Wednesday, November 27, 2024
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सुशील कुमार : मोस्ट सक्सेसफुल रेसलर से मोस्ट वांटेड आरोपी बनने की पूरी कहानी

(अभिनय आकाश)

“आज की कहानी एक ऐसे रेसलर कि है जिसने एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार ओलंपिक का मेडल अपने नाम कर चुका है। कुश्ती की दुनिया का नायक बनने में उसे सालों लगे लेकिन कुछ हफ्तों के अंतराल में वहीं नायक खलनायक बन चुका है। उस पर अपने ही जूनियर पहलवान की हत्या का आरोप है।”

“2010 में सुशील ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और उसे स्टेडियम में तिरंगा झंडा लहराते देख सागर के दिल में भी पहलवान बनने की हसरत पैदा हुई। उसने सपना देखा था…एक दिन वह भी ऐसे ही देश का नाम रोशन करेगा। बचपने के सारे शौक को दरकिनार कर महज 15 वर्ष की आयु में वह मेरे साथ दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम पहुंच गया। सुशील इसके लिए आदर्श था। सागर ने जब जूनियर नेशनल में गोल्ड जीता तो मुझे लगा कि एक दिन वह भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा। लेकिन ऐसा हो न सका। उसे पीट-पीटकर मार डाला गया और हत्या का आरोप लगा भी तो किस पर? उसी सुशील पर जो उसका आदर्श था। मैं आज उसी पल को कोस रहा हूं जब सुशील को देख सागर ने भी पहलवानी की ठानी थी।” ये एक पिता के शब्द हैं जिन्होंने अपना बेटा खोया। एक दैनिक अखबार से बात करते हुए पिता का दर्द छलका और इंसाफ की आस में परिवार का सब्र भी जवाब देता नजर आया।

आज की कहानी एक ऐसे रेसलर कि है जिसने एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार ओलंपिक का मेडल अपने नाम कर चुका है। कुश्ती की दुनिया का नायक बनने में उसे सालों लगे लेकिन कुछ हफ्तों के अंतराल में वहीं नायक खलनायक बन चुका है। उस पर अपने ही जूनियर पहलवान की हत्या का आरोप है। दुनिया जिसे चैंपियन रेसलर के तौर पर जानती थी वो गैंगस्टर था? ये आरोप लगा रहा है उस उभरते युवा रेसलर सागर धनखड़ का परिवार जिसकी हत्या का आरोप सुशील कुमार पर है। वही सुशील कुमार जिनके स्टारडम के छांव के नीचे देश के युवा पहलवान ओलंपिक मेडल जीतने का सपना देखते हैं। एक ऐसा पहलवान जिसने 56 वर्ष के इंतजार को समाप्त करके वर्ष 2008 में देश के लिए कांस्य पदक जीता। 2012 के ओलंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीता। जिसे राष्ट्रपति द्वारा साल 2011 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 4 मई को देर रात छत्रसाल स्टेडियम में कुछ ऐसा हुआ जिसने भारतीय कुश्ती इतिहास को ही पलटकर रख दिया। जिस कुश्ती से भारत को ओलंपिक में मेडल मिलता रहा आज उसी कुश्ती के अखाड़े में खूनी दाग लग गया है। इसमें किसी और का नहीं बल्कि दो बार के ओलंपिक विनर सुशील कुमार का नाम सामने आ रहा है। सुशील पर अपने ही साथी पहलवान की हत्या का आरोप है और वो खुद गिरफ्तारी के डर से भागे-भागे फिर रहे। कभी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाले सुशील आज मोस्ट वांटेड रेसलर हैं। इस कहानी में कैसे, क्यों जैसे कई सवाल आपके मन में होंगे।

पुलिस ने किया गिरफ्तार

सुशील कुमार और उनके साथी अजय कुमार को दिल्ली पुलिस ने पंजाब से गिरफ्तार का लिया है। अब दोनों को पूछताछ के लिए दिल्ली लाया जाएगा। घटना के बाद से ही दोनों फरार थे।

सागर धनखड़ की मौत के पीछे का सच

आरोप है कि 4 मई 2021 की तारीख को रात के 11 बजे के करीब सुशील कुमार और कुछ अन्य पहलवानों द्वारा ष्ट्रीय राजधानी के छत्रसाल स्टेडियम परिसर में कथित रूप से की गयी मारपीट में सागर की मौत हो गयी थी, वहीं सागर के दोस्त सोनू तथा अमित कुमार घायल हो गये। पीड़ितों का आरोप है कि झगड़े के समय सुशील वहां मौजूद था। पुलिस के मुताबिक इस विवाद में सुशील कुमार, अजय, प्रिंस दलाल, सोनू, सागर, अमित और अन्य लोग शामिल थे। पुलिस ने इस संबंध में भारतीय दंड संहिता और आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस हरियाणा के झज्जर के रहने वाले प्रिंस दलाल (24) को पहले ही पकड़ चुकी है। पुलिस के अनुसार सुशील कुमार के हत्या में शामिल होने के ठोस सबूत हैं।

