देहरादून, उत्तराखंड़ कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने केदारघाटी में आई आपदा के प्रबंधन को लेकर सरकार से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के सातवें दिन भी राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग पूरी केदार घाटी में जान माल के नुकसान के ठीक आंकड़े सार्वजनिक नहीं कर रहा। साथ ही बदइंतजामी को लेकर भी पर्दा डाला जा रहा है। साथ ही आपदा से हुए नुकसान को भी छिपाया जा रहा है।
देहरादून में अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को केदारघाटी में आई भीषण आपदा से भारी नुकसान पहुंचा। तीर्थ यात्री केदारनाथ पैदल मार्ग में जहां तहां फंस गए। भूस्खलन से जगह जगह रास्ते बंद हो गए। इसके बाद जिला प्रशासन व आपदा प्रबंधन विभाग सोनप्रयाग से लेकर केदार मंदिर तक नौ स्थानों पर भूस्खलन व रोड वाश आउट की बात कर रहे थे। वह खुद एक अगस्त को आपदा प्रभावित क्षेत्र में गए। वहां की जानकारी से पता चला कि दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर भूस्खलन है। सोनप्रयाग समेत रामबाड़ा, लिनचोली, बड़ी लिनचोली में ज्यादा नुकसान है।
धस्माना ने कहा कि उसी दिन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से वार्ता के दौरान मैंने खुद फंसे हुए यात्रियों की संख्या दस हजार से ज्यादा होने के अनुमान लगाया। वहीं, शासन प्रशासन शुरू से नौ से दस स्थानों पर भूस्खलन व पांच छ हजार लोगों के फंसे होने का दावा कर रहा था। आज आपदा के सातवें दिन स्वयं आपदा प्रबंधन विभाग 29 स्थानों पर मार्ग क्षतिग्रस्त होने की बात कर रहा है। साथ ही ग्यारह हजार लोगों के रेस्क्यू किए जाने की बात कह रहा है |
उन्होंने कहा कि शासन की ओर से जारी यदि हर दिन के आंकड़ों को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि अब सबका रेस्क्यू हो चुका है। फिर अगले दिन बताया जाता है कि इतने लोगों का रेस्क्यू किया गया है। ऐसे में शासन के दावों पर सवाल उठना लाजमी है। जब सब लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया तो फिर से नए यात्री कहां से आ गए। ऐसा हर दिन की मीडिया रिपोर्ट में भी देखने को मिल रहा है। यात्रा मार्ग में फंसे लोगों की भी सही संख्या नहीं बताई जा रही है, उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि कांवड़ यात्रा वाले यात्रियों का प्रशासन ने कोई पंजीकरण किया ही नहीं। इसलिए शासन प्रशासन को फंसे हुए लोगों की सही संख्या पता ही नही थी। इसलिए रोज अलग अलग आंकड़े जारी किए गए। धस्माना ने कहा कि सोनप्रयाग रामबाड़ा, लिनचोली, बड़ी लिनचोली, भीमबली समेत अनेक स्थानों में मलवा आने से हुई जनहानि हुई है। उसका कोई अता पता ना तो स्थानीय प्रशासन को है और ना ही शासन को।
कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि आपदा पर किसी का नियंत्रण नहीं है, किंतु आपदा से निपटने की तैयारी और राहत व बचाव कार्यों की तैयारी जिस स्तर पर होनी चाहिए, वह नदारद थी। अधिकांश फंसे हुए लोगों को पैदल निकाला गया। धस्माना ने प्रदेश सरकार से मांग की कि केदार घाटी की आपदा में जान माल के नुकसान का सही आंकड़ा सार्वजनिक करें। यात्रा मार्ग दोबारा शुरू करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाए।
उप जिला चिकित्सालय मरीजों का बोझ नहीं झेल पा रहा, गर्मी में टीन सेड के नीचे घंटों इंतजार करती हैं गर्भवती बहनें : मोर्चा
विकासनगर(दे.दून), उप जिला चिकित्सालय विकासनगर में तपती धूप में टीन सेड के नीचे अपनी बारी का इंतजार कर रही गर्भवती बहनें एवं अन्य मरीजों की परेशानियां तथा चिकित्सकों पर पड रहे अत्याधिक बोझ को देखते हुए जन संघर्ष मोर्चा पदाधिकारीयों ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में अस्पताल का हाल जाना।
अस्पताल का हाल देखकर मालूम पड़ता है कि सरकार को मरीजों एवं चिकित्सकों की सुख-सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं है। क्षेत्र का अकेला उपजिला चिकित्सालय पूरे विकासनगर क्षेत्र, जौनसार, उत्तरकाशी जनपद के कुछ हिस्सों एवं उत्तराखंड की सीमा से लगे हिमाचल के कुछ गांव इस अस्पताल पर ही निर्भर हैं, जिस कारण रोजाना 500-600 ओपीडी के मरीज एवं पुराने मरीजों का चेकअप करना मरीजों एवं चिकित्सकों दोनों पर भारी पड़ रहा है।
हैरानी की बात यह है कि एक दिन में लगभग 100-125 मरीजों का अल्ट्रासाउंड करना चिकित्सा के लिए बहुत टेढ़ी खीर है तथा इसके साथ-साथ प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सक को भी लगभग 100-125 गर्भवती महिलाओं को देखना होता है तथा इसी प्रकार अन्य चिकित्सकों की भी यही हालत है,जोकि किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है। मोर्चा इस दुर्दशा को लेकर शीघ्र ही शासन में दस्तक देगा। मोर्चा पदाधिकारियों में प्रवीण शर्मा, प्रमोद शर्मा मौजूद थे।
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