देहरादून, पहाड़ की अलौकिक सुन्दरता और यहां के सांस्कृतिक गीत जहां देश विदेश में अपनी धमक जमाये हुये है, इसी कड़ी में उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और गायक आलोक मलासी की आवाज में उनकी नई प्रस्तुति “सुख छाया, दुख छाया” गीत पहाड़ की फिजाओं को गुंजायमान किये हुये है। आम जनमानस के जीवन की सच्चाई को बयां करते इस गीत के रचनाकार मदन मोहन डुकलान हैं, गीत के रचनाकार मदन मोहन डुकलान गढ़वाली के जाने माने कवि और चिट्ठी पत्री पत्रिका के संम्पादक के रुप में अपनी लेखनी को सार्थकता प्रदान करते हुये कई गढ़वाली फिल्मों और नाटकों में अभिनय कर चुके हैं | उनकी अभिनीत गढ़वाली फिल्म ‘याद आली टिहरी’ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय रही |
वहीं गीत के गायक आलोक मलासी केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं, इस गीत को उन्होंने खुद की कंपोज किया है। गायक आलोक मलासी रंगमंच संगीत के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं और रंगमंच के क्षेत्र में अपना सकारात्मक योगदान देते आ रहे हैं | राइजिंग उत्तराखंड प्रोडक्शन के बैनर तले तैयार इस गीत के संगीत संयोजक थपलियाल ब्रदर्स हैं। मुख्य कलाकार बिजेंद्र राणा और लक्ष्मी रावत हैं। अन्य कलाकारों में खुश्बू, दिविशा कुकरेती, नीमा कुकरेती के साथ ही ग्राम पंवाई विद्यालय के छात्र और छात्राएं शामिल हैं। काफी लम्बे समय के बाद एकबार फिर मीठे स्वरों से सजा ‘सुख छाया दुख छाया’ गीत पर्वतीय युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहा | जिसका वीडियो लोगों के बीच अपनी स्वरबद्धता बनाये हुये है
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