देहरादून। भारत देवभूमि है, यहां अनेकों बार जब जब धर्म की हानि हुई, तब तब भगवान ने अवतार लिया और दुष्टों का संहार किया। आज पुनः धर्म की स्थापना की हानि हो रही है। इसलिए धर्म की पुर्नस्थापना की जरुरत है। यह विचार आचार्य तुलसीराम पैन्यूली ने नेशविला रोड डोभालवाला में ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के स्वर्गीय पिताजी ईश्वरी दत्त ममगाईं की पुण्य स्मृति में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पाखंडी स्वयं को भगवान बताकर अपनी पूजा करवा रहे हैं। जिनसे आज सावधान रहने की आवश्यकता है। मनुष्य केवल भगवान का भक्त हो सकता है, स्वयं भगवान नहीं। उन्होंने भक्ति के मूल का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति का भाव ह्रदय से उत्पन्न होता है, जब आंतरिक प्रेम उत्पन्न होने लगता है और प्रभु नाम स्मरण बिना एक पल भी काटना मुश्किल होने लगे तब समझना चाहिए कि हम प्रभु प्राप्ति की ओर हम बढ़ने लगे हैं।
कथा को बार बार सुनना व संकीर्तन करना यही कल्याणकारी है और भागवत भी यही संदेश देता है। इस अवसर पर ऋषिकेश की मेयर अनिता ममगाईं ने दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारम्भ किया। उत्तराखंड विद्वत सभा ने व्यास को सम्मानित किया। सूरजा देवी ममगाईं, आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं, पारेश्वर ममगाईं, राकेश ममगाईं, नत्थीलाल भट्ट, आचार्य भरत राम तिवारी, अनुसूया प्रसाद देवली, मंजू ममगाईं, आयुष ममगाईं, आयुषी ममगाईं, प्रेमा ममगाईं, कैलाश सुन्दरियाल, पंकज सुन्दरियाल, सुनिता सुन्दरियाल, शैलेन्द्री भट्ट, लक्ष्मी कोठारी, जयन्द्र सिंह नेगी, अनिल नेगी, प्रसन्ना लखेड़ा, सुरेन्द्र सिंह असवाल, सुदेखना बहुगुणा, मुरलीधर सेमवाल, विनोद नैथानी, उर्मिला मेहरा, आनद मेहरा, दामोदर सेमवाल, शुभम सेमवाल सत्य प्रसाद सेमवाल, द्वारिका नौटियाल, दिवाकर भट्ट, कमल रामानुजाचार्य, कैलाश थपलियाल, आचार्य विजेंद्र ममगाईं, आचार्य भानु प्रसाद आदि मौजूद थे।
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