देहरादून, उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए पुष्कर सिंह धामी द्वारा लगातार सभी अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं और राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की लगातार बात की जा रही है, परंतु अगर बात धरातल की करें तो आज स्थिति यह है कि कुछ विभागों के अधिकारी अपनी मनमानी कर खुलेआम भ्रष्टाचार करने में लिप्त हैं |
यह तथ्य आरटीआई के खुलासे से सामने आए हैं जिसमें आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा लगातार नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है और मनमानियों का सिलसिला थम नही रहा हैं, वहीं आज एक और खुलासा करते हुए आरटीआई एक्टिवेट विजय वर्धन ने संभागीय परिवहन अधिकारी सुनील शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं | उन्होंने कहा कि उनके द्वारा आरटीआई से जानकारी के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई की सरकार की नियमावली के अनुसार यदि विभाग को कोई कार्य करना होता है तो ढाई लाख तक के कार्य वह किसी भी सक्षम ठेकेदार से कोटेशन के माध्यम से करवा सकता है, परंतु उससे ऊपर के कार्यों के लिए बाकायदा टेंडर प्रक्रिया जारी की जानी चाहिए | जिसके लिए अखबारों में विज्ञप्ति से लेकर ऑनलाइन भी कोटेशन मांगी जाती है | प्रेस से बातचीत करते हुये विजय वर्धन ने बताया कि सारे नियमावली को ताक पर रखकर आरटीओ सुनील शर्मा ने सरकार द्वारा तीन जांच चौकियों के निर्माण के लिए उनको 19 लाख रुपए अवमुक्त कराए गए थे, परंतु सुनील शर्मा द्वारा बिना टेंडर पास कराए और जो लोग विभाग में सुई से लेकर सभी सामान सप्लाई करते हैं उन्हीं लोगों को तीन कोटेशन के माध्यम से 15 लाख रुपए से ऊपर के कार्य दे दिए गए और जो चोकियों का निर्माण किया गया वो भी प्लाईबोर्ड से किये गए, श्री वर्धन ने कहा कि सबसे बड़ी बात जिस रेट से कार्य किया गया उस रेट में कंक्रीट का पक्का निर्माण हो सकता था | लेकिन इन कार्यों के लिए नियमावली के तहत बाकायदा आरटीओ को यह कार्य पीडब्ल्यूडी के माध्यम से करवाने चाहिए थे, वहीं बकाया धनराशि जो एक लाख कुछ रुपए उन्होंने खर्चे में दिखा दिए जिसका उसके पास हिसाब नहीं है | इससे साफ पता चलता है कि आरटीओ सुनील शर्मा द्वारा सरकार के 19 लाख रुपए को किस तरीके से बंदर बाट के जरिए खत्म किया गया | बात करें सरकार के जीरो टॉलरेंस की तो इससे साफ पता चलता है कि आज मुख्यमंत्री की साख को कुछ विभाग के अधिकारी पलीता लगाने का काम कर रहे हैं क्योंकि यह जांच का विषय है और लगातार जिस प्रकार परिवहन अधिकारी के ऊपर आरोप लग रहे हैं वह अपने में सोचने वाली बात है कि क्या उनको किसी का संरक्षण प्राप्त है।
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