प्रदर्शनकारी फंडिंग मामले का पर्दाफाश करने में पुलिस क्यों लगी हांफने -मोर्चा #फंडिंग करने वाले हों शीघ्र बेनकाब | #फंडिंग करने वाले व पत्थरबाजों पर हो रासुका के तहत कार्रवाई | #पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते हुआ लाठीचार्ज | #डीआईजी का कथन कि असामाजिक तत्वों ने किया पथराव, तो फिर बेरोजगारों पर क्यों दर्ज हुए मुकदमे.. !
देहरादून (विकासनगर), जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि लगभग 10-12 दिन पहले एसएसपी/डीआईजी, देहरादून श्री दिलीप सिंह कुंवर ने दावा किया था कि बेरोजगार आंदोलन को कुछ कोचिंग सेंटर्स
व राजनीतिक दलों के कुछ नेताओं द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस मामले का पर्दाफाश नहीं कर पाई, जोकि अपने आप में एक सवालिया निशान खड़ा करता है !उक्त फंडिंग मामले का पर्दाफाश होना बहुत जरूरी है | अगर इसी प्रकार फंडिंग के माध्यम से आंदोलन हुए तो उत्तराखंड जैसे प्रदेश को जे एंड के जैसा बनने में देर नहीं लगेगी | अगर आंदोलन मेंकोई फंडिंग नहीं हुई है तो डीआईजी का बयान निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है | नेगी ने कहा कि फंडिंग के माध्यम से आंदोलन करने को उकसाने वाले व पत्थरबाजों के आकाओं/ साजिशकर्ताओं पर रासुका के तहत कार्रवाई होनी चाहिए | नेगी ने कहा कि पुलिस प्रशासन की नाकामी के चलते बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की नौबत आई, जिसकी मोर्चा घोर निंदा करता है एवं पुलिस- प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से करता है| मोर्चा पहले भी राज्य गठन से लेकर आज तक हुई तमाम भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग कर चुका है | नेगी ने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि डीआईजी का कहना है कि असामाजिक तत्वों द्वारा पत्थरबाजी की गई, तो फिर बेरोजगारों पर क्यों मुकदमे दर्ज किए गए ! पत्रकार वार्ता में – मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह व के.सी. चंदेल मौजूद थे |
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