पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने विस्तार से की चर्चा
हरिद्वार (कुलभूषण) नगर निगम हरिद्वार की शुरूवात 1866 में तत्कालीन नगर पालिका समिति की स्थापना काल से शुरू हुयी थी। इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कंाग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने विस्तार से जानकारी देते हुए भेटवार्ता में बताया कि 1866 से पूर्व तत्कालीन ब्रिटिश शासन में नगर की व्यवस्था हेतु ओननेरी मजिस्टेट नियुक्त कर की जाती थी।
सर्व प्रथम 1866 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा सरदार रामरखा को नगर पालिका समिति का प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किया गया।उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद पी एन भल्ला नगर पालिका समिति के अध्यक्ष बने दोनो ही अध्यक्षो को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था।
इसके उपरान्त प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष हीराबल्लभ त्रिपाठी हुए जो लोकसभा सदस्य तत्कालीन व राज्य सभा सदस्य उ0प्र में भी रहे। त्रिपाठीजी के बाद नगर पालिका की कमान हरिदत्त बहुगुणा ने संभाली उनके बाद सरदार आनन्द प्रकाश शर्मा ,फिर1971 मे पारस कुमार जैन नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गये।इस पारस कुमार जैन के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की सभी नगर पालिकाओ को भंग कर दिया।जिसके बाद 17 साल के उपरान्त 1989 में सम्पन्न हुए चुनावों में एक बार फिर पारस कुमार जैन नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गयेे।1992 से 1994 के बीच प्रदीप चौधरी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गये।इस दौरान निर्वाचित सभासदो द्वारा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता था।यह सभी अध्यक्ष कांग्रेस विचारधारा व कांग्रेस पार्टी के थे।
जनता से सीधे अध्यक्ष के चुनाव पहली बार होने पर भाजपा के राजकुमार अरोडा नगर पालिका परिषद हरिद्वार के अध्यक्ष चुने गये।इसके उपरान्त कंाग्रेस के सतपाल ब्रहमचारी ने नगर पालिक हरिद्वार की कमान संभाली।इसके उपरान्त सम्पन्न हुए चुनावों में भाजपा के कमल जौरा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने।
2013 में नगर पालिका परिषद से नगर निगम बनने के बाद सम्पन्न हुए चुनावों में भाजपा के मनोज गर्ग नगर निगम हरिद्वार के पहले महापौर बने 2018 के चुनावों में कंाग्रेस की अनिता शर्मा ने इस सीट पर जीत दर्ज कर पहली महिला महापौर होने का गौरव हासिल किया।
प्रदीप चौधरी ने जानकारी विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि तत्कालीन नगर पालिका समिति व नगर पालिका परिषद के पास नगर की सुचारू व्यवस्था बनाये जाने हेतु बिजली,पानी,स्वास्थ्य ,प्राथमिक शिक्षा,तथा नगर में होने वाले निर्माण कार्यो के मानचित्र पास करने का अधिकार तथा खादय पद्वार्थो के लाइसेन्स देने का अधिकार था।
बदलते समय के साथ साथ नगर निगम अर्न्तगत आने वाले विभिन्न विभागो का राज्य सरकार के अधीनस्त अधिग्रहण होने के चलते वर्तमान में नगर निगम के पास मात्र पथ प्रकाश व्यवस्था व सफाई व्यवस्था तक सीमित होकर रह गया है।उन्होने बताया कि पूर्व में तत्कालीन उ0प्र0 सरकार द्वार 1990 में नगर में आने वाले माल पर लगने वाली चुंगी प्रदेश सरकार द्वारा समाप्त कर दी गयी थीजिससे की एक बडी आय नगर पालिकाओ को होती थी। उन्होने बताया कि कांग्रेस शासित नगर पालिका व नगर निगम हरिद्वार बोर्ड मे जनहीत के विभिन्न निर्णय लिये गये।जिनके चलते नगर में विभिन्न जनहीत योजनाओ को मूर्तरूपदेने का कार्य किया गया।निवर्तमान नगर निगम बोर्ड में कंाग्रेस की महापौर द्वारा भी जनहीत को देखते हुए नगर निगम द्वारा मेडिकल कालेज व भूपतवाला क्षेत्र में चिकित्सालय व डिग्री कालेज हेतु भूमि निशुल्क उपलब्ध करायी गयी।इसके साथ ही विभिन्न योजनाओ के प्रारूप नगर हीत में बनाकर प्रदेश सरकार को भेजे परन्तु प्रदेश सरकार के उपेक्षित रूख के चलते वह सभी प्रस्ताव मूर्तरूप नही ले सके। ऐसे मे प्रदेश सरकार के सकरात्मक सहयोग नही मिलने के चलते भी निर्वतमान कांग्रेस की महापौर अनिता शर्मा ने नगर हीत में विकास के कई कार्य किये जिनका लाभ आने वाले समय में हरिद्वार की जनता व आने वाले तीर्थ श्रृद्वालुओ को मिलेगा
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