“पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच नोकझोंक, प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग पर ही धरने पर बैठे”
(एल मोहन लखेड़ा)
देहरादून, उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों ने आज बुधवार नौ अगस्त को सीएम आवास कूच किया। इनकी मांग थी कि प्रदेश में सशक्त भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 को लागू किया जाए। परेड मैदान से निकाले गए जुलूस को पुलिस ने विजय कॉलोनी से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस दौरान पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली।
प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग पर ही धरने पर बैठे।
चल पहाड़ी हल्ला बोल, उत्तराखंड़ मांगे भू कानून आदि नारों के साथ राज्य के विभिन्न जनपदों से आये प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी आज राज्य के मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। उल्टा राज्य के मूल निवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जल जंगल और जमीन जो हमारी मुख्य पूंजी है उसपर एक साजिश के तहत बाहरी तत्व सरकारी संरक्षण में कब्जा कर रहे है। सरकारी सेवाओं में बाहरी लोगों को धनबल के चलते नियुक्तियां भी मिल रही हैं और यहां का मूल निवासी बेरोजगार हो रहा है। सरकार हमारी बातों पर ध्यान नहीं दे रही है |
राज्य में सशक्त भू कानून लागू किए जाने की पैरवी करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पूरे हिमालयी राज्यों में वहां के मूल निवासियों के लिए विशेष कानून है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं की है। उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें और उस राज्य के शहीदों के सम्मान के अनुरूप यह राज्य बन पाए, इसलिए प्रदेश में भू कानून, मूल निवास 1950 और धारा 371 का कानून लाना जरूरी हो गया है।
उत्तराखण्ड़ चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संगठन और उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच के बैनर तले आयोजित मुख्यमंत्री आवास कूच में उत्तराखंड़ क्रांति दल, आम आदमी पार्टी और प्रदेश के विभिन्न संगठनों के नेताओं का कहना था कि प्रदेश में इतने ज्वलंत मुद्दे जन्म ले चुके हैं, उनकी गिनती नहीं हो सकती, लेकिन धामी सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए अलग-अलग तरीके अपना कर प्रदेश की जनता को भ्रमित कर रही है। नेताओं का कहना था कि भू कानून एक ऐसा गंभीर मुद्दा है कि इसमें प्रदेश की जनता अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ने के लिए मजबूर हो गई है। उत्तराखंड बनाने को लेकर प्रदेश की जनता ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर उत्तराखंड को जन्म दिया। अब एक बार फिर भू कानून जैसे संजिदा विषय पर जनता एक साथ सड़कों पर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेगी। भाजपा प्रदेश सरकार गूंगी और बहरी हो चुकी है। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना था कि बहन अंकिता भंडारी के हत्या में शामिल वीआईपी का नाम आज तक उजागर नहीं हुआ है | वहीं बेरोजगार संघ के बाबी पंवार ने कहा कि प्रदेश भर्ती परीक्षाओं के घपले जगजाहिर जिसके चलते युवाओं को मजबूर होकर पलायन करना पड़ता है सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है, बस अलग-अलग हथकंडे अपना कर सरकार अपनी नाकामी छुपाने की भरपूर प्रयास में रहती है।
मानसून सत्र में आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी :
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने आज मुख्यमंत्री आवास कूच के दौरान आयोजित सभा में कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण को लेकर सरकार लगातार टालमटोल कर रही है। उन्होंने ऐलान किया कि यदि मानसून सत्र में मुख्यमंत्री ने इस वायदे को पूरा नहीं किया तो वह मुख्यमंत्री आवास पर आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे।
उत्तराखण्ड़ चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संगठन के केन्द्रीय संरक्षक एवं वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी जितेन्द्र चौहान ने
भू कानून और मूल निवास के सवालों को उत्तराखंड की अस्मिता का सवाल बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून उत्तराखंड को बचाने को जरूरी है। इस अवसर पर उत्तराखण्ड़ राज्य आंदोलनकारी मंच ने मुख्यमंत्री 15 सूत्री ज्ञापन भी प्रेषित किया |
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शक्तियों और विभिन्न संगठनों की ओर से आयोजित इस प्रदर्शन में जगमोहन सिंह, देवी प्रसाद व्यास, जितेन्द्र चौहान जित्ती, अवतार सिंह बिष्ट, अंजना उनियाल वालिया, जबर सिंह पावेल, मोहन खत्री, जोतसिंह बिष्ट, मुन्नी खंडूरी, प्रदीप कुकरेती, मोहन सिंह रावत, दीपू सकलानी अनिल जोशी, नरेश चंद्र भट्ट, पीसी थपलियाल, उर्मिला शर्मा, शिवप्रसाद सेमवाल, बाबी पंवार, फुटबाल कोच जितेन्द्र रावत, सतेन्द्र भंडारी विशंभर बौठियाल, प्रमिला रावत आदि के साथ उक्रांद और आप के साथ विभिन्न राजनैतिक दलों और संगठनों के सैंकड़ों कार्यकर्ता और राज्य के बेरोजगार युवा एवं मातृ शक्ति भी शामिल रहे ।
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