Wednesday, April 16, 2025
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छांदस रस का सक्षम गीतकार शिवमोहन सिंह : शुक्ल

गीतकार शिवमोहन सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘लोकमंगल का गीत सर्जक- शिवमोहन सिंह’ का हुआ लोकार्पण

 

देहरादून, सुप्रसिद्ध गीतकार शिवमोहन सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘लोकमंगल का गीत सर्जक- शिवमोहन सिंह’ का सोमवार को हिंदी भवन में लोकार्पण किया गया। उद्गार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच देहरादून के तत्वावधान में मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी, मुख्य सूचना आयुक्त राधा रतूड़ी, हिंदी-संस्कृत की विदुषी डॉक्टर सुधारानी पांडे

वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रख्यात ऑर्थोपेडिक सर्जन पद्मश्री डॉ. बी.के.एस. संजय, विमोचित ग्रंथ के संपादक और वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल एवं हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रामविनय सिंह ने इस पुस्तक का लोकार्पण किया।

कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री महिमा श्री ने मां सरस्वती की वंदना से की। इसके बाद अतिथियों ने शिव मोहन सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की। इस मौके पर इस ग्रंथ के संपादक और वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल ने कहा कि हिंदी साहित्य जगत को छांदस रस का एक और गीतकार शिव मोहन सिंह के रूप में मिल गया है। कहा कि जितने भी विद्वानों ने शिवमोहन जी के गीत संग्रहों की अपनी वैचारिकता से विवेचना की है उन्होंने गीत के विविध पक्षों, आयामों और काव्य के लक्षणों की कसौटी पर गीत के धर्म पक्ष को दृढ़ता प्रदान की है। ‘तन्मे मन:शिव संकल्पमस्तु’ से संकल्पित शिव सरीखे शिवमोहन की कविताएँ सामाजिक संदर्भों में बड़ी प्रासंगिक हैं। वह समाज के अनछुए प्रसंगों को अपनी कल्पना के उड़ान से बहुत दूर तक ले जाने में समर्थ हैं। यह अभिनंदन ग्रंथ हिंदी के प्रबुद्ध पाठकों तथा शोधार्थियों के लिए निश्चित रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।

मुख्य अतिथि अनिल रतूड़ी ने कहा कि शिवमोहन सिंह की कविताएँ सामाजिक संदर्भों में प्रासंगिक हैं। यह पुस्तक पाठकों के लिए अवश्य उपयोगी सिद्ध होगी। राधा रतूड़ी जी ने कहा कि शिवमोहन निरंतर अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को एक सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि शिव मोहन जैसे प्रतिभाशाली साहित्यकार के विषय में लिखा जाना स्वाभाविक और आवश्यक भी है। विद्वान लेखकों समीक्षकों के विचारों से परिपूर्ण आलेखों का संकलन एवं संरक्षण किया जाना एक सराहनीय कार्य है ।

प्रोफेसर डॉ. राम विनय सिंह ने कहा कि शिव मोहन सिंह का रचना धर्म अत्यंत संयत, सुव्यवस्थित और सतत् उत्कर्षाभिमुख है । निस्संदेह आपने अपनी रचनाशीलता से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है और नई पीढ़ी को चिंतन के लिए अभिनव मार्ग दिए हैं। अनेक युवा रचनाकार आपके द्वारा प्रशस्त पथ पर अपने सृजन को गति दे रहे हैं।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. सुधारानी पांडे ने कहा कि शिवमोहन सिंह घर परिवार समाज और राष्ट्र के साथ जीवन धर्म निर्वाह करते हुए ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की युक्ति को भी सार्थक करने में सफल रहे हैं। नई आशाओं संवेदनाओं संभावनाओं के स्वरों का संधान करने वाले शिवमोहन सिंह नई सदी के कृति साधक शिवमोहन सिंह की साहित्य साधना अविराम गतिमान रहे।

इससे पहले गीतकार शिव मोहन सिंह ने कहा कि जिन विद्वानों ने अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरी पुस्तकों को पढ़ा और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है उनका मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ । उनके शब्द मेरे लिए मूल्यवान हैं। यशस्वी संपादक असीम शुक्ल तथा उद्गार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच के सचिव श्री पवन शर्मा जी के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में देहरादून शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राकेश बलूनी, डॉ विद्या सिंह, केडी शर्मा, जसवीर हलधर ,श्रीकांत श्री, डॉ. उषा झा रेणु, महेश्वरी कनेरी , डॉली डबराल, डॉ. क्षमा कौशिक, दर्द गढ़वाली, डाॅ. सोमेश्वर पांडे, डॉ. सत्यानंद बडोनी, करुणा अथैया, अर्चना झा सरित, शादाब अली, डॉ. राजीव पाण्डेय, पवन कुमार सूरज, आनंद सिंह आनंद’ सहित वरिष्ठ साहित्यकार तथा गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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