उधमसिंह नगर, परिवार का एक बेटा पिछले तीन साल से अपने परिजनों से दूर कहीं चला गया और न कोई सम्पर्क न कोई फोन, लेकिन फिर एक फोन काॕल आई कि उनके बेटे की अस्पताल में मौत हो गयी, यह फोन काॕल 25 नवंबर को परिवार वालों को आयी जिससे यह दु:खद समाचार मिला, दु:ख में डूबे परिवार वाले लाश का अंतिम संस्कार भी कर आए, लेकिन अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद पता चला कि जिस बेटे का अंतिम संस्कार किया गया, वो जिंदा है और कुशल है। जिस पर परिवार वाले संबंधित शहर पहुंचकर अपने बेटे को घर ले आए। यह घटना उधमसिंह नगर के खटीमा की है। यहां धर्मानंद भट्ट का 42 वर्षीय पुत्र नवीन भट्ट काफी समय से अलग रह रहा था। उसका पता ठिकाना भी घर वालों को ठीक से मालूम नहीं था। इसी बीच 25 नवंबर को कोतवाली से सूचना मिली कि सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में बीमारी के चलते नवीन भट्ट की मौत हो गई है।
वहीं जब धर्मानंद भट्ट को यह सुचना मिली तो वे केशव भट्ट और अन्य ग्रामीणों के साथ शव को लेने हल्द्वानी चले गए। 26 नवंबर को शारदा घाट बनबसा में विधि विधान के साथ अज्ञात शव का अंतिम संस्कार कर दिया। संस्कार के बाद घर पर क्रिया चल रही थी। रिश्तेदार शोक व्यक्त करने घर आ रहे थे। तीन दिन बाद 29 नवंबर को रुद्रपुर में होटल चलाने वाले नवीन के भाई केशव दत्त भट्ट को उसके दोस्त का फोन आया, उसने पूछा कि होटल बंद क्यों है। तब केशव ने बताया कि उसके भाई नवीन की मौत हो गई है। दोस्त ने कहा कि लेकिन नवीन को तो उन्होंने अभी देखा है। यकीन न हो तो वो वीडियो कॉल करा देगा। केशव ने वीडियो कॉल पर भाई को देखा तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। परिजन नवीन को लेने तुरंत रुद्रपुर चले गए। इस तरह नवीन सकुशल अपने घर लौट आया, लेकिन जिस शख्स का अंतिम संस्कार किया गया, वो कौन था, ये सवाल अब भी सबको परेशान किए हुए है। इसके बाद पूरे इलाके में ये घटना चर्चा का विषय बनी हुई है |
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