अहमदाबाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा का शुक्रवार तड़के निधन हो गया. 100 साल की उम्र में हीरा बा ने अहमदाबाद में अंतिम सांस ली, बुधवार को ही तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ काडिग्योलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती करवाया गया था |
प्रधानमंत्री मोदी ने हीरा बा के लिए ट्विटर पर लिखा, शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है. मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से |
मां के निधन की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के लिए रवाना हो गए हैं. वहीं, पीएम अब पश्चिम बंगाल के पूर्व नियोजित कार्यक्रमों में अब वर्चुअली शामिल हो सकते हैं, तमाम विकास परियोजनाओं को लॉन्च करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पश्चिम बंगाल की यात्रा पर जाने वाले थे |
बीते 18 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां के 100वें जन्मदिन पर एक खास ब्लॉग लिखकर अपनी मां से जुड़ी यादों को भी साझा किया था |
पीएम मोदी ने बताया था कि घर चलाने के लिए दो चार पैसे ज्यादा मिल जाएं, इसके लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं. समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं, क्योंकि उससे भी कुछ पैसे जुट जाते थे. कपास के छिलके से रुई निकालने का काम, रुई से धागे बनाने का काम, ये सब कुछ मां खुद ही करती थीं |
यादगार ट्वीट..
ईद पर अब्बास की पसंद का खाना बनाती थीं मां हीराबा…
पीएम मोदी ने लिखा, ”मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर खुश रहा करती हैं. घर में जगह भले कम हो, लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है.” इसके उदाहरण के तौर पर पीएम ने बताया कि हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था, जहां मेरे पिताजी के बहुत करीबी मुस्लिम दोस्त रहा करते थे, उनका बेटा था अब्बास. दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी असहाय अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे, एक तरह से अब्बास हमारे घर में ही रहकर पढ़ा |
हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं. ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं. यही नहीं, त्योहारों के समय आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे. उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था.”
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, ”हमारे घर के आसपास जब भी कोई साधु-संत आते थे तो मां उन्हें घर बुलाकर भोजन अवश्य कराती थीं. जब वो जाने लगते, तो मां अपने लिए नहीं बल्कि हम भाई-बहनों के लिए आशीर्वाद मांगती थीं. उनसे कहती थीं “मेरी संतानों को आशीर्वाद दीजिए कि वो दूसरों के सुख में सुख देखें और दूसरों के दुख से दुखी हों. मेरे बच्चों में भक्ति और सेवाभाव पैदा हो उन्हें ऐसा आशीर्वाद दीजिए |”
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