Sunday, November 24, 2024
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हमें पर्यावरण संरक्षण कर पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी : रावत

हरिद्वार 23 मार्च (कुलभूषण) एस एम जे एन पी जी कालेज में कालेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री महन्त रविन्द्र पुरी महाराज की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केन्द्र देहरादून एस एम जे एन कालेज के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया जिसमें उत्तराखण्ड राज्य के विशेष सन्दर्भ में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों व तकनीकों से जागरुक किया गया।
राष्ट्रीय कार्यशाला मैती आन्दोलन के प्रेणता कल्याण सिंह रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि जल की समस्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में फैली हुई है। जल के तीन रूप.तरल वाष्प व ठोस जो प्रकृतिवश अपनी उपयोगिता को समय पर दर्शाता है। एक नदी का महत्व सिर्फ उसके कारण नहीं है बल्कि छोटे.छोटे स्त्रोतों के सहयोग से उसका अस्तित्व बना रहता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विभिन्न धार्मिक पर्यटक स्थल हिमालय की उच्चतम श्रेणियो में विराजमान हैं। प्राचीन काल में धार्मिक यात्रा के दौरान धार्मिक तीर्थाटन करने वाले व्यक्ति यहाँ पर प्रकृति के जल जमीन एवं आक्सीजन से अपने रोगों को दूर करते थेए क्योकि कि वहाँ बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं था। उन्होंने कहा कि जल व जंगल को तभी बचा सकेंगे जब हम स्वयं जमीन से जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण कर पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी। भारत की 42 प्रतिशत आबादी गंगा पर निर्भर हैए लेकिन हमने गंगा को भी जहर बना दियाहै। उन्होंने कहा कि ये नदियाँ भी जब तक हैं जब तक हिमालय राज जिन्दा हैं। उन्होंने उपस्थित सभी से पर्यावरण संरक्षण करने का आह्वान किया।
की.नोट स्पीकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रोण् बीण्डीण् जोशी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें प्रकृति की प्रत्येक वस्तु का संरक्षण करना चाहिए। जीवन की दिनचर्या में जल का उचित प्रयोग करके जल संरक्षण का किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर भी व्यक्ति को जल संरक्षण पर ध्यान देना चाहिएए स्कूलए मन्दिरए बैंकए आश्रमए कालोनी आदि सभी जगहों पर हमें पूर्ण रूप से सहयोग देना चाहिए। उन्होंने उपस्थित सभी से आह्वान किया कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में हिस्सा लेकर हम जल संरक्षण कर सकते हैं।
डीएवी कालेज के डा पुष्पेन्द्र शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी जीवन की पूरी दिनचर्या ही जल से प्रारम्भ होकर जल पर ही समाप्त होती हैए किसी भी कार्य के लिए हमें उचित मात्रा में ही जल का प्रयोग करना चाहिए। जल की सुरक्षा हमारे घर से ही प्रारम्भ होती है।
प्राचार्य डा सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि अगर जल का सही संचय नहीं किया गया तो यह सृष्टि के विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपर्याप्त जल की समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में है और वह दिन दूर नहीं जब जल के लिए विश्वयुद्ध छिड़ जाये। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है क्योंकि बगैर जल के जीवन की कल्पना सम्भव नहीं है। जल मानव जीवन के लिए बहुउपयोगी हैए जल की महत्त्ता के कारण मनुष्य इसे सहेजकर रखने हेतु बांधों झीलों तालाबों एवं इसी प्रकार के विविध प्रयास करता है।
कार्यशाला को मदरहुड यूनिसर्विटी के अभिषेक स्वामी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे कार्यशाला संयोजक डा संजय कुमार माहेश्वरी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि जल संरक्षण को बचाने हेतु सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। कार्यशाला में कालेज के छात्र.छात्राओं द्वारा जल संरक्षण से सम्बन्धित माडल की प्रदर्शनी भी लगायी गयी । इस अवसर पर डाण् पुष्पेन्द्र शर्मा डा रश्मि रावत त्यागी द्वारा लिखित पुस्तक का प्रो बीण्डीण् जोशी डा कल्याण सिंह रावत व प्राचार्य डा सुनील कुमार बत्रा द्वारा विमोचन किया गया।

इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ने किया शहीदों को नमन

हरिद्वार 23 मार्च (कुलभूषण) इन्टरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ इंडिया हरिद्वार चेप्टर के अध्यक्ष ई मधुसूदन आर्य ने वर्चुअल मीटिंग में कहा कि वैसे तो देश की आजादी की लड़ाई में कई स्वतंत्रता सेनानी हुए लेकिन इनमें तीन ऐसे क्रांतिकारी थे जिनके विचार और व्यक्तित्व आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं। आज महान देशभक्त शहीद.ए.आजम भगत सिंहए सुखदेव और राजगुरु की कुर्बानी को याद करने का दिन है। 23 मार्च ही वो दिन था जब ये तीनों हंसते.हंसते देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। यही वजह है कि हर साल 23 मार्च का दिन इन तीन शहीदों की याद में शहीदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
प्रांतीय उपाध्यक्ष जगदीश लाल पाहवा ने कहा कि भारत को आजादी दिलाने में अनगिनत क्रांतिकारियों का नाम याद किया जाता है लेकिन जब भी देशप्रेम की बात की जाती हैए उन क्रांतिकारियों में सबसे पहले 23 मार्च 1931 को शहीद हुए भगतसिंहए सुखदेव और राजगुरु का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। आज का दिन इन तीन क्रांतिकारियों को शहीद दिवस के रूप में समर्पित किया जाता है।
डॉ सुनील बत्रा ने कहा कि वतन के लिए त्याग और बलिदान भगतसिंहए सुखदेव और राजगुरु का नाम सर्वोपरि रहा। वे कहते थे कि एक सच्चा बलिदानी वही है जो जरुरत पड़ने पर सब कुछ त्याग दे। भगत सिंह स्वयं अपनी निजी जिंदगी से प्रेम करते थेए उनकी भी महत्वाकांक्षाएं थीए सपने थे। लेकिन वतन पर उन्होंने अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया। भगत सिंहए राजगुरु और सुखदेव के जीवन से हमें देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है। साथ में उन महान क्रांतिकारियों के जीवन से हम यह भी सीख सकते हैं कि अगर देश की आनए बान और शान के खिलाफ कोई ताकत खड़ी होती है तो हमें बल के साथ.साथ वैचारिक रूप से भी उसे कुचलने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर राजीव राय जितेंद्र कुमार शर्मा प्रमोद शर्मा डॉक्टर पवन सिंह कमला जोशी अन्नपूर्णा बंधुनी डॉक्टर मनीषा दीक्षित प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव सुबोध गुप्ता लतिका आर्य करुणा महेश्वरी प्रवीण अग्रवाल अंजली माहेश्वरी प्रमोद शर्मा सुरेश चन्द्र गुप्ता यू के गुप्ता आदि उपस्थित रहे

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