देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), साहित्य हमारी संस्कृति और राष्ट्रीय गौरव का सम्मान है, समय समय पर साहित्य कलाधर्मियों ने समाज को अपने लेखन के जरिये दिशाबोध कराने का कार्य किया, ऐसे ही एक साहित्यिक तपस्वी मदन मोहन डुकलान को ‘तेरि किताब छौ’ के लिये उत्तराखंड़ साहित्य गौरव सम्मान (कन्हैयालाल डंडरियाल पुरस्कार) 2024 से विभूषित किया जायेगा | आगामी 3 मार्च को होने वाले उत्तराखण्ड़ भाषा संस्थान द्वारा आयोजित अलंकरण समारोह में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया जायेगा l
उल्लेखनीय हो कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2023 में शुरू हुआ यह सम्मान लोक भाषाओं व लोक साहित्य में कुमाऊँनी, गढ़वाली, राज्य की बोलियों व उपबोलियों, हिन्दी, पंजाबी, उर्दू में महाकाव्य, खंडकाव्य रचना, काव्य रचना और साहित्य व अन्य गद्य विधाओं के क्षेत्र में कार्य कर रहे साहित्य कलाधर्मियों सम्मान’ दिया जा रहा है।
एक नजर मदन डुकलान की रचना धर्मिता पर :
पौड़ी जनपद के ग्राम खनेता में माता श्रीमती कपोतरी देवी और पिता गोविंद राम डुकलान के घर 10 मार्च 1964 को जन्में गढवाली़ के मूर्धन्य साहित्यकार मदन मोहन डुकलान ने अपनी मातृभाषा गढवाली़ में साहित्य सेवा का प्रारंभ सन् 1985 में एक गढवाली़ पत्रिका “चिट्ठी” के सम्पादन व प्रकाशन से किया। इसके उपरान्त उन्होंने एक गढवाली़ कविता पोस्टर (1991) और पहला गढवाली़ कैलेण्डर (1993) का सम्पादन व प्रकाशन भी किया जिसमें समकालीन लब्ध-प्रतिष्ठित गढवाली़ साहित्यकारों की रचनाएँ प्रकाशित हुयी। कालान्तर में मदन डुकलान के इन अभिनव प्रयोगों ने एक त्रैमासिक पत्रिका “चिट्ठी-पत्री” का रूप ले लिया जो निरन्तर पुराने व नये रचनाकारों को मंच प्रदान करती आ रही है व गढवाली़ साहित्य, समाज व सृजन के दस्तावेज़ के रूप प्रकाशित हो रही है। इसके अतिरिक्त ‘अंग्वाल़’ के नाम से 250 से अधिक गढवाली़ कवियों की कविताओं का संकलन व सम्पादन तथा ‘हुंगरा’ शीर्षक से 100 उत्कृष्ट गढवाली़ कथाओं का संकलन व सम्पादन गढवाली़ साहित्य के संरक्षण एवं सम्वर्धन में मदन मोहन डुकलान का ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय योगदान है। इसके साथ ही समकालीन 18 प्रतिनिधि कवियों के गढवाली़ कविता संग्रह ‘ग्वथनी का गौं बटे’ का सम्पादन भी मदन मोहन डुकलान द्वारा किया गया है। लेखन का यह ‘बटोही’ ओएनजीसी से उप महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत होने के बाद भी आज निर्बाध रूप से रचना संसार को गतिशील बनाने में लगा है।
प्रकाशित कृतियाँ :
-इन दिनो (हिन्दी कवियों का सह संकलन)
-आंदी जांदी साँस (गढ़वाली काव्य संग्रह)
-प्रयास (हिन्दी कवियों का सह संकलन)
-तेरि किताब छौं (गढ़वाली कविता संग्रह)
-अपणो ऐना अपणी अंद्वार (गढ़वाली काव्य संग्रह)
-चेहरों के घेरे (हिन्दी काव्य संग्रह)
सम्मान :
-सर्वश्रेष्ठ अभिनेता- प्यादा नाटक (गोकुल आर्ट्स नाट्य प्रतियोगिता) वाराणसी-1993
-उत्तराखंड संस्कृति सम्मान- 2005-06
-दून श्री सम्मान- 2008
-अखिल गढ़वाल सभा सम्मान- 2009
-डा० गोविंद चातक- उत्तराखंड भाषा सम्मान 2010-11
-सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फिल्म ‘याद आली टिहरी यंग उत्तराखंड सिने अवार्ड 2011
-उत्तराखंड शोध संस्थान सम्मान 2011
-सर्वश्रेष्ठ खलनायक- फिल्म “अब त खुलाली रात यन्ग उत्तराखंड सिने अवार्ड-2012
-यूथ-आइकॉन अवार्ड- 2013
-महाकवि कन्हैयालाल डंडरियाल साहित्य सम्मान- 2017
-हाईलैंडर अवार्ड 2019
रंगमंच तथा क्षेत्रीय सिनेमा में अभिनय :
स्वयंवर (गढ़वाली), राजा का बाजा, खाडू लापता (गढ़वाली), घर जवें (गढ़वाली), वीर चक्र (गढ़वाली), महाभोज, फ्री स्टाइल गवाही, संध्या छाया, चारु लता, आस औलाद (गढ़वालीद्ध), कोयला भाई न राख, नई सड़क, केंद्र से छुड़ाना है, नमन मातृ शक्ति, प्यादा आछरी (गढ़वाली)
क्षेत्रिय सिनेमा : तेरी सौं, औंसी की रात, गढ़वाली शोले, हंत्या, इखरी माया, याद आली टिहरि, ल्या ढुंगार, बाबा कालू सिद्ध, गहू अर कलजुगी द्यबता, अब त खुलली रात, सजा, श्रीदेव सुमन,
कन्यादान, मेरू गौ, असगार याद, घपरोळ, खुद तेरी (वेब सीरीज) l
विशेष :
-‘आंदि-जांदि सांस’ कविता संग्रह श्री गुरूरामराय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम (एम.ए. गढ़वाली) में शामिल।
-श्रीमती आशा मंमगाई द्वारा एम.ए. (गढ़वाली) विषय में मदन मोहन डुकलान की कविताओं में वैशिष्टय एवं दर्शन विषय से लघु शोध। ये शोध पूर्णतया गढ़वाली भाषा में है और पुस्तक के रूप में प्रकाशित है जो गढ़वाली भाषा में प्रकाशित प्रथम शोध ग्रन्थ है।
-कुछ कवितायें मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हैं।
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