देहरादून, उत्तराखंड़ राज्य बने दो दशक हो गये लेकिन पहाड़ की समस्यायें आज भी जस की तस है, वहीं मूल निवास कानून को लेकर सरकार की नीयत साफ नहीं है, पहाड़ी जनमानस एक बार फिर आंदोलित है और पहाड़ के लोकप्रिय गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने भी अपने गीत के माध्यम से फिर एक अलख जगाकर रविवार 24 दिसम्बर को होने वाली रैली में पहुंचने का आह्वान किया है, दूसरी तरफ मूल निवास को लेकर सरकार के आदेश को मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आंखों में धूल झोंकने वाला करार दिया है और 24 दिसंबर को दून में होने वाली मूल निवास स्वाभिमान महारैली में लोगों से पहुंचने की अपील की है। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी और समेत सभी सदस्यों ने साफ किया है कि सरकार साजिश के तहत आंदोलन खत्म कराने के मूड में है लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। पूरा मामला अब जनता के बीच है और जनता को ही फैसला करना है, संघर्ष समिति का रुख साफ
आगामी 24 दिसंबर को होने वाली उत्तराखण्ड मूल निवास स्वाभिमान महारैली को लेकर मिल रहे अभूतपूर्व समर्थन के मद्देनजर राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। सरकार की तरफ से आन्दोलन के प्रमुख साथियों (मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति) से संपर्क किया जा रहा है। हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हुए स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह जन आन्दोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखण्ड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से सम्बंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा। एक या दो साथियों से वार्ता करने से कोई हल नहीं निकलेगा। उत्तराखंड की जनता अपनी अस्मिता और अधिकारों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हो चुकी है।
संघर्ष समिति का कहना है कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि आन्दोलन संचालन समिति की तरफ से कोई भी साथी 24 तारीख से पहले सरकार से वार्ता करने के लिए अधिकृत नहीं किया गया है। हम सरकार के प्रस्ताव को विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर रहे हैं। आगामी 24 दिसंबर की ‘उत्तराखण्ड मूल निवास स्वाभिमान महारैली’ पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी। हमारा मानना है कि इस विषय पर वार्ता करने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है। सरकार अपनी तरफ से निर्णय लेने के लिए सक्षम है। अतः हमारा निवेदन है कि हमारी निम्न मांगों पर सरकार स्पष्ट आदेश जारी करे।
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प्रमुख मांगें :
1– मूल निवास कानून लागू हो। मूल निवास की कट ऑफ डेट की तारीख 26 जनवरी 1950 घोषित की जाय।
2– ठोस भू कानून लागू हो। शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि ब्रिक्री पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे। गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे। पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
3– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान तथा लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
4- प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले जिन भी उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय ग्राम निवासी का 25% तथा जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा अवश्य सुनिश्चित किया जाए। ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को सुनिश्चित किया जाये।
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