Thursday, December 26, 2024
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उत्तराखंड में बनेगा सख्त भू-कानून : मुख्य सचिव

रुद्रपुर(आरएनएस)। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी रविवार को रुद्रपुर पहुंचीं। उनका कुमाऊं मंडल आयुक्त दीपक रावत एवं डीएम उदयराज सिंह ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। मुख्य सचिव ने पहाड़गंज के वेंडिंग जोन और निर्माणाधीन सर्किट हाउस (पूर्व ट्रंचिंग ग्राउंड) का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सख्त भू-कानून बनाया जाएगा। अवैध रूप से जमीन की खरीद-फरोख्त पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित अपराधों की नियमित मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। कलेक्ट्रे में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सख्त भू-कानून बनाया जा रहा है, जिसमें अधिकारियों व आमजन की राय ली जा रही है। उन्होंने विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए महिलाओं एवं बच्चों पर होने वाले अपराधों की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करने और स्लम बस्तियों में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाल विवाह एवं घरेलू हिंसा रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। कहा कि पुलिस थानों में आने वाले पीड़ितों की समस्याओं को गंभीरता से सुनकर निस्तारण करें। इस दौरान डीएम उदयराज सिंह व सीडीओ मनीष कुमार ने मुख्य सचिव को जनपद में हो रहे विभिन्न विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य सचिव ने पूर्व ट्रंचिंग ग्राउंड में किया पौधारोपण:  मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पहाड़गंज के पूर्व ट्रचिंग ग्राउंड का स्थलीय निरीक्षण कर पौधारोपण किया। उन्होंने पहाड़गंज से कूड़ा हटाने और राष्ट्रीय राजमार्ग से हटाए गए रेहड़ी-ठेली वालों के जीवकोपार्जन के लिए बनाए जा रहे वेंडिंग जोन का निरीक्षण कर जिला प्रशासन की सराहना की। कहा कि जिले में प्रशासन ने सरकारी भूमि से अवैध कब्जों को हटाकर ऐतिहासिक काम किया है।
बैठक में ये रहे मौजूद :   बैठक में मंडलायुक्त दीपक रावत, एसएसपी मणिकांत मिश्रा, एडीएम अशोक कुमार जोशी, मुख्य नगर आयुक्त रुद्रपुर नरेश दुर्गापाल, काशीपुर विवेक राय, डीएफओ यूसी तिवारी, परियोजना निदेशक हिमांशु जोशी, एसपी सिटी मनोज कत्याल, संयुक्त मजिस्ट्रेट आशिमा गोयल, एसडीएम मनीष बिष्ट, ओसी गौरव पांडे, उप नगर आयुक्त शिप्रा जोशी, सीएमओ डॉ़ मनोज शर्मा, मुख्य शिक्षा अधिकारी केएस रावत, जिला समाज कल्याण अधिकारी अमन अनिरुद्ध, मुख्य उद्यान अधिकारी प्रभाकर सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन आदि मौजूद रहे।

 

रामलीला का तीसरा दिन : लक्ष्मण परशुराम संवाद की चौपाई व गानों से दर्शकों हुये मंत्र–मुग्ध

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‘उत्तराखंड आंदोलनकारियों के सम्मान से हुआ भव्य रामलीला में सीता– स्वयंवर का मंचन’

