Monday, November 25, 2024
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USSR का विघटन रहा है दुखती रग, 2008 में जॉर्जिया, 2014 में क्रीमिया और अब यूक्रेन, अखंड रूस बनाने की जिद में हैं पुतिन

नई दिल्ली, सोवियत संघ के टूटने के तीस साल बाद भी व्लादिमीर पुतिन उसकी अखंडता को फिर से कायम करने की कोशिश में जुटे हैं। जिसका खामियाजा यूक्रेन को भुगतना पड़ रहा है। साल 2018 की बात है एक पत्रकार ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से पूछा कि आप अपने देश के इतिहास में किस घटनाक्रम को पलटना चाहोगे। पुतिन ने एक लाइन में बोला- द कोलैप्स ऑफ द सोवियत यूनियन। कई मौके ऐसे आए जब पुतिन ने साफगोई से कहा कि अगर वो ऐसा कर सकते तो यूएसएसआर के विघटन की कहानी को उलट कर रख देते। कुछ ऐसा ही रूसी राष्ट्रपति करते भी नजर आ रहे हैं। इतिहास को पलटने, पुराना इतिहास वापस लाने या फिर कहे कि एक नया ही इतिहास लिखने की कोशिश में रूसी राष्ट्पति नजर आ रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने बिना एक भी गोली चलाए यूक्रेन को तीन हिस्सों में बांट दिया। 2008 में जॉर्जिया, 2014 में क्रीमिया, 8 साल बाद अब यूक्रेन की तरफ पुतिन के कदम ने यूएसएसआर के अतीत के पन्नों की कहानी को फिर से ताजा कर दिया है।

क्या था सोवियत संघ और कैसा था उसका रूतबा?

सोवियत संघ के बनने और बिखड़ने की 70 साल की इस कहानी में ऐसे कई मुकाम आए थे जब दुनिया इसकी ताकत के सामने हिल गई थी। साल 1917 में जब यूरोप और एशिया दोनों महाद्वीपों में फैले देश रूस के शासक जार के कुशासन के खिलाफ लेनिन ने बोल्सेविक क्रांति का बिगुल बजाया था। लेनिन मार्क्सवाद से प्रेरित थे और इसी के आधार पर उन्होंने रूसी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की और जार की सत्ता को उखाड़ फेंका और सोवियत संघ की स्थापना की। इस संघ में रूस की सीमा से लगे एशिया और यूरोप के कई इलाके शामिल थे। जिन्हें आज दुनिया बेलारूस, आर्मीनिया, अजरबैजान, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों के नाम से जानती है।

यूक्रेन भी सोवियत संघ का ही हिस्सा था। लेनिन के बाद सोवियत संघ की कमान स्टालिन के हाथों में आई जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर को मात देकर सोवियत संघ को दुनिया की महाशक्ति बना दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत दूसरी महाशक्ति अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ कोल्ड वार का हिस्सा बना। इसके बाद एक ऐसा दौर चला जो 1990 तक चला। सोवियत संघ के लीडर तो बदलते गए लेकिन अमेरिका को उसकी चुनौती लगातार बनी रही। अमेरिका और सोवियत की कोल्ड वार अंतरिक्ष तक पहुंची। सोवियत संघ और अमेरिका के बीच एक प्रतियोगिता चली आ थी। अपने को एक कदम आगे दिखाने की प्रतियोगिता। दोनों देश जंग के मैदान में नहीं बल्कि शीत युद्ध के जरिये एक दूसरे को मात देने में लगे थे। अपने को बेहतर साबित करने की होड़ में अंतरिक्ष मिशन पर जाना भी कवाय़द का एक हिस्सा था। 1961 में अंतरिक्ष में पहला यात्री भेजकर अंतरिक्ष की जंग में सोवियत संघ ने एक और बढ़त बना ली। अमेरिका के पड़ोसी मुल्क क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात करके दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर पहुंचा दिया। यही नहीं वियतमान युद्ध में अमेरिका की ऐतिहासिक हार में सोवियत संघ ने अहम भूमिका निभाई। लेकिन अमेरिका ने अफगानिस्तान में इसका बदला लेकर सोवियत संघ की कमर तोड़ दी।

सोवियत संघ का विघटन

अमेरिका के साथ होड़ में सोवियत संघ की इकोनॉमी कमजोर होती गई। 1980 के दशक में हालात बदलते चले गए। रीगन और थेचर की ब्रिटेन-अमेरिकी जोड़ी ने हथियारों की होड़ को अंतरिक्ष तक पहुंचा दिया। जिसकी बराबरी करने में सोवियत संघ की इकोनॉमी ढह गई। साल 1991 में सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति गोर्बाच्योव ने सोवियत संघ के विघटन का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही रूस के साथ जुड़े वे देश आजाद हो गए जो सोवियत संघ का हिस्सा थे। यूक्रेन भी ऐसा ही एक हिस्सा था। सोवियत संघ टूट तो गया लेकिन इन देशों में से ज्यादातर अब भी रूस की छत्र छाया से बाहर नहीं निकल सके हैं। साल 2014 तक यूक्रेन भी पुतिन के ही साथ था। लेकिन उसने यूरोपीय यूनियन और नाटो के साथ जुड़ने का मन बनाया और पुतिन के गुस्से का शिकार बन गया। व्लादिमीर पुतिन अपने सीमावर्ती देशों को या तोड़ रहे हैं या जोड़ रहे हैं। मिखील साकाशविली चाहते थे कि जॉर्जिया नाटो का सदस्य बने। अप्रैल 2008 में बुचारेस्ट में हुए सम्मेलन में नाटो ने जॉर्जिया और यूक्रेन को संगठन में शामिल करने की बात कही। 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर हमला किया था। रूस ने वहां के दो प्रांतों अबखाजिया और साउथ ओसेटिया को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है। इन दोनों देशों को रूस ही कंट्रोल करता है।

2014 में क्रीमिया

मार्च 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इसे सबसे आसान आक्रमण भी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यूक्रेन ने बगैर जंग लड़े ही क्रीमिया दे दिया था और रूसी सैनिकों ने भी रातों-रात ही इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था। इसके आठ साल बाद 2022 में पुतिन ने यूक्रेन के दो पूर्वी क्षेत्रों को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी। यह भी घोषणा की है कि वह इन क्षेत्रों में यूक्रेन के सैन्य आक्रमण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।

अब यूक्रेन की बारी

2008 में रूस ने जॉर्जिया को लेकर जो फॉर्मूला अपनाया था, वही फॉर्मूला पूर्वी यूक्रेन में भी अपनाया गया। पूर्वी यूक्रेन के डोनबास प्रांत के डोनेत्स्क और लुहंस्क में भी अलगाववादी मौजूद थे। 2022 में दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद अब रूस यहां भी अपनी जड़ें जमा रहा है।

बेलारूस के राष्ट्रपति पहले ही कह चुके हैं सही समय आने पर रूस में वह अपने देश का विलय करेंगे। बेलारूस भी आने वाले दिनों में रूस में शामिल हो जाएगा। सोवियत संघ के टूटने के तीस साल बाद भी व्लादिमीर पुतिन उसकी अखंडता को फिर से कायम करने की कोशिश में जुटे हैं। जिसका खामियाजा यूक्रेन को भुगतना पड़ रहा है(साभार प्रभा साक्षी)।

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