हरिद्वार ( कुलभूषण ) भूमा निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष भूमा पीठाधीवर स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ महाराज ने योगगुरू स्वामी रामदेव के उस बयान पर आपत्ती दर्ज करते करते उनके बयान की निन्दा की है जिसमें बच्चो के बीमार होने पर उनके उनके माता पिता व अभिभावको को दण्डित करना चाहिए कहा गया है इसके साथ ही स्वामी रामदेव से स्वामी अच्युतानन्द तीर्थ महाराज ने विभिन्न मुददो पर उन्हे घेरते हुए उनसे स्थिति स्पश्ट करने को कहा है।
उन्होने कहा की स्वामी रामदेव से लिखित अथवा समाचार पत्रों के माध्यम से योग हठ योग कपाल भाति एवं नाड़ी योग की परिभाषा में अन्तर स्पष्ट करने के लिए कहा क्योंकि केवल बाहृय शरीर द्वारा एक्सरसाईज करने से योग की परिभाषा सिद्ध नही होती । जबकि पतंजलि के सिद्धान्त आदि जगद्गुरु शंकराचार्य के सिद्धान्त एवं भागवत गीता के सिद्धान्त से भिन्न है क्योंकि इनके अनुसार योग बाहृय शरीर से नही होता है । इसका शाब्दिक अर्थ मनुष्य के श्वास मन व बुद्धि से योग करना होता हैए न कि किसी बाह्य शरीर से ।
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