देहरादून, नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा सालों से उत्तराखण्ड में चल रहे उद्यान घोटालों की जांच सीबीआई को देने से सिद्ध हो गया है कि उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार की गंगा में सभी डुबकी लगा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में सरकार और शासन के सभी स्तरों की संदिग्ध भूमिका का उल्लेख किया है। उच्च न्यायालय के आदेश में सत्ता दल द्वारा रानीखेत विधायक अपने कथित बगीचे में फर्जी पेड़ लगाने का प्रमाण पत्र निर्गत करने से सिद्ध होता है कि राज्य के उद्यान घोटालों में केवल निदेशक बबेजा ही लिप्त नहीं हैं बल्कि प्रदेश सरकार और भाजपा के विधायक व नेता भी सम्मलित हैं।इस आदेश में दलनाम आने के बाद राज्य के उद्यान मंत्री और रानीखेत विधायक से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि राज्य में हो रहे हर भ्रष्टाचार में राज्य सरकार भी हिस्सेदार है इसलिए राज्य के अधिकारी व जांच एजैसियां भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हुए उनके विरुद्ध सही जांच नहीं कर रही हैं । उन्होंने साफ किया कि राज्य के अधिकारी और एसआईटी जांच में नकारा सिद्ध हुए हैं इसलिए इस साल उच्च न्यायालय ने उद्यान घोटाले की जांच सहित उत्तराखण्ड से संबधित तीन घोटालों की जांच सीबीआई को सोंपी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल में विजीलैंस जांच में दोषी अधिकारी बबेजा को उत्तराखण्ड में उद्यान जैसे महत्वपूर्ण विभाग का निदेशक बना कर केवल इसलिए लाया गया कि उसे घोटालों को करने में महारत हासिल थी। उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा ने उत्तराखण्ड फल पौधशाला (विनिमय) कानून – 2019 का उल्लंघन करते हुए पूरे प्रदेश के लिए शीतकालीन पौधों के आपूर्ति हेतु उत्तरकाशी की एक ऐसी फर्जी नर्सरी – ‘‘ अनिका ट्रेडर्स एवं पौधशाला’’ के नाम कर दिया जिसके पास राज्य में कंही जमीन ही नहीं थी। शिकायत मिलने पर उत्तरकाशी के जिला अधिकारी ने मामले की जांच कराई तो मामला सभी शिकायतें सही पायी गयीं और जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। क्योंकि पौध आपूर्ति का यह कार्य पूरे राज्य के लिए दिया जा रहा था तो भ्रष्टाचार केवल जिला उद्यान अधिकारी, उत्तरकाशी के हाथों से नहीं हो रहा था। भ्रष्टाचार की इस पटकथा के असली लेखक उद्यान विभाग के निदेशक और उससे भी ऊंपर का कोई और था जो अधिकारियों द्वारा बेखौफ होकर इस तरह का करोड़ों रुपए का गबन किया जा रहा था। जिला अधिकारी उत्तरकाशी की रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने न कोई जांच बिठाई न कार्यवाही की।
यशपाल आर्य ने कहा कि इससे पहले भी बबेजा ने अपनी चहेती नर्सरियों को फायदा पंहुचाने के लिए कीवी से लेकर कही पौधों कही फल व सब्जी प्रजाती के पौधों के मूल्य नियमों और परंपरा के विपरीत कई गुना बड़ाए। निदेशक ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अन्र्तराष्ट्रीय सेमीनारों के नाम पर अपनी पत्नी और कुछ चहेतों को उत्तराखण्ड बुलाकर करोड़ों रुपए डकारे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन सभी मामलों को विपक्ष ने सभी जगह उठाया परंतु सरकार ने ढिलाई दिखाते हुए कोई जांच नहीं की। मजबूरन कुछ समाजसेवी और बागवान उच्च न्यायालय की शरण में गए।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही उद्यान से जुड़े सभी घपलों की जांच सीबीआई को देने का प्रस्ताव रखा था परंतु राज्य सरकार उससे पहले ही राज्य पुलिस की एसआईटी की जांच का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। राज्य सरकार ने यह कदम भी भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को बचाने के लिए लिया गया था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उच्च न्यायालय के सीबीआई जांच के आदेश ने राज्य सरकार के ‘‘जीरो करप्शन माडल’’ की हकीकत सामने ला दी है। निर्णय की हर पंक्ति यह सिद्ध कर रही है कि प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे हुए हैं।
