ऋषिकेश, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और महाजेनको रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एमआरईएल), महाराष्ट्र ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य नेट जीरो रणनीति के कार्यान्वयन में प्रभावी रूप से तेजी लाने के लिए विविध स्रोतों से स्वच्छ और किफायती ऊर्जा की आपूर्ति को सुविधाजनक बनाना है। समझौता ज्ञापन पर देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के माननीय उप मुख्यमंत्री, गृह, कानून और न्याय, जल संसाधन और लाभ क्षेत्र विकास, ऊर्जा, प्रोटोकॉल मंत्री, महाराष्ट्र सरकार की उपस्थिति में मुंबई, महाराष्ट्र में हस्ताक्षर किए गए।
फडणवीस ने इस ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर करने के लिए टीएचडीसीआईएल और एमआरईएल के प्रबंधन को हार्दिक बधाई दी तथा परियोजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और शीघ्र पूरा होने को सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने इस ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि टीएचडीसीआईएल नवीन ऊर्जा समाधानों के माध्यम से राष्ट्र के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है और ऐतिहासिक विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठा रहा है। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना महाराष्ट्र की ऊर्जा अवसंरचना में पर्याप्त प्रगति का प्रतीक है और यह देश की अक्षय ऊर्जा क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए टीएचडीसीआईएल और एमआरईएल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो नेट जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस समझौता ज्ञापन के तहत नियोजित परियोजनाओं में ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया (50 केटीपीए), बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) (500 MwH), हाइब्रिड सौर (250 मेगावाट), सौर (500 मेगावाट), फ्लोटिंग सौर (250 मेगावाट), पवन और अपतटीय पवन (500 मेगावाट) और स्व-चिह्नित पीएसपी (2200 मेगावाट) शामिल हैं |
इस समझौता ज्ञापन पर टीएचडीसीआईएल के निदेशक (तकनीकी), भूपेंद्र गुप्ता और एमआरईएल के अध्यक्ष डॉ. पी. अनबालागन ने हस्ताक्षर किए। निदेशक (तकनीकी), भूपेंद्र गुप्ता ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों के प्रति टीएचडीसीआईएल की दृढ़ प्रतिबद्धता पर विशेष महत्व देते हुए कहा कि यह समझौता ज्ञापन न केवल देश के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने के लिए टीएचडीसीआईएल और एमआरईएल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि सतत और नवीकरणीय ऊर्जा विकास के साझा दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
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