Sunday, November 17, 2024
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धूमधाम से मनाया गया जौनपुर का मौण मेला 

नैनबाग (शिवांश कुंवर), उत्तराखंड़ की सांस्कृतिक विरासत में जौनपुर जौनसार और रंवाई का विशेष महत्व है। जौनपुर, जौनसार और रंवाई अपनी अनोखी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें मछली मारने का मौण मेला प्रमुख है जो पूरे देश में अन्यत्र कहीं नहीं होता है। नैनबाग के अगलाड़ नदी में इस मेले का आयोजन किया जाता है। यह यमुना की सहायक नदी भी है। कहा जाता है कि जब यहां राजशाही थी। तब टिहरी के महाराजा इस में खुद शिरकत करने आते थे। मेले में मछलियां पकड़ने वालों के हाथों में पारंपरिक उपकरण होते हैं, जिसमें कंडियाला, फटियाड़ा, जाल, खाडी, मछोनी आदि कहते हैं।
मछलियों को मारने के लिए प्राकृतिक जड़ी बूटी का प्रयोग किया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में टिमरू कहते हैं। इस पौधे की छाल का पाउडर बनाया जाता है, जिसे नदी में डाला जाता है जिससे मछलियां बेहोश हो जाती है। लोग मछलियों को नदी में जाकर पकड़ते हैं। लोग पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नाचते गाते उस स्थान पर जाते हैं, जहां से मौण डाला जाता है। उस स्थान को मौण कोट कहते हैं। पांतिदार पारंपरिक तरीके से पहले टिमरू के पाउडर को डालते हैं। जिसके बाद हजारों की संख्या में लोग मछलियों को पकड़ने नदी में कूद पड़ते हैं। करीब पांच किलोमीटर क्षेत्र में मछली पकड़ी जाती है।

ऐतिहासिक मौण मेले में हजारों की संख्या में पहुँचे लोग :

नैनबाग तहसील के अतर्गत जौनपुर का ऐतिहासिक राजमौण मेला अगलाड़ नदी में मछलियों को पकड़ने के साथ-साथ ढोल नगाड़ों की थाप पर जौनपुरी रासो तांदी नृत्य किया गया, जौनपुर क्षेत्र के साथ-साथ जौनसार, रवाई उत्तरकाशी के क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ विकास नगर पछवादून के लोग इस मौण मेले में पहुंचकर मछली पकड़ने के साथ-साथ रवाई जौनपुर की संस्कृति को कायम रखते हुए खूब आनंद लिया, क्षेत्र के लोगो साथ-साथ देश-विदेश के पर्यटक भी मौण मेले में आकर खूब आनंद लेते हैं।
मछलियों को पकड़ने हेतु ग्रामीणों द्वारा टिमरू का पाउडर मौण को एक साथ नदी में डालकर इससे मछलियां बेहोश हो जाती है । उसके बाद सभी लोगों में नदी में मछलियों को पकड़ने की होड़ मच जाती है। विभिन्न क्षेत्रों से लोग हजारों की संख्या में मौड़ मेले में पहुंचे जौनपुर के अगलाड़ नदी में मनाए जाने वाला यह मौण मेला राजशाही के जमाने से चला आ रहा है।
टिमरू के पौधों की छाल निकल कर उसे धूप में सूखाने के बाद आग की हल्की आंच में भुना जाता है। जिसके बाद घराट में पीसकर टिमरू का पाउडर मौण मेले हेतु तैयार किया जाता है।
इस बार टिमरू का पाउडर तैयार करने हेतु लालूर पट्टी के खैराड़, मरोड़, नैनगांव, भुटगांव, मुनोग, मातली, कैथ गांव को जिम्मेदारी दी गई थी, हजारों की संख्या में मोण मेले में लोगो ने जमकर अगलाड़ नदी में मछलियां पकड़ी साथ ही थाना केम्पटी प्रभारी अमित शर्मा ने यातायात का विशेष ध्यान रखा गया |

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