Sunday, November 24, 2024
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खास खबर : राज्य के तीनों ऊर्जा निगमों के कर्मचारी छह अक्टूबर से हड़ताल पर रहेंगे, तीन राज्यों के कार्मिक संभालेंगे विद्युत व्यवस्था

देहरादून, उत्तराखंड में तीनों ऊर्जा निगमों के कार्मिकों की हड़ताल को देखते हुये रविवार से जलविद्युत उत्पादन से लेकर पारेषण और विद्युत वितरण का जिम्मा भाजपा शासित राज्यों उत्तरप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल के साथ केंद्र सरकार के ऊर्जा उपक्रमों के अभियंता और कार्मिक संभालेंगे।

ऊर्जा के तीनों निगमों के कार्मिकों की छह अक्टूबर से हड़ताल प्रस्तावित है और इसी के तहत सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में मोर्चा संभाल लिया है। विद्युत आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए राज्य के अन्य अभियंत्रण सेवाओं से जुड़े विभागों पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण निर्माण, जल संस्थान और सिंचाई के करीब 250 अभियंताओं की मदद ली जा रही है। सभी जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों को अलर्ट किया गया है। विद्युत उत्पादन गृहों से लेकर सब स्टेशन पर पुलिस फोर्स तैनात रहेगी।

राज्य में ऊर्जा निगम, जलविद्युत निगम और विद्युत पारेषण निगम के अभियंताओं और कार्मिकों ने मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का एलान किया तो सरकार ने भी कमर कस ली है। विद्युत कार्मिकों की हड़ताल के मद्देनजर मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने शनिवार सुबह सचिवालय में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, ऊर्जा सचिव सौजन्या, सभी जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों और ऊर्जा निगमों के आला अधिकारियों के साथ बैठक की।

बैठक में हड़ताल से निपटने के लिए वैकल्पिक बंदोबस्त की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। विद्युत उत्पादन से लेकर विद्युत आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई। इस कार्य के लिए वैकल्पिक तौर पर करीब 360 कार्मिकों की मदद ली जा रही है। हड़ताल भले ही छह अक्टूबर से होनी है, लेकिन रविवार से ही वैकल्पिक व्यवस्था पर अमल होगा। इसके लिए ट्रायल भी किया गया है।

सभी जिलों में जिला प्रशासन और पुलिस को सतर्कता बरतने और विद्युत उत्पादन से लेकर वितरण तक सभी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करने की हिदायत दी गई। अभिसूचना इकाई और पुलिस के खुफिया तंत्र को भी सावधान किया गया है। मुख्य सचिव डा. संधु ने कहा कि इसमें किसी भी सूरत में ढील नहीं बरती जायेगी |
प्रदेश में 10 प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं के संचालन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। यमुना नदी परियोजनाओं छिबरो, खोदरी, ढालीपुर, ढकरानी व कुल्हाल का जिम्मा हिमाचल प्रदेश के सतलुज जलविद्युत निगम के अभियंता व कर्मचारी संभालेंगे। इन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। इसीतरह गंगा नदी पर मनेरी भाली फेज-एक, फेज-दो जलविद्युत परियोजनाओं का जिम्मा केंद्र सरकार का उपक्रम टीएचडीसी संभालेगा। चीला जलविद्युत परियोजना व खटीमा परियोजना के संचालन का जिम्मा एनएचपीसी को दिया गया है। हरिद्वार जिले में पथरी व मोहम्मदपुर जलविद्युत परियोजनाओं में वैकल्पिक कार्मिकों की तैनाती की गई है।
प्रदेश में विद्युत पारेषण निगम के पास 132 केवीए, 220 केवीए और 400 केवीए के करीब 44 सब स्टेशन हैं। इनके संचालन के लिए हिमाचल, उत्तरप्रदेश, हरियाणा के वरिष्ठ अभियंताओं, पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया के अभियंताओं और कर्मचारियों की मदद ली जा रही है।
लिऐअगर हड़ताल होती है तो सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस दौरान विद्युत आपूर्ति सुचारू रखने की है। ऊर्जा निगम पूरे प्रदेश में 33/11 केवीए के 367 सब स्टेशनों के माध्यम से सभी घरेलू, वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति कर रहा है। इनका संचालन के लिए ठेकेदारी व्यवस्था पर कार्यरत कर्मचारियों व उपनल के कर्मचारियों की मदद ली जाएगी।

