Sunday, May 25, 2025
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गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलाधिपति बने सुरेंद्र कुमार आर्य

हरिद्वार।  गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में जेबीएम ग्रुप के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार आर्य को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति बनाया गया है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की प्रायोजक तीनों आर्य प्रतिनिधि सभाओं ने विवि के कुलाधिपति पद पर सुरेंद्र कुमार आर्य का चयन किया है। विश्वविद्यालय की प्रायोजक आर्य प्रतिनिधि सभाओं के नामित व्यक्ति विनय आर्य की ओर से विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर सुरेंद्र कुमार आर्य के चयन को लेकर विवि की कुलपति और कुलसचिव को पत्र प्रेषित किया गया है। विनय आर्य ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर नामांकन के लिए बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक में आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा और आर्य प्रतिशत सभा दिल्ली के प्रधान शामिल हुए थे। बैठक में सर्व सहमति से जेबीएम ग्रुप के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार आर्य को विश्वविद्यालय का कुलाधिपति चयनित किया गया था। इस संबंध में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कि कुलपति और कुलसचिव को 21 मई को पत्र भेजकर अवगत करा दिया गया है। सुरेंद्र कुमार आर्य 21 मई 2030 तक 5 वर्षों के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहेंगे। उधर, गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने बताया कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद पर चयन को लेकर सरकार की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है। आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से सुरेंद्र कुमार आर्य को कुलाधिपति बनाया गया है।
विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने जताया विरोध :
विश्वविद्यालय की प्रायोजक आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से बनाए गए कुलाधिपति का विवि के कर्मचारियों ने विरोध किया है। विश्वविद्यालय कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज और महामंत्री नरेंद्र मलिक ने बताया कि आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से सुरेंद्र कुमार आर्य को कुलाधिपति बनाया गया है। जिसका वह विरोध करते हैं। आर्य प्रतिनिधि सभाओं की ओर से विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन 2019 को लागू कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत सरकार से विश्वविद्यालय को 100% अनुदान नहीं मिल पाएगा। ऐसे में विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों को वेतन के भी लाले पड़ जाएंगे। विश्वविद्यालय के कर्मचारी विश्वविद्यालय में यूजीसी रेगुलेशन 2023 लागू किए जाने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। सभाएं अपने लाभ के लिए विवि और कर्मचारियों के हितों को अनदेखा कर रही है।

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