Sunday, November 17, 2024
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आचार्य विनोबा भावे के नेतृत्व में लाखों लोगों ने पद यात्राएं कर भूमिहीनों के लिए जमीन का दान मांगा : सर्वोदयी हरबीर सिंह

देहरादून, जिला सर्वोदय मंडल देहरादून तथा दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में दून पुस्तकालय के सभागार में भूदान आंदोलन के महानायक सर्वोदयी आचार्य विनोबा भावे जी की 128 वीं जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक सर्वधर्म प्रार्थना से की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर इंदु शुक्ला द्वारा की गई।

कार्यक्रम में सर्वोदय मंडल और विनोबा परिचय सर्वोदयी डॉक्टर विजय शुक्ला द्वारा दिया गया। मुख्य अतिथि दून पुस्तकालय के सलाहकार, प्रोफेसर बी. के. जोशी जी द्वारा महात्मा गांधी जी एवम आचार्य विनोबा भावे के विराट व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उनके चित्र पर सूत की माला अर्पित की गई।
मुख्य वक्ता सर्वोदयी हरबीर सिंह कुशवाहा द्वारा कहा गया कि महात्मा गांधी जी के अनन्य सहयोगी आचार्य जी एक प्रखर विद्वान, निराले कर्मयोगी, कई भाषाओं के ज्ञाता, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विश्व में अपनी तरह के एक आंदोलन भूदान आंदोलन के प्रणेता थे। उन्होंने अपने जीवन काल में चंबल घाटी के दुर्दांत डाकुओं को अपने आत्मबल से आत्म समर्पण करवा कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का कठिन कार्य करवाया। भूमिहीनों को भूमि दिलवाने के पवित्र उद्देश्य से आचार्य विनोबा जी ने 1959 में भूदान आंदोलन शुरू किया। इसके तहत उनके नेतृत्व में पूरे देश में लाखों लोगों ने पद यात्राएं कर भूमिहीनों के लिए जमीन का दान मांगा। देश में कुल 52 लाख एकड़ जमीन का दान स्वेच्छा से हुआ। देहरादून में बुद्धा टेंपल समेत कई तिब्बती कालोनियां उसी भूमि दान की जमीन पर बसी हैं। विशिष्टअतिथि पर्यावरणविद रवि चोपड़ा ने अपने वक्तव्य में कहा कि विनोबा जी सभी धर्मों के मर्मज्ञ थे। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब, कुरान, बाइबिल, धम्मपद समेत गीता जी का सार लिखा। जिनको देश विदेश में सराहा भी गया। उनका लिखा कुरान सार देश विदेश के इस्लाम धर्म गुरुओं द्वारा बहुत ही सराहा गया।
कार्यक्रम के अंत में पद्मश्री डॉक्टर माधुरी बड़थ्वाल द्वारा बापू के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जानिए … ‘ गाकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज तक सभी ने उनकी पहाड़ी धुनों का आनंद उठाया था पर आज एक पारी की शुरुआत उन्होंने इस धुन को गाकर विनोबा जी को बड़ा सम्मान प्रदान किया है।

कार्यक्रम के आरंभ में सर्वोदयी डॉक्टर रश्मि पैन्यूली ने विनोबा जी को सभी की ओर से पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में लोगों को विनोबा साहित्य का वितरण भी किया गया।
आज के कार्यक्रम का संचालन सर्वोदयी कुसुम रावत द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वागत व अंत में आभार दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने व्यक्त किया। इस मौके पर बिजू नेगी, विजयशंकर शुक्ल, एस एस बिष्ट, अंजलि भृतहरि,त्रिलोचन भट्ट, राजेश सकलानी,समर भंडारी, बिजू नेगी,कमला पन्त,समदर्शी बड़थ्वाल, अभिमन्यु गहलौत, डॉ.सत्यनारायण सचान सहित बुद्धा टेंपल के प्रतिनिधि व शहर के कई सामाजिक चिंतक, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी, साहित्यप्रेमी, पुस्तकालय के सदस्य और युवा पाठक मौजूद थे। अंत में विनोबा जी के सिद्धांतों के अनुरूप ही मात्र तीन वस्तुओं के जलपान से विनोबा जयंती का समापन हुआ

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