ठेकेदारी व्यवस्था पर इस कार्य के लिए आउटसोर्स से कर्मचारियों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इन कार्मिकों की मदद और मानीटरिंग के लिए लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण निर्माण विभाग, जल संस्थान और सिंचाई विभाग के 125 कनिष्ठ अभियंताओं, 74 सहायक अभियंताओं, 36 अधिशासी अभियंताओं और अधीक्षण अभियंताओं को जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया गया है |

प्रदेश सरकार ने अप्रेंटिस अभियंताओं के लिए भी उत्तरप्रदेश से मदद मांगी है। उत्तरप्रदेश में इलेक्ट्रिकल ट्रेड में बीटेक उपाधिधारक युवाओं को अप्रेंटिस अभियंताओं के तौर पर इंटरव्यू के जरिए तैनाती का निर्णय किया है | अब देखना यह होगा हड़ताल होती है या बीच का कोई रस्तॎा निकाल समाधान की ओर बात जा सकती है, फिलहाल कार्मिक हड़ताल पर अड़े हैं |

 

सरकार हुई सख्त : उत्तराखंड में बिजली कर्मियों की छुट्टी पर रोक, एस्मा लागू

देहरादून, अपनी 14 सूत्रीय मांगों लेकर बिजली के तीनों निगमों के अभियंताओं और कार्मिकों की छह अक्टूबर से बेमियादी हड़ताल से सरकार अब सख्ती से निपटेगी। सरकार ने एस्मा लागू करने के साथ ही तीनों निगमों के कार्मिकों की छुट्टी पर रोक लगा दी है। प्रदेश में जलविद्युत उत्पादन, पारेषण से लेकर बिजली आपूर्ति के लिए वैकल्पिक बंदोबस्त किए गए हैं। भाजपाशासित राज्यों उत्तरप्रदेश, हिमाचल और हरियाणा के साथ ही केंद्रीय ऊर्जा उपक्रमों के अभियंताओं और कार्मिकों को राज्य में तैनात किया गया है। हड़ताल से तीन दिन पहले यानी रविवार से ही राज्य की विद्युत व्यवस्था वैकल्पिक कार्मिकों के सुपुर्द होगी। इसके लिए बाकायदा ट्रायल किया गया है। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने शनिवार को सचिवालय में बैठक कर शासन, निगमों के आला अधिकारियों के साथ ही सभी जिलाधिकारियों व पुलिस कप्तानों को अलर्ट मोड में रहने को कहा गया है। सभी विद्युत प्रतिष्ठानों पर पुलिस फोर्स तैनात रहेगी।

उत्तराखंड ऊर्जा निगम, जलविद्युत निगम और विद्युत पारेषण निगम में करीब 10 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें चार हजार नियमित और करीब छह हजार संविदा पर कार्यरत हैं। तीनों निगमों के अभियंता और कार्मिक उत्तराखंड विद्युत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले लंबे समय से आंदोलनरत हैं। बीते जुलाई माह में सरकार के साथ समझौते के बाद कार्मिकों ने हड़ताल स्थगित कर दी थी। इस बीच कार्मिकों की 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत व शासन के अधिकारी कई दौर की वार्ता के बाद भी सहमति नहीं बन पाई। अब असंतुष्ट कार्मिक छह अक्टूबर से बेमियादी हड़ताल पर जाने की घोषणा कर चुके हैं। संयुक्त संघर्ष मोर्चा के रुख को देखकर अब सरकार ने हड़ताल से निपटने की तैयारी की है। हड़ताल के मद्देनजर एस्मा लागू कर दिया गया है। शनिवार को ऊर्जा निगम और पिटकुल के प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने कार्मिकों की हड़ताल को देखते हुए तमाम कार्मिकों की छुट्टी पर रोक के आदेश जारी कर दिए।

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