देहरादून, जनहित के काम में सभी नियमों की अनदेखी कर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का आरोप लगाते हुये पूर्व प्रधान, ग्राम पंचायत नराया एवं पूर्व उपाध्यक्ष, ग्राम प्रधान संगठन कालसी श्रीचंद तोमर ने लोक निर्माण विभाग और वन विभाग के काले कारनामे से पत्रकारों को अवगत कराया |
स्थानीय प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होते हुये श्रीचंद तोमर ने कहा कि अस्थाई खण्ड लोक निर्माण साहिया द्वारा दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला और हिन्दुस्तान के माध्यम से विज्ञप्ति जारी कर नराया से फेडूलानी मोटर मार्ग हेतु करीब 60 लाख की लागत के पहाड़ कटान को लेकर निविदाएं आमंत्रित की गई, जो कि तय समय पर बीती 3 फरवरी 2024 को खोली गई। जिसमें विभाग ने न केवल चेहते ठेकेदार को काम दिया बल्कि सभी नियमों की अनदेखी कर सरकारी धन को ठिकाने लगाने की कौशिश की गई। उन्होंने कहा कि उक्त कार्य क्षेत्र के एक रसूखदार ठेकेदार के संरक्षण में पिछले साल अप्रैल माह के दौरान चालदा महाराज के प्रवास के दौरान ही मन मुताबिक कर दिया गया था। जबकि बिना स्वीकृति और बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाएं बीते नवम्बर/दिसंबर माह 2023 में जेसीबी और पौकलेंड मशीन लगाकर इसी मार्ग पर शेष बचे काम को किया गया। जिसके सबूत मौके पर पूर्व में ली गई तस्वीरों और वीडियों में साफ देखे जा सकते हैं जो मेरे पास मौजूद हैं। श्रीचंद तोमर कहा कि इतना ही नहीं इस काम की आड़ में वन विभाग की बिना स्वीकृति और एनओसी के इस मोटर मार्ग में बाधक सिविल और नाप भूमि में खड़े बांज, खडीक, भीमल और बुरांष जैसे संरक्षित प्रजाति के दर्जनों हरे भरे पेड़ों सफाया कर दिया गया। जिनकी तादात जांच करने पर सैकड़ों भी हो सकती है और जिसके सबूत मौके पर खेतों में पहाड़ कटान कर डाली गई मिट़्टी और उसमें दबे पेड़ों की जांच पड़ताल में आज भी देखे जा सकते हैं।
पत्रकारों से बातचीत करते हुये श्रीचंद तोमर ने कहा कि संबंधित विभागों से सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी से भी साफ है कि अभी तक कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग को पेड़ कटान को लेकर वन विभाग द्वारा कोई स्वीकृति नहीं मिली है। तो वहीं आरटीआई में लोक निर्माण विभाग जहां इस मार्ग कोई भी ‘‘पहाड़ कटान न होने के दावे’’ कर रहा है, जबकि यही विभाग अपनी निविदा में ‘‘अवशेष पहाड़ कटान कार्य’’ के लिए निविदाएं आमंत्रित करता है। जो कि खुद में ही बड़ा सवाल है। उन्होंने ने कहा कि आरटीआई, निविदा और मौके की तस्वीरें लोक निर्माण विभाग और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर तो सवालिया निशान लगा ही रही है, साथ ही इस प्रकरण की अनदेखी से राजस्व विभाग पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर कार्रवाई किए जाने और नियम विरूद्ध हुए टेंडर को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर संबंधित विभागों लोक निमार्ण विभाग और वन विभाग के साथ ही प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और सुबोध उनियाल को पत्र भेजा गया है। लेकिन अभी तक जीरो टोलरेंस वाली धामी सरकार ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए कोई कार्रवाई नहीं की, उन्होंने मकहा कि मामले में जल्द कोई कार्रवाई अमल में नही लाई जाती, तो माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
वहीं पूर्व प्रधान श्रीचंद तोमर ने कहा कि पूर्व में भी नियम विरूद्ध और मनमाफिक काम न करने पर मुझ पर और मेरे परिवार पर सामाजिक दबाव बनाया गया, जिसके चलते मजबूरन मुझे ग्राम प्रधान पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब इस प्रकरण के उजागर करने पर मुझे या मेरे परिवार को सामाजिक बहिष्कार का दंश भी झेेलना पड़ सकता है, जिसके लिए मेैं पूर्ण रूप से तैयार हूं। लेकिन सच और जनहित की लड़ाई के लिए कभी पीछे हटने वाले नहीं हैं |
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