Monday, December 23, 2024
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नशे और नफरत के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगी महिलाएं, 19 मार्च से होगी आंदोलन की शुरूआत

“उत्तराखंड महिला मंच को कई जन संगठनों का भी मिला समर्थन”

देहरादून, उत्तराखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं ने इस बार में लोक सभा चुनाव से ठीक पहले फिर से सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। इस बार महिलाएं उत्तराखंड को नशे और नफरत से मुक्त करने के लिए सड़कों पर उतरेंगी। उत्तराखंड महिला मंच के इस आंदोलन को कई अन्य जन संगठनों ने भी समर्थन दे दिया है। आंदोलन की शुरुआत 19 मार्च को देहरादून से होगी और पूरे राज्य में यह आंदोलन फैलाया जाएगा।
रविवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक में महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित बैठक में नशे और नफरत के खिलाफ आंदोलन चलाने का फैसला किया गया। कहा गया कि चुनाव ही वह मौका है, जब राजनीतिक पार्टियां आम लोगों की बात सुनती हैं। इसलिए लोक सभा चुनाव से ठीक पहले यह आंदोलन शुरू किया जा रहा है। दावा किया गया कि राज्य में ड्रग्स पूरी तरह बंद करने और शराब नीति में सुधार किये जाने तक यह आंदोलन जारी किया रहेगा। इसके साथ ही नफरत की राजनीति का भी विरोध किया जाएगा। इस बैठक में उत्तराखंड इंसानियत मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, इप्टा और भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। सभी ने महिला मंच के आंदोलन को समर्थन देने की बात कही।
बैठक में राज्य में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति में चिन्ता जताई गई। कहा कि राज्य में एक तरफ जहां सरकार ने शराब घर-घर तक पहुंचा दी है, वहीं युवा पीढ़ी तेजी से सूखे नशे की चपेट में है। वक्ताओं को कहना है कि राज्य में हर दिन भारी मात्रा में सूखा नशा सप्लाई किया जा रहा है। नशे की जाल में फंसकर कई युवाओं की मौत हो गई है। देहरादून में जहां शिक्षण संस्थाओं के आसपास सरेआम इस तरह का नशा बेचा जा रहा है, वहीं दूसरी और राज्य के दूर-दराज के इलाकों तक भी स्मैक जैसे नशीले पदार्थ पहुंचाये जा रहे हैं। यह पुलिस और संबंधित अधिकारियों की सांठ-गांठ से किया जा रहा है।
उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत ने कहा कि नशे और नफरत ने युवा वर्ग को तबाह कर दिया है। बेरोजगारी से हताश युवाओं को एक पार्टी नशे का आदी बना रही है और अपने झंडे पकड़ाकर उन्हें नफरत में झोंक रही है। इससे समाज और परिवारों को ताना-बाना पूरी तरह से बिखर रहा है। नशे के जरूरत पूरी करने के लिए युवा छोटे-बड़े अपराध भी करने लगे हैं।
बैठक में फैसला किया गया कि 19 मार्च को नशे के खिलाफ डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों में छोटी-छोटी जनसभाएं और धरने प्रदर्शन किये जाएंगे। शुरू में कम से कम 10 जगहों पर ऐसी जनसभाएं की जाएंगी। इसके बाद महिला मंच अन्य संगठनोेें के साथ मिलकर घर-घर दस्तक देगा और लोगों को, अपने बच्चों को नशे से दूर रखने के बारे में जागरूक करेगा। यह भी फैसला किया गया कि जन संपर्क अभियान के माध्यम से बेरोजगारी, महंगाई, महिला अपराधों को लेकर भी लोगों को आगाह किया जाएगा और नफरत नहीं रोजगार का नारा दिया जाएगा।
बैठक में उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा, उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, ऊषा भट्ट, उमा भट्ट, किसान सभा के गंगाधर नौटियाल, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के कमलेश खंतवाल, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट आदि ने भी अपने विचार रखे और नशे और नफरत की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
वक्ताओं का कहना था कि नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं, कई घरों में जवान बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इस मुहिम को पूरे राज्य में चलाया जाना चाहिए। सरकार, पुलिस और प्रशासन पर नशे पर रोक लगाने के लिए दबाव बनाना चाहिए।

 

शहीद कपिल पंवार मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट : गढ़वाल बॉयज ने ईगल टीम को हराया

“कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने पुरुस्कार वितरण कर किया टूर्नामेंट का समापन”

शहीद कपिल पंवार मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट का कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने  पुरुस्कार वितरण कर किया समापन | State News UK
देहरादून, उत्तरकाशी में “द्रोपदी का डांडा” में बर्फ के नीचे दबकर शहादत को प्राप्त हुए शहीद कपिल पंवार की स्मृति में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया, गौरतलब हो कि उत्तरकाशी निम के पर्वतारोही कपिल पंवार 13600 फीट की ऊंचाई पर स्थित हिमालय के ग्लेशियर की चपेट में आ गये थे । शहीद कपिल पंवार मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट ने आज फाइनल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने मुख्य अतिथि के रूप में भागीदारी कर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया और उनको पुरस्कार वितरण कर समारोह का समापन किया।

कांग्रेस नेता अभिनव थापर ने कहा की खेल जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और क्रिकेट या अन्य किसी भी खेल से युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित होती है और इससे समाज में युवाओं के लिए प्रोत्साहन होता है और आगे भविष्य बनाने की भी संभावना उपलब्ध होती है।

