हरिद्वार, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज का युवा देश के प्रति जिम्मेदार भी है और कर्तव्य परायण भी, यह धर्म संसद विकसित राष्ट्र के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पतंजलि ऑडिटोरिम पहुॅचकर युवा धर्म संसद कार्यक्रम का दीप जलाकर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या महासचिव चम्पत राय, सिद्धपीठ श्री हनुमन्निवास अयोध्या आचार्य मिथिलेश ननिदनी शरण महाराज व बाबा रामदेव भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सेवाज्ञ संस्थानम द्वारा आयोजित चतुर्थ युवा धर्म संसद में राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य लेकर देश की युवा पीढ़ी को सही दिशा देने के उद्देश्य से कार्यक्रम में पहुॅचे सभी महानुभावों तथा युवा शक्ति का देवभूमि उत्तराखण्ड पहुॅचने पर हार्दिक स्वागत तथा अभिनन्दन करते हुए कहा कि 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानन्द द्वारा अमेरीका के शिकागों शहर में दिए गए उद्बोधन को आधार मानकर आयोजित यह कार्यक्रम देश की युवा शक्ति को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए अवश्य ही प्रेरित करेगा क्योंकि यह संसद निष्ठावान और जागरूक नागरिकों के निर्माण का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि आज का युवा देश के प्रति जिम्मेदार भी है और कर्तव्य परायण भी, यह धर्म संसद विकसित राष्ट्र के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार इंजन को चालू करने के लिए ईंधन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने हेतु युवा शक्ति की ताकत, उनकी इनोवेटिव सोच और प्रतिभा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि देश को विश्व गुरू बनाने तथा वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को अपने कन्धों पर जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने युवाओं का मार्ग—दर्शन करते हुए कहा कि हमारा विकल्प रहित सकल्प होना चाहिए क्योंकि संकल्प में विकल्प ले आते हैं तो संकल्प वहीं पर समाप्त हो जाता है, हमारे रास्ते बदल जाते हैं, मंजिल हमसे दूर हो जाती है और सपने हम से रूठ जाते हैं। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अध्यात्म की धरती रही है। सरकार उत्तराखंड के अंदर धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
कार्यक्रम में विधायक प्रदीप बत्रा, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल, सीडीओ आकांक्षा कोण्डे, उपाध्यक्ष एचआरडीए अंशुल सिंह, संयुक्त मजिस्ट्रेट रूड़की आशीष मिश्रा, पूर्व विधायक सुरेश राठौर, बजरंग दल के राजेन्द्र पंकज सहित प्रोफेसर रामनाथ झा, ऋषिकेश उपाध्याय, बजरंग देव, बीजेपी जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति, सन्दीप गोयल सहित बड़ी संख्या में युवक युवतिया आदि उपस्थित थे।
हिंदी राजभाषा के रूप में अपने अस्तित्व के साथ प्रगति पथ पर गतिमान है : डा. सुधा पाण्डेय
“दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में हुआ हिन्दी दिवस का आयोजन”
देहरादून, राजभाषा हिन्दी दिवस की पूर्व सन्ध्या पर दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सरस्वती वन्दना तथा हिन्दी के महत्व पर आधारित विभिन्न कवयित्रियों ने सस्वर कविताओं का वाचन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार व दून स्कूल के प्राचार्य सुदेश ब्याला ने की, मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. सुधा रानी पाण्डेय मौजूद रहीं। इस मौके पर मुख्य वक्ता श्रीमती कमला पंत व वरिष्ठ साहित्यकार व राजभाषा विशेषज्ञ डॉ. मुनिराम सकलानी की पुस्तक आजादी का अमृत महोत्सव और राजभाषा हिन्दी की प्रगति यात्रा का लोकार्पण किया।