दिल्ली की अदालत से नहीं मिली राहत

सुशील कुमार को अग्रिम जमानत देने से दिल्ली की अदालत ने इनकार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश कुमार ने सुशील कुमार को राहत नहीं दी। दो बार के ओलंपिक पदक विजेता अंतरराष्ट्रीय पहलवान सुशील कुमार ने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर 17 मई को दिल्ली की रोहिणी अदालत में अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ जांच पक्षपातपूर्ण है और वह किसी चोट के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। कुमार ने अपनी याचिका में जांच में शामिल होने की तथा घटना की ‘सच्ची और सही तस्वीर’ बताने की इच्छा जताई थी ताकि जांच एजेंसी को निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले। सुशील कुमार की याचिका में कहा गया, ‘‘ऐसा लगता है कि पीड़ितों के बयान पहले ही दर्ज कर लिये गये हैं और कथित बरामदगी कर ली गयी हैं। हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि प्रार्थी के बताये अनुसार अब कुछ बरामद नहीं किया जाना।’’ उन्होंने झगड़े के दौरान कथित रूप से हुई गोलीबारी से कोई लेना-देना नहीं होने की बात कही। उन्होंने कहा कि मौके पर जो हथियार और वाहन मिले हैं, वे उनके नहीं हैं। हालांकि सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पक्ष रख रहे अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत से कहा कि इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं जिनमें सुशील कुमार को डंडे से पहलवान की पिटाई करते हुए देखा जा सकता है। अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि फरार चल रहे सुशील कुमार का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है क्योंकि आशंका है कि वह देश छोड़कर जा सकते हैं। जांच अधिकारी दिनेश कुमार के अनुसार सुशील कुमार से हिरासत में पूछताछ जरूरी है ताकि साजिश का खुलासा हो सके और उनसे अपराध में इस्तेमाल हथियार मिल सके।

बड़े पहलवानों के लिए पावर सेंटर बना छत्रसाल स्टेडियम

सुशील कुमार के सफलता की कहानी भी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम से शुरू होती है। सुशील कुमार 14 साल की उम्र से इसी छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिग ले रहे हैं। वर्ष 2012 में जब इसी स्टेडियम के दो पहलवानों ने ओलंपिक खेलों में भारत के लिए पदक जीता तो ये छत्रसाल स्टेडियम सभी पहलवानों के लिए कुश्ती का मक्का बन गया। हालांकि स्टेडिय़म में कुश्ती के दांवपेंच पर राजनीति के दांवपेंच काफी हावी हैं। सुशील कुमार के कोच सतपाल सिंह काफी समय से छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानों को कुश्ती के दांव पेंच सीखाते आए हैं। 2016 में जब सतपाल सिंह छत्रसाल स्टेडियम के एडिशनल डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए तब उन्होंने सुशील कुमार की नियुक्ति एक अहम पद पर करवा दी। सतपाल सिंह की बेटी से सुशील कुमार की शादी हुई है। ये भी आरोप लगे कि जो पहलवान सुशील कुमार के खेमे का समर्थन नहीं करता था उसे स्टेडियम छोड़ने पर मजबूर कर दिया जाता था। पहलवान बजरंग पुनिया और योगेश्वर दत्त ने जब छत्रसाल स्टेडियम को छोड़ा तब भी ऐसी ही बातें कही गई थी। योगेश्वर दत्त ने एक मामले में सुशील कुमार के खिलाफ जाकर पहलवान नरसिंह यादव का साथ दिया था।

सुशील कुमार की उपलब्धियां

सुशील कुमार छोटी उम्र में ही कुश्ती के कोच सतपाल सिंह से जु़ड़ गए थे। उन्होंने 15 वर्ष की उम्र में ही वल्ड कैडेट गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। वर्ष 2008 में उन्होंने ओलंपिक खेलों में कुश्ती में कांस्य पदक जीता। भारत को 1952 के बाद पदक मिला था। सुशील कुमार ने वर्ष 2012 में लंदन ओलंपिक फ्री स्टाइल कुश्ती सिल्वर मेडल जीता। इस उपलब्धि के साथ ही सुशील कुमार भारत के पहले ऐसे एथलीट बन गए जिन्होंने इव्यक्तिगत श्रेणी में देश के लिए दो बार पदक अपने नाम किया। वर्ष 2005 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला। वर्ष 2009 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2011 में पद्म श्री मिला।

विवादों से रहा नाता

साल 2016 में रियो ओलंपिक के लिए 74 किलोग्राम वर्ग में दावेदारी पेश करने के लिए नरसिंह यादव और सुशील कुमार के बीच कड़ी टक्कर थी। सुशील ओलंपिक क्वॉलिफायर्स में हिस्सा नहीं ले पाए थे। नरसिंह ने भारत के लिए कोटा स्थान हासिल किया। लेकिन सुशील कुमार ने अदालत में मामले को चुनौती दी। लेकिन नरसिंह ने कोर्ट की ये जंग जीती। लेकिन फिर वो डोप विवाद में फंस गए। उस वक्त नरसिंह ने आरोप लगाए थे कि उन्हें ओलंपिक में जाने से रोकने के लिए ये साजिश रची गई। उन्होंने खाने-पीने में मिलावट को लेकर सुशील कुमार पर आरोप लगाए थे(साभार प्रभासाक्षी)।

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