रुद्रप्रयाग- पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख जखोली अर्जुन सिंह गहरवार ने सरकार पर सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होने कहा कि खुद राख लपेटकर जगत कल्याण करने वाले भोले बाबा के साथ ठगी करने का दुष्परिणाम आपदा के रुप में सामने दिख रहा है। केदारनाथ धाम से शिला ले जाकर दिल्ली में केदारधाम मंदिर उद्घघाटन करने के लिये उन्होनें उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की सनातन विरोधी मानसिकता बताया ओर कहा कि वे सनातन धर्मावलम्बियों के सहयंग से हर कीमत पर दिल्ली से शिला को वापस केदारनाथ लायेगें।
रुद्रप्रयाग गढ़वाल मंडल विकास निगम अतिथि गृह में पत्रकार वार्ता करते हुये पूर्व ज्येष्ट प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों व सनातन विरोधी कार्यों के कारण केदारनाथ छैत्र में आपदा का खामियाजा यात्रियों व स्थानीय जनता को भुगतना पड रहा है। उन्होने केदारनाथ यात्रा मार्ग मे हुई आपदा के बाद युद्धस्तर पर कार्य करने के लिये जिला प्रसासन, सेना, स्थानीय जनता, ब्यापारियों, वाहन चालकों का आभार
ब्यक्त किया साथ ही उनहोने स्थानीय ग्रामीणो खासकर चौमासी के ग्रामीणों के सहयोग की प्रसंशा की। उन्होने
यात्रा रजिस्ट्रेसन प्रणाली पर सवाल उठाते हुये कहा कि आपदा के बाद सरकार फँसे यात्रियों के आकडे नहीं दे पायी जिससे यात्रा रजिष्ट्रेसन की हकीकत सामने आई है। उन्होने कहा कि यात्रा को ऋषिकेश में रोकना सरकार की नाकामी को दर्शाता है।
काग्रेस की हिटो केदार यात्रा में भी चौमासी मार्ग को यात्रा के बैकल्पिक मार्ग के रूप मे विकसित करने की बात हुई थी। लेकिन आज तक उस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ 2013 की आपदा के बाद आज फिर यह मार्ग फँसे यात्रियों की जान बचाने मे कारगर साबित हुआ।
उन्होने भारत सरकार पर भी केदारनाथ आपदा के प्रति संवेदन हीन होने का आरोप लगाया। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक शब्द केदारनाथ यात्रा पर हुई आपदा पर नही बोला। उन्होने कहा कि भोले नाथ को सोना चडाने के नाम पर ठगी की गयी। जो कि बिना सरकार की सहमति के संभव नहीं है।
उन्होने ज्योर्तिपीठ के शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरा नंद सरस्वती जी का आभार ब्यक्त करते हुये कहा कि अधर्म के खिलाफ उनका अभियान करोडो सनातनियों के लिये प्रेरणदायक होगा। कहा कि बौखलाये लोग धर्माचार्यो को ही अनाप सनाप बोल रहे है ऐसे लोग सनातन धर्मी नहीं हो सकते।
शंकराचार्य पर मंदिर समिति अध्यक्ष के बयान पर सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी इससे स्पष्ट है कि सरकार खुद इसमें शामिल है। इससे सरकार का सनातन विरोधी चरित्र उजागर हुआ है।
उन्होने कहा कि एक सनातन धर्मावलम्बी होने के नाते वे किसी भी कीमत पर केदारनाथ से दिल्ली ले जाई गयी शिला को वापस लायेंगे। इसके लिये सभी सनातन धर्मियों के साथ जंतर मंतर पर धरना प्रर्दशन करेगें।
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