हरिद्वार 28 अप्रैल (कुलभूषण) गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के अंतर्गत भेषज विज्ञान विभाग में चल रहे औषधीय पादप महाकुंभ के चतुर्थ माह में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर पुरुषोत्तम कौशिक ने वैदिक माइक्रोबायोलॉजी के ऊपर अपना ब्याख्यान दिया। उन्होंने वैदिक माइक्रोबायोलॉजी के महत्व को समझाते हुए बताया कि ऋगवेद में बताया गया है कि सूर्य एंटी माइक्रोबियल एजेंट की तरह कार्य करता है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि रक्क्षोपा का अर्थ बिमारी से बचाव के साथ ही बैध और डाक्टर है। रक्क्षोपा एक एंटी माइक्रोबियल दवा होती है। जो कि माइक्रोबियल बिमारी में काम आती है। उन्होंने बताया कि कैसे हम इन सूक्ष्म जीवों से बचाव कर सकते हैं।जेसे की हम सभी जानते हैं कि आजकल कोरोनावायरस का प्रकोप चल रहा है और कैसे हम इस बिमारी से स्वयं को बचायें और अन्य लोगों को बचाया जा सकता है।
प्रोफेसर पुरुषोत्तम कौशिक ने वैदिक माइक्रोबायोलॉजी और भेषज विज्ञान के भविष्य के बारे में और इसके अन्य पहलुओं के बारे में भी बताया। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर जुल्फकार अली काश्मीर और जम्मू विश्वविद्यालय से ने भी अपने बिचार रखें। महाकुंभ के मुख्य आयोजक एंव विभागाध्यक्ष भेषज विज्ञान विभाग प्रोफेसर सत्येन्द्र कुमार राजपूत ने सभी का आभार जताया।
इस अवसर पर डाक्टर विजेन्द्र कुमार डिपसार नई दिल्ली से और राहुल सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर समस्त शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी भेषज विज्ञान विभाग वर्चुअल माध्यम से प्रोगाम में उपस्थित थे।
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