कानून के आधार पर लोगों को झूठा दिलाशा दिया जा रहा है कि जो 2016 से पहले बसे, उनके घर सुरक्षित है, जबकि जून महीने के बाद उनके घर भी खतरे में आयेंगे। इसी प्रकार की लापरवाही और जन विरोधी मानसिकता हर मोर्चे पर दिख रहा है – शहर में वेंडिंग जोन को न घोषित कर ठेली वालों को “अतिक्रमणकारी” दिखाया जा रहा है, और मज़दूर के लिए बनाये गए कल्याणकारी योजनाओं के अमल पर बार बार रोक लगाया जा रहा है।
प्रेस वार्ता में मौजूद संगठनों ने घोषित किया कि बेघर करने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाया जाये, जब तक मज़दूर बस्तियों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होगा तब तक 2018 के कानून को एक्सटेंड किया जाये | अतिक्रमण हटाने के नाम पर किसी को बेघर नहीं किया जायेगा, इसके लिए कानून लाया जाये, अपने ही वादों को निभाते हुए सरकार किफायती घरों के लिए व्यवस्था करे, राज्य के शहरों में उच्चित संख्या के वेंडिंग जोन को घोषित किया जाये, गरीब परिवारों के लिए राशन, कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराया जाये; श्रमिक विरोधी चार नए श्रम संहिता को रद्द किया जाये और न्यूनतम वेतन को 26,000 रूपए किया जाये और अन्य मांगों को ले कर आगामी 11 तारीख को धरना भी दिया जायेगा और नगरपालिका चुनाव से पहले हर बस्ती में अभियान भी चलाया जायेगा।
इंटक के राज्य अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट और उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र रावत; एटक के राज्य उपाध्यक्ष समर भंडारी और राज्य सचिव अशोक शर्मा, सीटू के राज्य सचिव लेखराज; और चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया।
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