Saturday, January 11, 2025
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60 पार्षदो व महापौर चुनने के लिए मतदान करेगी जनता

1989 में हरिद्वार नगर पालिका में  27 सदस्यो के बोर्ड से नगर निगम तक के सफर में पार्षदो की संख्या हुयी 60
1989 के चुनावों में उत्तर प्रदेश नगर पालिका में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले सभासद बने थे वार्ड न01 से स्व दुर्गाशंकर भाटी

हरिद्वार ( कुलभूषण) हरिद्वार नगर निगम में शहर की छोटी सरकार के गठन को लेकर होने वाले चुनावों की सगर्मिया अपने चरम पर है। चुनावी समर में उतरे सभी राजनैतिक दलो के प्रत्याशियो सही पार्टीयो से टिकट नही मिलने के चलते बागी हो चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी व अन्य निर्दलीय प्रत्याशी सभी अपनी अपनी जीत के दावे कर जनता के बीच जाकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील जनता से कर रहे है।
एक समय था जब नगर निकाय के चुनावों में समाज में अपना रसूख रखने वाले शहर के चुनिंदा लोग चुनावी समर में उतरा करते थे। कई बार तो क्षेत्र की जनता स्वयं ऐसे लोगो के घरो पर जाकर उन्हे चुनावी समर में उतरने के लिए तैयार करती थी।
1989 के चुनावों में तत्कालीन नगर पालिका परिषद हरिद्वार में 27 वार्ड होते थे। बदलते समय के साथ नगर के 27 वार्डो की संख्या वर्तमान में नगर पालिका परिषद से नगर निगम तक का सफर तय करने के चलते 60 वार्डो तक पहुच गयी है।

1989 में सम्पन्न हुए निकाय चुनावों में तत्कालीन वार्ड न01 से चुनाव लडे दुर्गाशंकर भाटी ने उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक मतो से निकाय चुनावों में जीत दर्ज कर उत्तर प्रदेश में रिकार्ड बनाया था। दुर्गाशंकर भाटी को उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र में सर्वमान्य जनप्रतिनिधि के रूप में जाना जाता था।
उनके पिता नगर में अपना  प्रिटिंग प्रेस का व्यवसाय था। तथा उन्होने साप्ताहिक हिन्दू समाचार पत्र  की स्थापना 1934 में की थी। इन दोनो कामो को स्व दुर्गाशंकर भाटी ने आगे बढाने का काम किया। इसके साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में भी दुर्गाशंकर भाटी ने साप्तहिक हिन्दू को आगे बढाते हुए हरिद्वार में लम्बे समय तक दैनिक हिन्दुस्तान के प्रभारी के रूपमें कार्य कर अपने को पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थापित किया।
एक तरफ जहा तत्कालीन उत्तर प्रदेश में हरिद्वार नगर पालिका ने सर्वश्रेष्ठ नगर पालिका का पुरस्कार प्राप्त किया जिसके चलते उसे नगर में स्थापित शिवमूर्ति पुरस्कार स्वरूप प्राप्त हुयी(रेलवे रोड से हरकी पौडी जाते मार्ग पर स्थित)वही नगर पालिका में सर्वाधिक मत से निवार्चित होने का गौरव भी हरिद्वार नगर पालिका परिषद के सभासद को प्राप्त हुआ।

 

स्थानीय मुददो के चलते चुनौती भरा साबित हो रहा है भाजपा का चुनावी सफर

हरिद्वार ( कुलभूषण) नगर निगम के होने वाले चुनाव में भाजपा के लिए चुनावी सफर इस बार कम चुनौति वाला साबित नही होने  जा रहा है।भाजपा के चुनावी अभियान की कमान एक बार फिर हरिद्वार में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नगर विद्यायक मदन कौशिक के हाथों में है।पिछले निकाय चुनावों की तरह इस बार भी अपने राजनैतिक प्रतिद्वन्दियो को मात देते हुए मदन कौशिक ने एक बार फिर राजनैतिक पटल पर अपनी पकड को साबित करते हुए भाजपा में अधिकांश अपने समर्थको को निकाय चुनावों में भाजपा से चुनावी मैदान में उतार अपने प्रतिद्वन्दियो को शिकस्त देने में सफलता प्राप्त कर इस चर्चा पर विराम लगाने का काम किया हैकि वर्तमान दौर में वह भाजपा संगठन में हाशिए पर है। 2002 से लगातार हरिद्वार से पाचवी बार विद्यायक मदन कौशिक को हरिद्वार की राजनीति का माहिर माना जाता है।
इस बार के निकाय चुनावों में भाजपा के सामने हरिद्वार की जनता के ज्वलंत मुददे प्रमुखता से चुनौति के रूपमें हैंजिनमें कोरिडोर योजना पॉड टैक्सी हाल ही में नगर निगम की भूमि पर बने मेडिकल कालेज को पी पी मोड पर देना ऐसे मुददे  है जिन्हे लेकर स्थानीय जनता व व्यापारियो में भारी रोष हैचुनावी सभाओ में इन मुददो पर सीधे सीधे कुछ भी बोलने पर भाजपा नेता बच रहे है।तथा कंाग्रेस की विफलताओ को लेकर कांग्रेस पर हल्ला बोल रहे है।जबकी निवर्तमान महापौर कांग्रेस की होने के चलते प्रदेश में भाजपा की सरकार होनेके कारण नगर में विकास की अधिक जिम्मेदारी को प्रदेश सरकार द्वारा खारिज नही किया जा सकता है।
ऐसे में जहा निकाय चुनावों में भाजपा के भारीभरकम नेता चुनावी समर में दिन रात एक किये हुए हैवही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस एक बार फिर नगर निगम में महापौर की सीट को जीतने के लिए चुनावी समर मे है।कंाग्रेस जहा निकाय चुनावों में सीधे जनता व व्यापारियो से जुडे मुददो को लेकर चुनावी मुददा बनाने मे लगी है।वही कंाग्रेस के बडे चेहरे चुनावी समर में अभी तक दिखायी नही देने के चलते कही न कही चुनावी अभियान की दौड में भाजपा से उन्नीस साबित हो रहे ऐसे मे अगर स्थानीय मुददो की रोह में बहकर क्षेत्र एक बार फिर क्षेत्र की जनता ने कोरिडोर व मेडिकल कालेज पी पी मोड पर दिये जाने के मुददो को ध्यान मे रखकर मतदान किया तो भाजपा की राह मुश्किल हो सकती हैं।ऐसे में भाजपा नेता किस प्रकार स्थानीय जनता को चुनावी दौर में संन्तुष्ट कर पाते हैं।यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।वही इन चुनावों में भाजपा से टिकट नही मिलने के चलते चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी भी भाजपा के रास्ते में कम चुनौती नही बन रहे हैं।यह स्थिति कंाग्रेस की भी कंाग्रेस के असन्तुष्ट भी चुनावी समर में उतरे हुए हैं।वर्तमान में कांग्रेस से अधिक चुनौति भाजपा के सामने हैं2018 के निकाय चुनावों में कंाग्रेस ने भाजपा के तत्कालीन नगर विकास मंत्री व स्थानीय विद्यायक मदन कौशिक की पंसद के प्रत्याशी अन्नु कक्कड को महापौर के चुनाव मे हरा कर जीत दर्ज की थी।

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