हल्द्वानी, केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने सोमवार को भवाली रेंज से सटे जंगलों का दौरा किया कहा कि जंगलों में लगी आग पर सरकार ने 36 घंटे में काबू पाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रशासन के साथ बैठक कर वनाग्नि से निपटने के सख्त निर्देश अधिकारियों को दिए है।
उन्होंने बताया कि जंगलों में वन विभाग व एनडीआर एफ के साथ ही सेना द्वारा हेलीकाप्टर के माध्यम से आग पर पूर्ण रूप से काबू पा लिया गया है। नैनीताल सहित सभी पर्यटक स्थल पूरी तरह सुरक्षित हैं।
प्रदेश में आने वाले सभी पर्यटकों की सुरक्षा की गारंटी सरकार की है। सरकार अपनी पूरी क्षमता से कार्य कर रही है, केंद्रीय मंत्री ने लोगों से वनाग्नि की घटनायें रोकने में प्रशासन के सहयोग करने की अपील भी जनता से की।
वहीं जिले के डीएफओ चन्द्रशेखर जोशी ने बताया कि डिवीजन में वनाग्नि की कुल 28 घटनायें रिपोर्ट हुई थी। जिससे 33 हेक्टेयर के आस पास जंगल प्रभावित हुआ, जो अब पूरी तरह कंट्रोल में है। कहा कि डिवीजन में कुल 11 लोगों के खिलाफ वन आधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
कहा कि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी से पूर्ण मुस्तेदी के साथ कार्य कर रहे है, वनाग्नि की घटना की वह खुद मॉनिटरिंग कर रहे है कहा कि वनाग्नि घटना पर विभाग का रेस्पॉन्स टाइम तेज हो इसके लिए सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करी गयी है। वे खुद भी मौके पर पहुच रहे है।
महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री भावना मेहरा प्रदेश कार्यकारणी सदस्य गोपाल रावत, मण्डल अध्यक्ष पंकज अद्वेति, शिवांशु जोशी, नीतू जोशी, प्रकाश आर्या, गीतेश त्रिपाठी, कुंदन चिलवाल, देवेंद्र बिष्ट, सचिन गुप्ता आदि मौजूद रहे |
वन मंत्री बोले, आग बुझाने पर प्रदेश सरकार वनाग्नि प्रबंधन समितियों को देगी 25 हजार से लेकर एक लाख तक का इनाम
देहरादून, जंगल की आग बुझाने पर प्रदेश सरकार वनाग्नि प्रबंधन समितियों को 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का इनाम देगी। वहीं, विशेष परिस्थितियों में हेलिकॉप्टर की भी मदद ली जाएगी। यह कहना है वन मंत्री सुबोध उनियाल का।
उन्होंने यह बात वन मुख्यालय के मंथन सभागार में मीडिया से वार्ता के दौरान कही। वन मंत्री ने कहा, बिना जनसहभागिता के जंगल की आग से नहीं निपटा जा सकता। ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में 541 वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है, जिन्हें सीजन के लिए 30-30 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी गई है, जबकि उत्कृष्ट काम करने वाली 13 वनाग्नि प्रबंधन समितियों को एक-एक लाख रुपये, 13 समितियों को 50-50 हजार रुपये एवं 13 वनाग्नि प्रबंधन समितियों को 25-25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
वन मंत्री ने बताया, जंगल में आग लगने की तीन प्रमुख वजह है। किसान खेतों में खरपतवार जलाते हैं। दूसरा जंगल में जलती बीडी, सिगरेट फेंकने एवं तीसरा शरारती तत्वों की ओर से जंगल में आग लगाने से वनाग्नि की घटनाएं होती हैं। शरारती तत्वों से सख्ती से निपटा जा रहा है। अब तक 23 मामलों में 29 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है।
वहीं, अज्ञात मामलों की संख्या 173 है। उन्होंने कहा, मैन पावर की कमी न हो इसके लिए इस साल 1392 वन कर्मियों की तैनाती की गई है, जबकि 3,983 फायर वाचर तैनात किए जाएंगे। वन मंत्री ने यह भी कहा, सरकार ने फॉरेस्ट फ्रेंडली पॉलिसी बनाई है। वन पंचायत भूमि पर कृषिकरण को मंजूरी दी गई है, जबकि ईको टूरिज्म के तहत लोगों को रोजगार दिया जा रहा है।
बारिश से जंगलों की आग के मामलों में राहत :
