’54 किस्म के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया था श्री केदारनाथ धाम’
रुद्रप्रयाग, श्विश्वप्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सेना के बैंड की भक्तिमयी धुनों बीच ऊं नम् शिवाय जय श्री केदार के उदघोष के साथ शुक्रवार 2 मई को प्रात: 7 बजे बैशाख, मास, मिथुन राशि, वृष लग्न में विधि विधान से खुल गये है। कपाट खुलते ही भक्तों ने मंदिर के अंदर जलती अखंड ज्योति के दर्शन किए। इसके बाद रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक के मंत्रों का जाप किया गया।
मंदिर में सबसे पहले कर्नाटक के वीरशैव लिंगायत समुदाय के मुख्य रावल भीमशंकर पहुंचे। इसके बाद बाबा पर 6 महीने पहले चढ़ाया गया भीष्म शृंगार हटाया गया। मंदिर को 54 किस्म के 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इसमें नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका जैसे विभिन्न देशों से लाए गए गुलाब और गेंदा के फूल शामिल हैं l
इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कपाटोघाट्न के साक्षी बने। कपाट खुलने के बाद पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से संपन्न हुई, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विशेष रूप से पूजा में शामिल हुये। इस मौके पर 12 हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने के साक्षी बने। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपने संदेश में केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर शुभकामनाएं दी।
कपाट खुलने के अवसर हेतु श्री केदारनाथ धाम को 108 क्विंटल फूलों से सजाया गया है।बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे भी लगाये गये श्री केदारनाथ धाम में विगत दिनों से मौसम सामान्यतौर पर साफ है बर्फ दूर पहाड़ियों पर नजर आ रही है। कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह पांच बजे से शुरू हुई यद्यपि सुबह चार बजे से श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारी मंदिर परिसर में तैनात हो गये थे। सुबह छ: बजे श्री केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी बागेश लिंग, विधायक केदारनाथ आशा नौटियाल,जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती धर्माचार्यों वेदपाठीगणों भैरव नाथ जी के पश्वा अरविंद शुक्ला ने पूरब द्वार से मंदिर में प्रवेश किया तथा मंदिर के गर्भगृह के द्वार की पूजा-अर्चना में शामिल हुए।
देवी देवताओं का आव्हान कर जन कल्याण की कामना तथा संकल्प के साथ ही ठीक प्रातः सात बजे श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिये गये।इसी समय मंदिर का मुख्य दक्षिण द्वार भी खुल गया। बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने कपाट खुलने के अवसर पर यात्रा से जुड़े सभी विभागों का आभार जताया कहा कि मंदिर समिति तीर्थयात्रियों को अपने स्तर से दर्शन व्यवस्था हेतु मदद कर रही है।
उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान भैरवनाथ जी की पूजा हुई। जबकि बाबा केदार की पंच मुखी डोली 28 अप्रैल को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम प्रस्थान हुई विभिन्न पड़ावों से पैदल मार्ग से बीते बृहस्पतिवार शाम को श्री केदारनाथ धाम पहुंची । जारी प्रेस विज्ञप्ति में बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कल शनिवार 3 मई को केदारनाथ धाम में श्री भैरवनाथ जी के कपाट भी खुल जायेंगे।
कपाट खुलने के अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह,पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, मंदिर समिति प्रभारी अधिकारी/सहायक अभियंता गिरीश देवली, केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी धर्माधिकारी औंकार शुक्ला वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, पुजारी बागेश लिंग,वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, यशोधर मैठाणी, विश्व मोहन जमलोकी , देवानंद गैरोला,विपिन तिवारी कुलदीप धर्म्वाण, प्रकाश पुरोहित,उमेश शुक्ला सहित बड़ी संख्या यें तीर्थ पुरोहितगण, हकहकूकधारी, तथा तीर्थयात्री मौजूद रहे।
वहीं चारधामों की इस यात्रा वर्ष में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 4 मई को प्रात: छ बजे खुलेंगे। जबकि श्री गंगोत्री यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को खुल चुके है।
क्या है बाबा का भीष्म शृंगार :
पट खुलने के बाद भीष्म शृंगार हटाया जाता है। यह प्रक्रिया भी दिलचस्प है। सबसे पहले शिवलिंग के पास रखे गए मौसमी फल और ड्राई फ्रूट्स का ढेर हटाते हैं। इसे आर्घा कहते हैं।
फिर बाबा पर चढ़ी एक से लेकर 12 मुखी रुद्राक्ष की मालाएं निकालते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर चारों ओर लपेटा गया सफेद कॉटन का कपड़ा हटाया जाता है। पट बंद करते समय शिवलिंग पर 6 लीटर पिघले हुए शुद्ध घी का लेपन करते हैं, जो इस वक्त जमा होता है, इसे धीरे-धीरे शिवलिंग से निकालते हैं।
इसके बाद होता है शिवलिंग का गंगा स्नान। गोमूत्र, दूध, शहद और पंचामृत स्नान के बाद बाबा केदार को नए फूलों, भस्म लेप और चंदन का तिलक लगाकर तैयार किया जाएगा। कपाट बंद करते समय भीष्म शृंगार में करीब 5 घंटे लग जाते हैं, लेकिन कपाट खोलने के बाद इसे आधे घंटे में हटा दिया जाता है।
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