पन्द्रहवें तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाऊंनी सम्मेलन का पिथौरागढ़ में आयोजन, कुमाऊंनी सहयोग सेवी सम्मान प्रदान किए जायेंगे
पिथौरागढ़, कुमाऊंनी भाषा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किये जाने के उद्देश्य से कुमाऊंनी भाषा प्रेमी निरन्तर प्रयासरत हैl इस हेतु समय समय पर भाषा सम्मेलन आयोजित कर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने तथा कुमाऊंनी भाषा के विविध आयामों को लेकर चर्चा जारी रहती है।
वर्तमान में कुमाऊनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रसार समिति, अल्मोड़ा एवं कुमाऊंनी मासिक पत्रिका पहरू द्वारा अब तक ऐसे 14 वृहद सम्मेलन किये जा चुके हैं। इस वर्ष आयोजित होने वाले पन्द्रहवें तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन का दायित्व जनपद पिथौरागढ़ को दिया गया है।
सम्मेलन के आयोजन हेतु एक संयोजक मण्डल का गठन किया गया है तथा शिक्षाविद् डा० अशोक कुमार पन्त को संयोजक का दायित्व सौंपा गया है। विभिन्न दायित्वों हेतु विभिन्न अनुभवी लोगों को दायित्व सौंपा गया है।
सम्मेलन की तैयारियों को लेकर आयोजित एक प्रेस वार्ता में डा० अशोक कुमार पन्त ने बताया कि पन्द्रहवें राष्ट्रीय कुमाऊनी भाषा सम्मेलन में जिन मुख्य विषयों पर चर्चा होगी ये हैं- कुमाऊंनी भाषा, साहित्य और संस्कृति का अतीत, वर्तमान और भविष्य, कुमाऊंनी सहयोग और संस्कृति प्रचार-प्रसार में अलग-अलग माध्यमों का योगदान, कुमाऊंनी भाषा साहित्य में आधुनिक जीवन मूल्य कुमाऊनी भाषा की अलग-अलग बोलियों के बीच आपसी सम्बन्ध: कैसे होगी नई पीढ़ी के साथ कुमाऊंनी भाषा की पहचान आदि।
इसके अतिरिक्त भाषा के मानकीकरण एवं कुमाऊंनी को आठवीं अनुसूची पर लाने हेतु भी खुली चर्चा होगी। सम्मेलन के दौरान कुमाऊंनी लोक गीत, संगीत, वाद्य यंत्रों आदि की प्रस्तुति तथा कुमाऊंनी कवि सम्मेलन प्रमुख आकर्षण होंगे। इस अवसर पर कुमाऊंनी साहित्य, इतिहास एवं स्थानीय उत्पादों को लेकर प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। कुमाऊं की संस्कृति के विभिन्न रंग एवं वाद्य यंत्रों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। डा० पन्त ने बताया कि आयोजक संस्था द्वारा इस सम्मेलन के दौरान कुमाऊंनी भाषा संरक्षण के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 51 लोगों को कुमाऊंनी सहयोग सेवी सम्मान प्रदान किये जाएँगे।
डा० पन्त ने बताया कि सम्मेलन 4, 5, 6 नवम्बर 2023 को स्थानीय मंगलमूर्ति वैंकट हॉल टनकपुर रोड में आयोजित किया जाएगा जिस हेतु तैयारियां पूर्ण की जा चुकी हैं। सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों के आने की सहमति आ चुकी है। डा० पन्त ने समस्त लोगों से सम्मेलन को सफल बनाने हेतु आगे आने की अपील की है।
प्रेस वार्ता के दौरान सचिव जनार्दन उप्रेती, सह संयोजक डा० दीप चौधरी, गजेन्द्र सिंह बोरा, उपसचिव डा० किशोर पन्त, प्रचार प्रभारी नीरज चन्द्र जोशी आदि उपस्थित थे।
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