देहरादून, श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी द्वारा गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी – पुरानी टिहरी प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया है और इस हेतु देहरादून के टिहरी–नगर के “आजाद मैदान, टिहरी नगर, निकट बंगाली कोठी, दून यूनिवर्सिटी रोड, देहरादून ” में 11 दिन की ‘भव्य रामलीला’ का मंचन शारदीय नवरात्रों में 3 से 13 अक्टूबर 2024 तक किया जा रहा है।
श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा, 1994 में आंदोलन में सभी वर्गो व व्यापारियों ने राज्य के संघर्ष में अपना सहयोग दिया था। उत्तराखंड राज्य का निर्माण संघर्षों, बलिदानों और शहादत से हुआ है अतः रामलीला ने आज के दिवस को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को समर्पित कर शहीदों को नमन कर रामलीला मंचन किया गया l
श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा की गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी रामलीला 1952 से पुरानी टिहरी की रामलीला 1952 के ‘आजाद मैदान में 2002 तक टिहरी के डूबने तक होती रही और टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में इसको 21 वर्षों बाद भव्य रूप से 2023 में पुनर्जीवित किया गया। 2023 में आयोजित भव्य रामलीला में विशेष आकर्षण के रूप में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार लेजर शो व
डिजिटल लाइव टेलीकास्ट सिस्टम का प्रसारण किया गया था जिससे विभिन्न माध्यमों के द्वारा हमारे रामलीला मंचन को 2023 में रिकॉर्ड 10 लाख लोगों तक पहुंचने में सफलता पाई। इससे गढ़वाल के इतिहास को भव्य रूप से पुनर्जीवित करने का मौका मिलेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए मनोरंजन से अपने इतिहास और सनातन धर्म की परंपराओं के साथ जुड़ने का अवसर भी मिलेगा। इस बार रामलीला में विशेष आकर्षण के रूप में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार डिजिटल लाइव टेलीकास्ट सिस्टम से रामलीला मंचन का प्रसारण को 50 लाख से अधिक दर्शको द्वारा देखा जाएगा। रामलीला के तीसरे दिन सीता स्वयंवर, धनुष खंडन व परशुराम – लक्ष्मण संवाद का शानदार मंचन रहा। सीता स्वयंवर में विभिन्न राजाओं ने हास्य अभिनय से माहौल खुशनुमा कर दिया। परशुराम – लक्ष्मण संवाद में किरदारों ने पौराणिक चौपाई व गानों से दर्शकों को मंत्र–मुग्ध कर दिया। लेजर शो में आरती का आकर्षण में दर्शकों ने आनंद लिया।
कार्यक्रम में अध्यक्ष अभिनव थापर,सचिव अमित पंत, अतिथिगणों के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, महामंत्री रामलला खंडूरी, कोषाध्यक्ष जयदीप सकलानी, अमित ओबेरॉय, विकेश नेगी, भू–कानून मूल निवास संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी, लुसून ढोडरिया प्रांजल नौडियाल आदि ने भाग लिया।

 

 

शेरपुर में अनेक लोगों ने लगाया उनकी जमीन कब्जाने का आरोप, भारतीय सेना में नायब सूबेदार ने मीडिया समक्ष रोया अपना दुखड़ाNo photo description available.