बारिश से जंगलों की आग के मामलों में मामूली राहत मिली है। 26 अप्रैल को वनाग्नि की 31 घटनाएं सामने आई थी, लेकिन 27 अप्रैल को वनाग्नि घटनाओं में कुछ कमी आई है। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को प्रदेशभर में वनाग्नि की 23 घटनाएं हुई हैं। इसमें 16 कुमाऊं और सात गढ़वाल मंडल के वन क्षेत्रों की है। इसे मिलाकर अब तक वनाग्नि की घटनाएं बढ़कर 598 हो गई है।
अपशिष्ट से हरित ऊर्जा उत्पादन हेतु हरिद्वार में 140 करोड़ से होगा संयंत्र स्थापित, समझौता ज्ञापन पर हुये हस्ताक्षर
“टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और यूजेवीएनएल के संयुक्त उद्यम, टीयूईसीओ ने अपशिष्ट से हरित ऊर्जा उत्पादन संयंत्र हेतु नगर निगम हरिद्वार के बीच हुआ एमओयू”
ऋषिकेश, सतत् विकास की दिशा में एक और प्रयास के रूप में, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और यूजेवीएन लिमिटेड के संयुक्त उद्यम, टीएचडीसीआईएल – यूजेवीएनएल एनर्जी कंपनी लिमिटेड (टीयूईसीओ) ने सोमवार 29 अप्रैल को अपशिष्ट से हरित ऊर्जा उत्पादन हेतु नगर निगम हरिद्वार के साथ 140 करोड़. रुपये की लागत से तैयार होने वाले संयंत्र को स्थापित करने हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पहल का लक्ष्य प्रतिदिन 400 टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट को 140 टन हरित चारकोल में परिवर्तित करना है।
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. के. विश्नोई ने बताया कि इस संयंत्र की स्थापना स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, स्वच्छ परिवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ ठोस कचरे से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि पवित्र शहर हरिद्वार के लिए यह प्रयास एक मील का पत्थर का साबित होगा, यह संयंत्र ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से भारत की आत्मनिर्भरता लोकाचार को रेखांकित करता है।
नगर निगम हरिद्वार ने इस संयंत्र के निर्माण के लिए सराय में लगभग 10 एकड़ भूमि आवंटित की है। टीयूईसीओ और नगर निगम हरिद्वार के अधिकारियों की उपस्थिति में हरिद्वार के नगर आयुक्त, श्री वरुण चौधरी, आईएएस और टीयूईसीओ लिमिटेड के सीईओ, श्री संदीप कुमार ने समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप प्रदान किया।
संयंत्र के संचालन से 400 टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का दैनिक प्रसंस्करण शामिल होगा, जिसे 140 टन टोररिफाइड चारकोल का उत्पादन करने के लिए सीधे रिएक्टर में डाला जाएगा। इस नवोन्मेषी प्रक्रिया से प्राकृतिक कोयले जैसा पदार्थ प्राप्त होता है, जिससे विद्युत उत्पादन के लिए ताप विद्युत संयंत्रों में ईंधन मिश्रण के रूप में इसके निर्बाध एकीकरण की सुविधा मिलती है। विशेष रूप से, यह प्रक्रिया पर्यावरण अनुकूल है, जिसमें वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों की तुलना में कम परिचालन तापमान होता है, जिससे विषाक्त उत्सर्जन कम होता है। यह सहयोगात्मक प्रयास सतत अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है जो कि हरिद्वार एवं इसके आसपास के क्षेत्र के स्वच्छ, हरित भविष्य के प्रति टीएचडीआईएल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
प्रो. (डॉ.) यशबीर दीवान ने सम्भाला एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार
देहरादून, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति के रूप में प्रोफेसर (डॉ.) यशबीर दीवान ने विधिवत पदभार संभाला। विश्वविद्यालय प्रबन्धन ने प्रोफेसर (डॉ.) यशबीर दीवान के पदभार सम्भालने पर प्रसन्नता जाहिर की। मेडिकल साइंस के क्षेत्र मे प्रोफेसर दीवान एक जाना पहचाना नाम हैं। उन्हें न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में 38 वर्षों से अधिक का कार्य अनुभव है। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय को उनके अनुभव एवम् कुलशलता का सीधा लाभ मिलेगा। वह एक अनुभवी शिक्षाविद एवम् कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं।
