रुद्रप्रयाग। क्रौंच पर्वत पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में आयोजित 11 दिवसीय महायज्ञ व महाशिव पुराण कथा के दसवें दिन भव्य जल कलश यात्रा निकाली गई। बीहड़ चट्टानों के बीच से 51 जल कलशों के साथ बड़ी संख्या में भक्तों ने इस यज्ञ में शामिल होकर पुण्य अर्जित किए। साथ ही भंडारे का आयोजन भी किया गया।
11 दिवसीय महायज्ञ का बुधवार को महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ समापन किया जाएगा। जबकि भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न स्वारी ग्वास गांव पहुंचकर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत होंगे। मंगलवार को ब्रह्म बेला पर भगवान कार्तिक स्वामी का प्रतीक चिह्न स्कन्द नगरी से कार्तिक स्वामी तीर्थ के लिए रवाना हुआ तथा भगवान कार्तिक स्वामी के प्रतीक चिह्न के कार्तिक स्वामी तीर्थ पहुंचने पर विद्वान आचार्यों ने पंचाग पूजन वेद ऋचाओं के साथ अनेक पूजाएं संपन्न कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित तैतीस कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया गया। हवन कुण्ड में आहूतियां डालकर विश्व कल्याण व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की। सैकड़ों भक्तों के बीहड़ चट्टानों के मध्य जलकुण्ड के निकट कुई नामक स्थान पर पहुंचने पर विद्वान आचार्यों ने जलकुण्ड के निकट पूजा हवन कर 51 जल कलशों से सजी जल कलशों की बिशेष पूजा की तथा भव्य जल कलश यात्रा सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ कार्तिक स्वामी तीर्थ के लिए रवाना हुई। जल कलश यात्रा के कार्तिक स्वामी तीर्थ पहुंचने पर तीर्थ में पूर्व से मौजूद हजारों भक्तों ने पुष्प अक्षतों से जल कलश यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। जल कलश यात्रा ने भगवान कार्तिक मन्दिर की परिक्रमा करने के बाद प्रधान जल कलश से भगवान कार्तिक स्वामी और ब्यास पीठ का अभिषेक किया गया तथा शेष जल कलशों का जल भक्तों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया गया। जल कलश यात्रा के पावन मौके पर कथावाचक वासुदेव थपलियाल द्वारा जल कलश यात्रा की महत्ता का विस्तृत वर्णन किया गया। 11 दिवसीय महायज्ञ के पावन अवसर पर चोपता के क्षेत्र समाजसेवियों द्वारा तथा डा. कुलदीप नेगी आजाद के सौजन्य से भण्डारे का आयोजन किया गया।
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