देहरादून, राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड़ में जमीन के खरीद फरोख्त में धांधली और जमीन कब्जाने का खेल बखूबी से पल बड़ रहा है, ऐसा ही एक मामला थाना सहसपुर क्षेत्र के अंतर्गत शेरपुर में कुछ लोगों द्वारा एक नायब सूबेदार सहित अनेक लोगों की भूमि कब्जाने का सामने आया I राज्य की राजधानी देहरादून के शेरपुर में भूमि हड़पने का यह मामला आज रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया के सम्मुख पीड़ित लोगों द्वारा रखा गया I
मीडिया के सम्मुख यह धोखाधड़ी का मामला रखते हुए जीएमएस रोड निवासी सतपाल सिंह तथा अन्य भुक्त भोगी लोगों ने बताया कि शेरपुर में उनके द्वारा आज से कई वर्ष पूर्व भूमि खरीदी गई थी I इस भूमि पर उनके द्वारा तरबन भी कर दी गई थी बाद में एक के हिस्से वाली भूमि पर कुछ निर्माण कार्य भी किया जा चुका था, लेकिन समय बीतने पर मौके पर जाकर देखा कि तार-बाढ और निर्माण किए गए भवन को ध्वस्त कर दिया गया है, जिसे देखकर काफी हैरानी और परेशानी हुई I पीड़ित सतनाम सिंह द्वारा पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया गया कि जो भूमि उन्होंने शेरपुर में क्रय की थी, उस पर जगमोहन सिंह रौथान द्वारा कब्जा कर लिया गया है और निर्माण किए भवन तथा चारों तरफ की गई तारबाड़ को भी हटा दिया गया है I
पत्रकार वार्ता में मौजूद एक अन्य पीड़ित नायब सूबेदार सुधीर रावत ने बताया कि वह वर्तमान समय में भारतीय सेना के गढवाल राइफल्स राजस्थान में सुबेदार के पद पर है I मेरा परिवार किराये के मकान में क्लेमनटाउन एरिया में रहता है। मुझे व मेरे भाई मनोज रावत को आवासीय प्लाट की आवश्यकता थी और हमारा परिचय मोहन सिंह रावत पुत्र नारायण सिंह रावत निवासी ग्राम बड़ोवाला देहरादून व उनके सहयोगी अरुण रतूड़ी, निवासी पोस्ट ऑफिस आर्केडियाग्रान्ट, सुरेश उनियाल निवासी नया गाँव, पेलिओ, देहरादून व दिलबर सिंह कंडारी निवासी गणेशपुर कारबारी ग्रांट देहरादून से हुआ, जो कि प्रापर्टी का काम करते हैं। इन लोगों ने हमे शेरपुर में जमीन खसरा नम्बर 1753 (ख) दिखाई, जो हमे पसन्द आ गई और हम जमीन खरीदने के लिए तैयार हो गये। उक्त जमीन में से मेरे भाई 376 वर्गमीटर अर्थात् 450 वर्गगज अपनी पट्टी रेनू रावत और 188 वर्गमीटर अर्थात 225 वर्गगज का रजिस्टर्ड बैनामा 17 दिसंबर 2012 को मैंने अपनी पत्नी नीरू रावत के नाम पर पंजीकृत कराकर बाद दाखिल खारिज के उक्त भूमि पर कब्जा लेकर तारवाड़ कर दिया गया। माह सितम्बर में अपने परिवार के लिए मकान बनाने के आशय से अपनी युनिट से छुट्टी लेकरवह देहरादून आया और अपने परिवार के लोगों के साथ जमीन पर गया तो देखा कि हमारी जमीन पर लगाई गई तारबाड को तोड़ दिया गया है। उस समय हमें अपने प्लाट पर दो व्यक्ति बैठे हुए मिले, उनसे हमने तारबाड तोडने के बारे में पूछा तो, उन्होंने हमे बताया कि यह जमीन जगमोहन सिंह रौथाण की है, उन्हीं से जाकर मालूम करें I हम तो सिर्फ चौकीदार हैं। हमने उन लोगों से कहा कि यह जमीन तो हमने 2012 में बैनामा के द्वारा खरीदी थी I यह भूमि ऐसे में जगमोहन सिंह रौथाण की कैसे हो सकती है I तो उन लोगों ने कहा कि हमें कुछ नहीं पता, आपको जो भी बात करनी है, वह जगमोहन सिंह से करना या जिन लोगों में आपने जमीन खरीदी है उनसे जानकारी करो। हुमने मोहन सिंह रावत व अरुण रतूडी तथा दिलबर सिंह कंडारी से सम्पर्क किया, तो उन्होंने कहा कि हमने तुम्हें जमीन बेच दी है, अब तुम जानो, हमारा इससे कोई मतलब वास्ता नहीं है। बताया गया कि जबकि खतौनी मे खसरा नम्बर 1754 (ख), 1755, (क) 1752 (ख) 1753(क), 1758 (क) जगमोहन सिंह रौथाण के नाम पर दर्ज है,खसरा 1753 (ख) दर्ज नहीं है जो कि हमारी भूमि है I
मीडिया से बातचीत करने वाले पीड़ितों द्वारा कहा गया कि जगमोहन सिंह व अन्य भूमाफियों द्वारा आपस में मिलकर भूमि कब्जाने का अपराधिक कृत्य किया गया है I इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र देकर भी अवगत कराया जा चुका है I पत्रकार वार्ता में सरदार सतपाल सिंह, रेनू रावत, मनोज रावत, नीलू रावत, सुधीर रावत उपस्थित रहे I

 

 

अब निराशा की गुंजाइश नहीं, बची रहेगी हमारी लोकभाषाएं : नेगी

“इस मौके पर गीत संगीत से सजी रामलीला की नृत्य नाटिका का हुआ भावपूर्ण मंचन”