प्रोफेसर (डॉ.) यशबीर दीवान जनरल सर्जरी में एम.एस व न्यूरोसर्जरी में एम.सीएच हैं। वह देश के सम्मानित न्यूरोसर्जन हैं। बेस और वैस्कुलर सर्जरी, स्पाइन, माइक्रो-वैस्कुलर और स्पाइन सर्जरी में उन्हें भारत व विदेश के नामचीन संस्थानों द्वारा विशेषज्ञता प्रशिक्षण प्राप्त है। ट्रॉमा चिकित्सा के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उन्होंने अपने शोध और अनुसंधानों के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है। अपने शानदार करियर के दौरान, प्रोफेसर दीवान ने न्यूरोसाइंसेज के क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल के उच्चतम मानकों को लगातार प्राथमिकता दी है। अनुसंधान और शोध एवम् अनुसंधान के प्रति उनका जुनून भारत में ट्रॉमा प्रणाली के विकास सहित चिकित्सा विज्ञान में उनके व्यापक योगदान से स्पष्ट होता है।
द अल्फ्रेड हॉस्पिटल, मोनाश यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया में इमरजेंसी और ट्रॉमा के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में, प्रोफेसर दीवान ने अपनी विशेषज्ञता को और समृद्ध किया है और वैश्विक चिकित्सा समुदाय में योगदान दिया है।
प्रोफेसर दीवान श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेज और श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के पूर्व प्राचार्य जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। उन्होंने 1894 में स्थापित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, लुधियाना, जिसे भारत में अग्रणी चिकित्सा सुविधाओं में से एक माना जाता है और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, देहरादून सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख के रूप में भी सेवाएं दी हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने शैक्षणिक और नैदानिक विभागों का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया है। साथ ही साथ मेडिकल संस्थानों को शिक्षा, अनुसंधान और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता के केंद्रों के रूप में भी आकार दिया है। शिक्षा, अनुसंधान और नैतिक रोगी देखभाल के प्रति प्रोफेसर डॉ दीवान की प्रतिबद्धता श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण और मिशन के विजन के अनुरूप है।
एसजीआरआर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों तक ले जाने की प्रोफेसर डॉ. दीवान की क्षमता पर विश्वास व्यक्त करते हुए नए कुलपति को अपना आशीर्वाद दिया। अपनी नई भूमिका में, प्रोफेसर डॉ यशबीर दीवान का लक्ष्य विश्वविद्यालय के समग्र शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों का नेतृत्व करना, रणनीतिक योजना और नीति निर्माण का नेतृत्व करना, शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नवीन कार्यक्रम शुरू करना शामिल है।
इसके साथ अंतर्विषय अनुसंधान को बढ़ावा देना और उद्योग-अकादमिक साझेदारी को मजबूत करना भी उनकी अग्रणी योजनओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह छात्रों को असाधारण शैक्षणिक अनुभव प्रदान करने, निरंतर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने और मान्यता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (डॉ.) यशबीर दीवान का बतौर कुलपति पदभार सम्भालना विश्वविद्यालय की शिक्षा यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। प्रोफेसर (डॉ.) यशबीर दीवान के कुशल अनुभव एवम् क्षमताओं का विश्वविद्यालय को भरपूर लाभ मिलेगा। उनके कुशल नेतृत्व एवम् श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के मागदर्शन में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यायल राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्णं भूमिका सुनिश्चित करेगा।
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