अपने उद्बोधन में डॉ. सुधा रानी पाण्डेय ने कहा कि इस पुस्तक में डॉ.सकलानी ने हिन्दी के उद्भव व विकास से लेकर भारत की राजभाषा तक हिन्दी की सुदीर्घ यात्रा और उसके विकास के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने राजभाषा हिंदी के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. मुनिराम सकलानी की पुस्तक को राजभाषा हिंदी की प्रगति यात्रा के सन्दर्भ में बड़ी उपलब्धि बताया। डॉ. सुधा रानी पाण्डेय ने यह भी कहा कि धारा 343 में ही स्पष्ट किया गया है कि संघ की उदात्त स्तर पर अपनी भावाभिव्यक्ति साहित्य और दैनंदिन के कार्यों में करना राजभाषा का सम्मान ही नहीं, आजाद भारत की भाषाओं का अभिनंदन भी है। आज भी हिंदी राजभाषा के रूप में अपने अस्तित्व के साथ प्रगति पथ पर गतिमान है। राजभाषा हिंदी सहित अन्य प्रांतीय भाषाओं और बोलियों का विकास भी सहज रुप से हुआ है। हिंदी के वैश्विक प्रसार के कारण हिन्दी सांस्कृतिक एकता की श्रंखला भी बन चुकी है । निज भाषा की उन्नति के लिए उसका अधिकाधिक प्रयोग करना हम सभी के लिए गौरव का विषय होना चाहिए।
मुख्य वक्ता के रुप में डॉ. सकलानी ने अपनी पुस्तक की चर्चा करते हुए कहा कि 14 सितम्बर को सर्व सम्मति से हिन्दी को भारत की राजभाषा का गौरवशाली स्थान मिला, इससे हमें भावनात्मक रुप से जुडना चाहिए। क्योंकि स्वभाषा के विकास से ही स्वदेश की प्रतिभा प्रतिपादित होती है। यह राष्ट्रीय एकता की कड़ी है और वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ रही है।
श्रीमती कमला पंत ने कहा कि हमें अंग्रेजी की मानसिकता त्याग कर हिन्दी को अपने व्यक्तिगत व सरकारी कार्यों में आधिकाधिक प्रयोग में लाना चाहिए। भाषा संस्कृति की वाहक होती है और संस्कृति के मूल्यों को आधार प्रदान करती है।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुये डॉ. रामविनय सिंह ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम सभी जन हिन्दी का स्वाभिमान जागृत करें और इसे अपने व्यवहार में व्यापक तौर प्रयोग करने का कार्य करें।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोगाम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने मंचासीन अतिथियों और सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागगत किया और संस्थान के उपलब्धियों के साथ यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों तथा प्रकाशित होने पुस्तकों के सन्दर्भ में राजभाषा हिन्दी के प्रयोग की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक डॉ.सविता मोहन ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में श्रीमती ज्योति झा ने सरस्वती वंदना, श्रीमती कुलवीर कौर ने डॉ0 त्रिवेदी की हिन्दी कविता तथा श्रीमती शोभा पाण्डेय ने अपनी स्वरचित कविता ‘मैं हिन्दी हूुं‘, का वाचन किया । इसके अलावा श्रीमती ज्योति नैनवाल की ओर से ‘जिसको नही निज देश का अभिमान है‘ तथा श्रीमती पूनम नैथानी द्वारा गाया गीत ‘जन गण मन की अभिलाषा, राष्ट्रभाषा यह हिन्दी‘ का गायन भी किया गया।
इस अवसर पर राकेश बलूनी, सतीश धौलाखण्डी, ब्रिगेडियर के जी बहल, कल्पना बहुगुणा, मंजू काल,अमर खरबंदा, रजनीश त्रिवेदी, आर पी भारद्वाज,भारती पांडे,अभि नंदा, सुंदर सिंह बिष्ट, राकेश जुगरान,देवेंद्र कांडपाल, हर्षमणि भट्ट ‘कमल’, मीरा नन्दा, कई लेखक, साहित्यकार, हिन्दी व साहित्य प्रेमी सहित अनेक पाठकगण व अन्य प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहे।
Recent Comments