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देहरादून, उत्तराखंड की लोक संस्कृति के शिखर पुरुष और प्रख्यात लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने विश्वास व्यक्त किया है कि जिस तरह से लोक भाषा की विविध विधाओं में लेखन और सृजन हो रहा है, उससे भरोसा हो रहा है कि अब हमारी लोक भाषाओं का अस्तित्व बना रहेगा।
दो दशक पहले तक यह स्थिति नहीं थी, तब एक तरह का संकट मंडरा रहा था किंतु आज नई पीढ़ी अपनी भाषा, संस्कृति के प्रति सजग दिख रही है तो उम्मीदें भी बढ़ी हैं। नेगी संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में हिमालयी लोक साहित्य और संस्कृति विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित गढ़वाली रामलीला पुस्तक के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
गढ़वाली रामलीला ग्रंथ गढ़वाली के प्रसिद्ध नाटककार कुलानंद घनसाला ने लिखी है जबकि प्रकाशन विनसर पब्लिशिंग कंपनी ने किया है। इस अवसर पर श्री घनसाला द्वारा लिखित गढ़वाली रामलीला के चुनिंदा प्रसंगों का मंचन भी किया गया जिसे दर्शकों ने मुक्त कंठ से सराहा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तराखंड शासन की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी थी, जबकि पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी और ग्राफिक इरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय जसोला विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन गढ़वाली के प्रसिद्ध कवि और संस्कृतिकर्मी गिरीश सुंदरियाल ने किया।
श्री नेगी ने कुलानंद घनसाला को उनकी उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई देते हुए कहा कि रामलीला का मंचन उत्तराखंड की संस्कृति का अभिन्न अंग है और अभिनय की यह पहली पाठशाला है। रामलीलाओं से ही हमारे कला जगत में अनेक कलाकार स्थापित हुए हैं और श्री घनसाला की इस कृति के लोगों के बीच पहुंचने के बाद समाज इसे अंगीकृत करेगा।
मुख्य अतिथि श्रीमती राधा रतूड़ी ने कहा कि रामलीला का मंचन जहां सांस्कृतिक आयोजन है, वहीं इससे भाषा का संरक्षण और संवर्धन भी होगा। उन्होंने इस विशिष्ट आयोजन के लिए कुलानंद घनसाला और उनकी टीम को बधाई दी। विशिष्ट अतिथि अनिल रतूड़ी ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि राम का व्यक्तित्व विराट है। राम वैदिक युग से हैं। राम के चरित्र का वर्णन संस्कृत से लेकर तमाम भाषाओं में हुआ है।
गोस्वामी तुलसीदास ने तो उस कालखंड में रामचरित मानस की रचना की जब अकबर का शासन था। उनका कहना था कि दुनिया की अनेक सभ्यताएं खत्म हो गई लेकिन यह राम के चरित्र की विराटता ही है कि भारत की संस्कृति अमिट है। प्रो. संजय जसोला ने सुदूर पूर्व के थाईलैंड, इंडोनेशिया के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उन लोगों ने धर्म जरूर बदला लेकिन संस्कृति नहीं छोड़ी। वहां आज भी रामलीला आयोजित होती हैं।
कुलानंद घनसाला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह रामकाज भगवान राम ने ही उनसे करवाया है। वे 1988 से इसकी परिकल्पना कर रहे थे, अब यह साकार हुई है। उन्होंने गढ़वाली में पहली बार रामलीला का मंचन करने वाले स्व. गुणानंद पथिक और अन्य लोगों का स्मरण करते हुए कहा कि भगवान राम की प्रेरणा से अब उनका यह सपना साकार हो गया है।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में कुलानंद घनसाला कृत रामलीला पर आधारित सम्पूर्ण रामायण के सार रूप में कलाकारों ने मंचन किया। डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति में दर्शक मंत्रमुग्ध होकर अभिनव प्रस्तुति का आनंद लेते रहे। खचाखच भरे प्रेक्षागृह में अनेक मौके ऐसे भी आए जब दर्शक भावविभोर दिखे।
दिनेश बौड़ाई और इंदु रावत ने सूत्रधार की शानदार भूमिका अभिनीत की। दशरथ की भूमिका रमेंद्र कोटनाला ने शानदार ढंग से निभाई, राम की भूमिका आयुष रावत, लक्ष्मण की भूमिका में आलोक सुंदरियाल, सीता की भूमिका में अनुप्रिया सुंदरियाल ने अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। विजय डबराल ने परशुराम का सशक्त अभिनय किया जबकि रावण का अभिनय दिनेश भंडारी ने किया।
शुरुआत में गौरव रतूड़ी ने श्रवण कुमार की भूमिका में और गोकुल पंवार ने शांतनु के रूप में भावविभोर किया। गोकुल पंवार ने कुछ अंतराल के बाद निषाद राज की भूमिका भी निभाई। हनुमान का किरदार मुकेश हटवाल ने निभाया। अंगद की भूमिका में ओमप्रकाश काला और शूर्पनखा की भूमिका में डॉ. सृष्टि रावत ने गहरी छाप छोड़ी। इसके अतिरिक्त कैकई की भूमिका में भावना नेगी ने एक सिद्धहस्त कलाकार का प्रमाण दिया।
सीता की भूमिका निभा रही अनुप्रिया सुंदरियाल पहली बार मंच पर थी किंतु उसने अपने सशक्त अभिनय से सिद्ध किया कि वह रंगमंच की मंझी हुई कलाकार है। इसी तरह शूर्पनखा की भूमिका निभा रही भावना नेगी ने भी अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। गीत नाटिका के रूप में अभिनीत इस प्रस्तुति में ओम बधानी का संगीत पक्ष बेहद दमदार रहा। दृश्य परिवर्तन के साथ मंच व्यवस्था को यंत्रवत परिवर्तित करने में घनसाला की पूरी टीम बता रही थी कि टीम ने भरपूर अभ्यास किया। इस

