देहरादून, आजीविका चलाने के लिये हर कोई कड़ी मेहनत और कार्यक्षमता के मुताबिक अपना सार्थक परिणाम देने का प्रयास करता है और उसी प्रयास के सकारात्मक पक्ष के रूप में नौकरी पेशा व्यक्ति अपनी पदोन्नति की और भी टकटकी लगाये देखता है जो कि उसके जीवन में नये जोश के साथ आगे बढ़ने के रास्ते खोलती है और अपने कार्य के प्रति अधिक कर्मठता का प्रतिफल तैयार करती है, अगर हम कहे कि एक विभाग में विभागीय कार्मिक लगातार हो रही पदोन्नति से खुश हैं तो उसी के समकक्ष विभाग में पदोन्नति का न होना कार्मिकों के भीतर निराशा की किरण जागृत करने में सहायक सिद्ध होती है |
राज्य में तकरीबन सभी विभागों में इस समय पदोन्नति प्रक्रिया की बयार बह चुकी है। अन्य विभागों के साथ साथ उत्तराखंड़ पुलिस विभाग में भी पदोन्नति हो रही है परन्तु उत्तराखंड़ पुलिस के दूरसंचार विभाग में अराजपत्रित अधिकारियों की सेवा नियमावली न बन पाने के कारण चार साल से पदोन्नति नहीं हुई। अब जो नियमावली बनाई भी गई है उसमें सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर पद के लिए 10 साल के अनुभव की पात्रता तय की जा रही है। गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में यह समय सीमा पांच साल है। ऐेसे में यदि यहां 10 साल की समय सीमा लागू होती है तो फिर अगले दो वर्षों तक भी दूर संचार में पदोन्नति की कोई संभावना नहीं है।
प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले सभी विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। सरकार ने यह भी कहा है कि यदि कोई व्यवधान आ रहा है उसे दूर किया जाए। सभी विभागों से इसके लिए सेवा नियमावली में आवश्यक संशोधन करने के भी निर्देश दिए गए है।
इस क्रम में विभागों की सेवा नियमावलियां लगातार कैबिनेट के जरिये पास भी हो रही हैं। वहीं दूर संचार की नियमावली बीते तीन साल से वित्त और गृह विभाग के बीच ही चक्कर काट रही है। दरअसल, पुलिस दूरसंचार विभाग में पदोन्नति के बेहद सीमित अवसर थे। इसका कारण एक ही ग्रेड वेतन में दो पद रखे गए थे। इससे हो रही अनियमितता को देखते हुए इसके ढांचे में बदलाव किया गया और सहायक सब इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व इंस्पेक्टर के अलग-अलग पद बनाए गए। इससे विभाग में उप निरीक्षकों के 50 से अधिक ऐसे पद सृजित हुए।इन पदों को पदोन्नति के जरिये भरा जाना है। पहले पदोन्नति में आरक्षण के कारण यह मसला फंसा रहा। अब इसमें पेंच हटा है तो फिर मामला अब नियमावली को लेकर फंस गया है। सूत्रों की मानें तो अभी तक दूर संचार विभाग में पदोन्नति रिक्त पदों के सापेक्ष होती थी। इसमें अनुभव की कोई न्यूनतम सीमा नहीं थी। अब नियमावली में संशोधन किया जा रहा है तो अब न्यूनतम अनुभव सीमा सिविल पुलिस के समान 10 वर्ष की जा रही है।
जबकि, पुलिस के ही एक अन्य तकनीकी विभाग अग्निशमन में पदोन्नति की न्यूनतम अर्हता पांच साल रखी गई है। इसी पेंच के चलते नियमावली अटकी हुई है | अब जबकि 25 फरवरी को कैबिनेट बैठक होने की संभावना है और इस विषय पर कोई निर्णय लिया जा सकता है ऐसे में पुलिस संचार कर्मियों को प्रदेश के मुख्यमंत्री से यूपी की तर्ज पर पदोन्नति में समय सीमा 10 से 5 साल करने की आस है और आशान्वित हैं कि सकारात्मक पक्ष के तहत अपना सार्थक आर्शीवाद पुलिस संचार कर्मियों को प्रदान करेंगे |
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