ऋषिकेश, जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत नीलकंठ मार्ग पर स्थित गरुड़ चट्टी में गंगा से कुछ दूरी पर खुले अंग्रेजी शराब ठेके के विरूद्ध संत समाज ने मोर्चा खोल दिया है। अखिल भारतीय संत समिति और व्यक्त वैष्णव मंडल के संयुक्त तत्वाधान में संतो ने ठेके के बाहर धरना देकर प्रदर्शन किया। इस दौरान सांकेतिक जाम भी लगाया। संतो ने घोषणा करी कि यदि सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठाती है तो आंदोलन के साथ संत अन्न जल भी त्याग देंगे। नीलकंठ मार्ग गरुड़ चट्टी में खोले गए अंग्रेजी शराब के ठेके के खिलाफ स्थानीय नागरिक और संगठन प्रदर्शन कर चुके हैं इस मामले में अखिल भारतीय संत समिति और विरक्त वैष्णो मंडल की ओर से प्रदेश सरकार को ज्ञापन भेजकर इस ठेके को तत्काल बंद करने की मांग की गई थी। दो दिन पूर्व संतों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से भी मिला था। उनके समक्ष भी इस मांग को दोहराया गया था।
रविवार को संतो ने ठेके के समीप धरना देकर सांकेतिक जाम लगाया। विरक्त वैष्णव मंडल के अध्यक्ष श्री राम तपस्थली आश्रम ब्रम्हपुरी के महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास महाराज, तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य, जगन्नाथ आश्रम के महंत लोकेश दास के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे संतो ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि एक और भाजपा की सरकार अपने आपको राम भक्त कहलाने का दावा करती है, वहीं दूसरी और पूरे उत्तराखंड में जगह जगह शराब के ठेके खोलकर देवभूमि उत्तराखंड के युवाओं को नशे में झोंकने का काम रही है।
जिससे देव भूमि की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। जिलाधिकारी पौड़ी ने गरुड़ चट्टी में खोले गए ठेके को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने के निर्देश भी दिए थे। उसके बावजूद इसी स्थान पर ठेके में खुलेआम शराब बेची जा रही है, जिसके कारण नीलकंठ महादेव पर जल चढ़ाने जाने वाले तीर्थ यात्रियों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।
इतना ही नहीं इस ठेके के गरुड़ चट्टी में खुलने के बाद राफ्टिंग करने वाले पर्यटक भी शराब पीकर शांत क्षेत्र में हुड़दंग मचा रहे हैं। महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज ने कहा कि कुंभ क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां संत समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। गंगा किनारे आश्रमों कुटियाओं,मठ मंदिरों में भजन कीर्तन और तप करने वाले संतो की साधना बाधित हो रही है। जब तक गरुड़ चट्टी में खुला ठेका बंद नहीं होगा, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार नहीं चेती तो संत अन्न जल के साथ अपने प्राण भी त्याग देंगे। धरना देने वाले संतों में स्वामी अखंडानंद ,महंत छोटन दास, स्वामी श्यामसुंदर दास, स्वामी प्रमोद दास, स्वामी महावीर दास, स्वामी शिव स्वरूप दास, स्वामी रामकृष्ण दास, स्वामी योगाचार्य,स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी रामदास, स्वामी रघुनाथ दास, के अलावा कमल सिंह, सुरेंद्र नेगी, पुरुषोत्तम तिवारी, प्रधान नैन सिंह, प्रधान चंदर, प्रधान आशीष थलवाल, विनोद भंडारी, स्वयंवर सिंह आदि शामिल रहे।
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