देहरादून, धाद संस्था की ओर से विश्व पहाड़ दिवस पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने सरकारी स्कूलों की उपेक्षा, समाज और शैक्षिक संस्थानों के बीच बढ़ती दूरी पर चिंता जताई। रेसकोर्स स्थित ऑफिसर्स ट्रांजिस्ट हॉस्टल में पहाड़ के स्कूल और शिक्षा की चुनौतियां विषय पर हुई गोष्ठी में विचार रखते हुए उपनिदेशक विद्यालयी शिक्षा शिव प्रसाद सेमवाल ने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का दावा करने वाले निजी शिक्षण संस्थान की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहाड़ों में शिक्षा को वैचारिक आंदोलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में लंबे समय तक सामाजिक शैक्षणिक मुहिम चलाने वाले ट्रस्ट व संस्थाओं की स्थिति इस समय बहुत अच्छी नहीं है। उन्हें आज अधर में छोड़ दिया गया है। स्कूलों के अनुभव को समाज के अनुभव से जोड़ने से ही समाधान निकल सकता है। धाद के अभियान की सराहना करते हुए उन्होंने निजी स्तर से 10 स्कूलों में कक्षा कौना का स्थापित करने में सहयोग की घोषणा की। प्रभारी उप निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद शैलेन्द्र अमोली ने व्यवहारिक ज्ञान को महत्व देने पर जोर दिया।
धाद के सचिव तन्मय ममगाईं ने पहाड़ के स्कूलों में संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए समाज से आगे आने का आह्वान किया। धाद अध्यक्ष लोकेश नवानी ने धनाड्य वर्ग से पहाड़ में शिक्षा के क्षेत्र में अधिक से अधिक सहयोग की अपील की। धाद कक्षा कौना के संयोजक गणेश उनियाल ने बताया कि धाद पहाड़ के स्कूलों के साथ काम कर आम समाज को शिक्षा व स्कूलों के साथ जोड़ने की मुहिम 2018 से चला रहा है। लोग बढ़ चढ़कर इसमें सहयोग कर रहे हैं। 18 स्कूलों से शुरू हुआ कक्षा कौना का अभियान साढ़े पांच सौ स्कूलों तक पहुंच चुका है। मौके पर रामिंद्री मंद्रवाल, संगीता बहुगुणा, अर्चना डोभाल, प्रदीप कुकरेती, देवेंद्र कांडपाल, हरीश डोबरियाल, सुनील भट्ट, डा. मधु डी सिंह, पंकज क्षेत्री, महावीर रावत, वीरेन्द्र खंडूड़ी, मीना रावत, उषा डोभाल, रंगकर्मी सतीश धौलाखंडी, ईश मोहन भट्ट, कमलेश खंतवाल, अजीत सिंह आदि मौजूद थे।
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