कार्यक्रम के प्रस्तुति नियंत्रक मदन मोहन डुकलान थे। डुकलान ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वे मंच पर जितने खरे हैं, मंच के पीछे भी उतने ही कारगर हैं। निसंदेह यह प्रस्तुति लोगों को लंबे समय तक याद रहेगी और यही कुलानंद घनसाला की सफलता भी है। इसके साथ ही यह संभावना भी बढ़ गई है कि गढ़वाल में रामलीला मंचन में इस अंदाज को लोक समाज आत्मसात कर इसे आगे बढ़ाएगा। आम तौर पर हिंदी में मंचित होने वाली रामलीला अगले कुछ वर्षों में गढ़वाली में अंगीकृत हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

 

 

ललित मोहन कोठियाल स्मृति पर दिवस पर विभिन्न विद्यालयों के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को किया पुरस्कृतMay be an image of 17 people and text

पौड़ी, उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट पौड़ी के द्वारा ललित मोहन कोठियाल स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में डीएवी इंटर कॉलेज पौड़ी में पोस्टर प्रदर्शनी, व्याख्यान का आयोजन किया गया।
आयोजन की शुरुआत ट्रस्ट के महा सचिव नरेश नोड़ियाल ने ललित मोहन कोठियाल के जीवन के बारे बताते हुये आयोजन में आए सभी लोगों का स्वागत किया। महात्मा गांधीजी के जीवन पर बात रखते हुये विकास बड़थ्वाल प्रयास ने गाँधी ने कहा बच्चे सीधे तौर पर अपने जीवन में उतार सकते हैं। सत्य खुद की गलतियों को स्वीकारना और उनसे सीखना, समाज के हर वर्ग को बराबर मानना और बराबरी का व्यवहार करना अहिंसा और सेवा का भाव। इन 5 विचारों के इर्द-गिर्द कुछ उदाहरण के साथ ही गांधी जी पर आधारित प्रश्नों के जरिए संदर्भदाता ने गाँधी के पूरे जीवन चरित्र को बच्चों के समक्ष रखा।
उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट पौड़ी ने पत्रकार ललित की स्मृति में डीएवी इण्टर कॉलेज में विभिन्न विद्यालयों के प्रतिभावान चार छात्र-छात्राओं अमन थपलियाल राइका पौड़ी, मो. जोहद एमआईसी पौड़ी, कु० दीप्ति. राकइका पौड़ी, धर्मेश जवाड़ी को ललित मोहन कोठियाल प्रतिभा पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती रेनू नेगी प्रभारी प्रधानाचार्य डीएवी इंटर कॉलेज पौड़ी ने की। इस अवसर पर नागरिक कल्याण मंच पौड़ी के अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, गब्बर सिंह , ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह रावत, प्रशांत नेगी ने भी अपने विचार रखे।
आशीष नेगी ने कार्यक्रम का संचालन किया व ट्रस्ट के बारे में बताया। इस अवसर पर,सुदर्शन, स्वप्निल धसमाना, राजेंद्र रावत, मीनाक्षी, श्वेता के साथ ही विद्यालय स्टॉफ व अजीम प्रेमजी से जुड़े सहयोगी शामिल थे, कार्यक्रम संचालन में अज़ीम प्रेम फाउंडेशन पौड़ी, डीएवी इंटर कॉलेज विद्यालय परिवार ने विशेष सहयोग किया।

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