(एल मोहन लखेड़ा)
ऐसा क्या हुआ कि अचानक उत्तराखण्ड़ में भाजपा को नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ रहा और वह जब राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं, फिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि एक रावत को हटाया, फिर दूसरे को अब क्यों तीसरे की तैयारी..? इस पर उत्तराखण्ड़ की जनता भी अचरज में पड़ गई, क्या बार बार मुख्यमंत्री बदलने से पहाड़ी जनमानस की किस्मत भाजपा बदल पायेगी, यह सवाल तो फिलहाल गर्द में तैरता नजर आ रहा | राज्य के जनमानस तो अभी कोरोना संक्रमण की मार से अभी उभर नहीं पाया और आज तक संकट में धिरा नजर आ रहा, वह तो अभी तक विकास की राह जोह रहा, क्या पहाड़ के सीधे और सरल व्यक्ति ने तो ‘राज्य’ की कल्पना इसी उद्देश्य से की थी उसने तो सोचा था कि शायद उसके दिन भी बहुरेंगे…!
इधर राज्य में भाजपा तीसरे मुख्यमंत्री की तैयारी में है, सभी अपनी गोटी बिठाने में लगे हैं, पहाड़ फिर ‘पहाड़’ लगने लगा, सभी को सत्ता की मलाई चाहिये, बस और कुछ नहीं ..
आखिरकार संवैधानिक संकट की आहट के बीच राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने इस्तीफा दे दिया है। अब आज शनिवार को विधानमंडल की बैठक बुलाई गई है। इसके बाद नए सीएम का ऐलान होगा। पार्टी ने राज्य के सभी विधायक और सांसदों को देहरादून बुला दिया है। इस बार भी मुख्यमंत्री की दौड़ में फिलहाल मौजूदा कई विधायकों के चेहरे सामने हैं, परन्तु दावा नहीं किया जा सकता कि मुख्यमंत्री विधायकों के बीच बनेगा या फिर ‘हाईकमान’ तय करेगा।
सबसे दु:खद तो यह
उत्तराखंड में बहुमत वाली भाजपा की सरकार में पांच साल के भीतर तीसरा मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। विगत 10 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पार्टी ने हटाकर सांसद तीरथ रावत को नए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी। अभी तीरथ रावत को मुख्यमंत्री बने चार माह भी पूरे नहीं हुए कि उनको कुर्सी से हटाया जा रहा है। बहाना हालांकि इसके पीछे उनके छह माह के भीतर चुनाव लड़ने का है जोकि कोरोना संक्रमण काल के चलते यह संभव नहीं हो पाया। अब वह चुनाव तो लड़ना चाहते थे, किंतु संवैधानिक प्रक्रिया यानी सरकार का कार्यकाल एक साल से कम रहने से चुनाव करना चुनाव आयोग के लिए संभव नहीं था। ऐसे में उनके सामने सिर्फ इस्तीफा देने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली बुलाकर चुनाव लड़ने समेत अन्य पहलुओं को लेकर चर्चा की। तीन दिन तक उनकी केंद्रीय नेताओं से कई बैठकें भी हुई है। लेकिन आखिर केंद्रीय नेतृत्व ने उनको इस्तीफा देने के लिए कहा, शुक्रवार को रात 10 बजे सीएम तीरथ रावत ने मीडिया से रूबरू हुए और अपने चार माह की उपब्धियों को गिनाया। पत्रकार वार्ता में सीएम ने सिर्फ सरकार की उपलब्धियां गिनाने के अलावा कुछ नहीं बोले, लगता था कि हाईकमान ने पढ़ा कर भेजा होगा, हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह अपने इस्तीफा को लेकर कोई बात नहीं कही। रात करीब 11 बजे वह राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने राजभवन से निकलने के बाद भी अपने इस्तीफे को लेकर कोई बात नहीं कही और इस दौरान मीडिया को सीएम ने कहा कि वह सेफ हाउस में जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल की गिनाई उपलब्धियां
राज्य में सत्ता संभालते ही कोरोना महामारी की दूसरी लहर बड़ी वेग से आई, फिर भी हम कोरोना महामारी से बड़ी निजात पाए हैं। ट्रांसपर, पर्यटन आदि में दिक्कतें आई हैं। उनको जो सुविधा दिलाई जा सकी सरकार ने की। राहत देने में विभिन्न कदम उठाए। करोड़ों के कार्य गिनाए। सभी बिंदुओं को छुआ सरकार ने।उत्तराखंड में होनी थी 22340 पद पर भर्ती। 5699 शिक्षा, 2 चिकित्सा, वन2 , राजस्व 789, शहरी विकस्स 872, उच्च 672, पशुपालन 300, कृषि में 400, लोनिवि 312, उद्यान 314, समाज कल्याण, जनजाति, उत्तराखंड में दसवीं और 12वीं के विद्यार्थियों को फ्री लैपटॉप देना था आदि आदि
विधायक मंडल की आज होगी बैठक, चुनेंगे नए सीएम
राजनैतिक सरगर्मी के बीच आज शनिवार को भाजपा विधानमंडल की बैठक 3 बजे बुलाई गई है। इस बैठक में पार्टी के विधायक अपना नेता चुनेंगे। इसके बाद ही राज्य को नया मुख्यमंत्री मिल पायेगा।
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