निरंजनपुर स्थित दून बलोनी क्रिकेट स्टेडियम में इस क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया। आज इस टूर्नामेंट के फाइनल में गढ़वाल बॉयज ने ईगल टीम को रोमांचक मुकाबले में 24 रन से परास्त किया। गढ़वाल बॉयज के कप्तान नमन अरोड़ा को सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज, सूरज चौहान को सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज व मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार मिला। समापन कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में सन्नी राणा, डॉ रचित गर्ग, दिल्ली रणजी खिलाड़ी कुणाल चंदेला, शैलेन्द्र कौशिक आदि ने भाग लिया। शहीद कपिल पंवार स्मृति मंच के अध्यक्ष देवेंद्र पंवार ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।

 

दून पुस्तककालय में विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी पर बनी फिल्म का हुआ प्रदर्शन”विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी पर फ़िल्म का प्रदर्शन - Dakshin Prakash

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से संस्थान के सभागार में विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी के शहादत दिवस के अवसर पर उनपर आधारित एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया। ‘विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी’ शीर्षक से बनी इस हिन्दी फ़िल्म की अवधि तकरीबन 30 मिनट की थी। इस फ़िल्म का निर्देशन सुपरिचित फिल्मकार व लेखक जय प्रकाश पंवार ने किया है। फ़िल्म की पटकथा व शोध आलेख साहित्यकार डॉ.मुनिराम सकलानी ने लिखी है।
संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड के आर्थिक सहयोग से इस फ़िल्म का निर्माण श्रीदेव सुमन साहित्य व शिक्षा संस्थान के तत्वावधान में गायत्री आर्ट्स की ओर से किया गया है।

उल्लेखनीय है कि गबर सिंह नेगी को प्रथम विश्व के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना में एक बहादुर सैनिक के रूप में जाना जाता है। जिन्हें युद्ध में असाधारण वीरता के लिए विक्टोरिया क्रॉस का सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित वीरता पुरस्कार दिया गया।
गबर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल को 1895 में जनपद टिहरी गढ़वाल के चम्बा कस्बे के समीप मंजूर गांव में हुआ था। अक्टूबर 1913 में वे ब्रिटिश भारत सेना की एक रेजिमेंट सेकेण्ड गढ़वाल राइफल की बटालियन में वे बतौर सैनिक शामिल हो गये।
प्रथम विश्व युद्ध छिड़ने पर 39वीं गढ़वाल राइफल्स को भारतीय अभियान दल के लिए रेजिमेंट का चयन किया गया। 10 मार्च 1915 को लड़ाई के दौरान गबर सिंह नेगी की सेकेण्ड बटालियन की टुकड़ी न्यूवे के दक्षिण-पश्चिम में बहादुरी के साथ दुश्मन सैनिकों पर हमलावर की भूमिका निभा रही थी।इस भयंकर महायुद्ध में जब गढ़वाल रेजिमेंट के सेनानायक सहित कई लोग मारे जाने लगे और अनेकों सैनिक हताहत होने लगे तो युद्ध की कमान गबर सिंह नेगी को दी गई। तब उन्होंने वीरता के साथ जर्मन खाइयों पर नियंत्रण करने का बहुतेरा प्रयास किया और आगे बढ़कर टुकड़ी का बहादुरी के साथ नेतृत्व किया। युद्ध करते हुए उन्होंने अनेक शत्रुओं को मौत के घाट उतारा और बाद में खुद इस महायुद्ध में वीरता के साथ मात्र 20 वर्ष की आयु में ही शहीद हो गये ।
10 मार्च को इस महायुद्ध में उनके इस अदम्य साहस और वीरतापूर्ण कार्रवाई को देखते हुए उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के एक वीर सैनिक के रुप में 1856 में स्थापित सर्वोच्च विक्टोरिया क्रॉस, पुरस्कार का सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म, फिल्म निर्माताओं की ओर से गढ़वाल राइफल्स के गबर सिंह नेगी की असाधारण वीरता के अभिलेखीकरण की दिशा में किया जाने वाले कार्य का एक शानदार प्रयास है।
फ़िल्म निर्माता और लेखक जय प्रकाश पंवार ने इस फ़िल्म के निर्माण के उद्देश्य और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए फ़िल्म निर्माण के दौरान के अनुभवों को साझा किया। फ़िल्म की पटकथा लिखने वाले साहित्यकार डॉ. मुनिराम सकलानी ने फ़िल्म के कथानक की जानकारी उपस्थित लोगों को दी।
ब्रिगे. के जी बहल (सेवानिवृत्त) ने प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध और तत्कालीन भारतीय सैनिकों की अदम्य वीरता से जुड़े विविध प्रसंगों पर प्रकाश डाला। सामाजिक इतिहासकार डॉ.योगेश धस्माना ने गबर सिंह नेगी के जीवन पर आधारित अनेक महत्वपूर्ण जानकारी दी और गढ़वाल की परम्परागत सैन्य परम्परा पर विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर जनकवि डॉ.अतुल शर्मा, विनोद सकलानी, शिव जोशी, शैलेन्द्र नौटियाल, ब्रिगे. भारत भूषण शर्मा और सुंदर सिंह बिष्ट सहित अनेक फ़िल्म प्रेमी, इतिहास में रुचि रखने वाले अध्येता, पाठकगण, साहित्यकार, लेखक,पत्रकार व दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के युवा पाठक सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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